छत्तीसगढ़ क्रेडा में फिर बवाल, न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने वालों को निलंबन की चेतावनी, आयोग में शिकायत, सीईओ के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी में कर्मचारी…

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रायपुर: , एक फैसले को लेकर प्रभावित कर्मचारियों ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक शिकायत में पीड़ित कर्मचारी ने छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग से मामले में हस्तक्षेप कर वैधानिक कार्यवाही की मांग की है। पीड़ितों की दलील है कि न्याय के लिए अदालत का रुख करना अब महंगा साबित होने लगा है। कई अधिकारी इसे अपनी शान के खिलाफ मानते हुए पीड़ितों को प्रताड़ित भी करने लगे है। उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने की धमकी दी जा रही है। ऐसी ही एक शिकायत में पीड़ितों ने आयोग से न्याय की गुहार लगाई है। 

जानकारी के मुताबिक क्रेडा मुख्यालय में समस्त संवगों की पदोन्नति हेतु नीति समिति (DPC) की बैठक दिनांक 16.07.20 को हुई थी। इसमें विभाग की अनुमति सह स्थानीय पदोन्नति समिति के उप सचिव स्तर के अधिकारी सम्मिलित थे। शिकायत में कहा गया है कि दिनांक 16.07.2024 की विभागीय पदोन्नति समिति की कार्यवाही पदोन्नति आदेश को समय पर जारी करने के बजाय सीईओ ने फाइलों में कैद कर दिया था।

उनके मुताबिक कतिपय कारणों से मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा पदोन्नति आदेश 80 दिवस के भीतर जारी नहीं करने के चलते अधोहस्ताक्षरकर्ता कार्यपालन अधिकारी ने माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में WPC 5855/2024 दायर की थी। इसमें अदालत द्वारा MCC/20915/2024 में क्रेडा को दिनांक 08.11.2024 तक अभ्यावेदन पर विभागीय प्रचलित प्रासंगिक नियमों के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया गया था।

पीड़ितों की दलील है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी क्रेडा द्वारा न्यायालय के उक्त आदेश को मानने से एकतरफा इंकार कर दिया गया। अपितु दिनांक 06.11.2024 को डी.पी.सी. के अध्यक्ष (मुख्य कार्यपालन अधिकारी) हस्ताक्षर न करने तथा नियमों में विसंगति के कारण नवीन डी.पी.सी. करने की जानकारी निर्धारित डी.पी.सी. तिथि 16.07.2024 के 150 दिवस उपरांत प्रदान की गई। इस आदेश को लेकर पीड़ित सवाल उठा रहे है। उन्होंने राज्य सरकार का ध्यान इस ओर दिलाते हुए सवाल किया है कि क्या कारण था कि डी.पी.सी. की कार्यवाही विवरण व आदेश में केवल अध्यक्ष द्वारा 150 दिवस तक हस्ताक्षर नहीं किया गया। जबकि न्यायालय में किसी भी प्रकरण में उक्त संबंध में कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। उनके मुताबिक, निहित स्वार्थों के चलते स्पष्ट है कि किसी विशेष कारण से मुख्य कार्यपालन अधिकारी क्रेडा द्वारा उक्त डी.पी.सी. का आदेश नहीं निकाला गया था।

पीड़ितों ने शिकायत में कहा है कि उक्त डी.पी.सी. 16.07.2024 का आदेश निर्धारित समय सीमा के भीतर नहीं निकाले जाने से अधोहस्ताक्षरकर्ता द्वारा न्यायालय में पुनः Contempt petition अवमानना याचिका दायर की गई थी। इस पर सीईओ की नाराजगी सामने आई है। उनके मुताबिक आदेश दिनांक 05.12.2024 के ठीक एक दिन बाद 06.12.2024 को पीड़ित का स्थानांतरण आदेश जारी कर दिनांक 10.12.2024 को अधोहस्ताक्षरकर्ता एवं अन्य को उपलब्ध कराया गया था। पीड़ित ने आयोग को मामले से अवगत कराते हुए  इसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास बताया है। 

उनका आरोप है कि उक्त स्थानांतरण आदेश में तीन कर्मियों का स्थानांतरण किया गया है। जबकि Contempt petition (अवमानना याचिका) वापस नहीं लेने के लिए अनावश्यक रूप से सीईओ द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। उनके मुताबिक अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले और भी वादीगणों का स्थानांतरण किया गया है। पीड़ितों ने सीईओ के खिलाफ  वैधानिक कार्यवाही की मांग की है। 
पीड़ित ने आयोग को भेजी गई शिकायत में कहा है कि अनेको बार मुख्य कार्यपालन अधिकारी से मिलकर उनके द्वारा संपर्क और पत्राचार किया गया। ऊर्जा विभाग छ.ग. शासन के द्वारा पत्र क्र. 721/733/2024/13/1 दिनांक 26.09.2024 के माध्यम से सरकार द्वारा भी उचित कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये थे, किंतु आज दिनांक तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।उधर इस मामले में सीईओ क्रेडा द्वारा कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।