चलो बुलावा आया है, सीबीआई ने बुलाया है, पूर्व सीएम बघेल की उल्टी गिनती शुरू, कंक्रीट की दीवारों में चुनवाये गए घोटालों के सबूत, टुटेजा के ठिकानों पर काले-कारनामों का ढेर, डिजिटल अवशेष बरामद, बड़ी कार्यवाही की ओर CBI… 

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दिल्ली/रायपुर: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के हौसले बुलंद है, एजेंसी ने पेशेवर तरीके से भ्रष्टाचार की जड़ों पर मठ्ठा डालना शुरू कर दिया है। महादेव ऐप सट्टा घोटाले से जुड़ी हालिया छापेमारी के बाद सीबीआई सुर्ख़ियों में है। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ से जुड़े विभिन्न घोटालों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय महादेव ऐप सट्टा घोटाले से जुड़े कई महत्वपूर्ण सबूत रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा के ठिकानों से बरामद किये गए है।

कई दस्तावेजी और डिजिटल सबूतों को कंक्रीट की एक मजबूत दीवार के पीछे बड़ी चालाकी के साथ चुनवा दिया गया था। लेकिन तू-डाल-डाल तो मैं-पात-पात की तर्ज पर एजेंसी ने इस गिरोह के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बेनामी संपत्ति और अवैध उगाही का पूरा ब्यौरा एजेंसियों के हाथ लगा है। सूत्र तस्दीक करते है कि टुटेजा के ठिकानों से तत्कालीन भूपे सरकार के अवैध कारोबार का काला-चिट्ठा बरामद किया गया है। इसकी जांच-पड़ताल जारी बताई जा रही है। 

एजेंसी के अगले कदम काफी महत्वपूर्ण बताये जा रहे है, सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि दागी आईपीएस अधिकारियों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। दरअसल एजेंसियों ने महादेव ऐप सट्टा, CGPSC, शराब, नान घोटाला और जमानत के लिए अदालत को प्रभावित करने के मामले में कई दफ़न राज पर से पर्दा हटा दिया है। ऐसे रहस्मय सबूतों को क्रांक्रीट की दीवार के भीतर चुनवा दिया गया था। ये सबूत कितने कारगर साबित होंगे, इसकी पड़ताल शुरू हो गई है।

एजेंसी को रायपुर, कोलकाता, मुंबई, दिल्ली समेत अन्य ठिकानों से छापेमारी के दौरान ऐसी अहम जानकारी मिली है, जिससे कई नौकरशाहों की कुर्सियां हिल सकती है। सूत्र तस्दीक करते है कि विभिन्न घोटालों की जांच में जुटी सीबीआई को रायपुर में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के विश्वासपात्र अधिकारी अनिल टुटेजा के ठिकानों से कई ऐसे दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले है, जिससे पता-पड़ता है कि राज्य में सरकारी सेवकों और प्रभावशील नेताओं का एक समूह सुनियोजित षड्यंत्र के तहत कई गैर-क़ानूनी गतिविधियों में लिप्त था।

रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा के रायपुर-बिलासपुर स्थित ठिकानों से बताया जाता है कि सीबीआई को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और कीमती सामग्री हाथ लगी है। हालांकि छापेमारी के दौरान बरामद सामग्री को लेकर एजेंसी की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं प्राप्त हो पाई है।

सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनकी टोली का छत्तीसगढ़ समेत विभिन्न राज्यों में पुख्ता नेटवर्क था। इसके जरिये हवाला, धन-शोधन, नगद एवं डिजिटल भुगतान और विभिन्न कंपनियों (स्रोतों) के जरिये घोटाले की रकम खपाई जाती थी। घोटाले में लिप्त आईपीएस अधिकारियों द्वारा अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियों की निगरानी और फ़ोन टेपिंग से जुड़े से कई संदेहस्पद सबूत भी एजेंसियों के हाथ लगे बताये जाते है।

जानकारी के मुताबिक 36 हज़ार करोड़ के नान घोटाले में अदालत को गुमराह कर जमानत प्राप्त करने, 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले और छत्तीसगढ़ PSC में गड़बड़ी को लेकर सीबीआई की छापेमारी कामयाब बताई जा रही है, एजेंसियों के गलियारे में चर्चा है कि जिस सुराग के तहत सीबीआई ने अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाई थी, उससे जुड़े कई महत्वपूर्ण सबूत सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा के रायपुर और बिलासपुर स्थित आवास से प्राप्त हो गए है।

ये साक्ष्य डिजिटल फोरेंसिक और ट्रायल इंटरफेरेंस से जुड़े बताये जाते है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि आईटी-ईडी के बाद सीबीआई की सक्रियता से टुटेजा एंड कंपनी पहले से ही वाकिफ थी। लिहाजा, इस गिरोह ने समय रहते कई सबूतों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। बावजूद इसके एजेंसियों ने पुख्ता विवेचना पर जोर देते हुए कई संदेहियों और आरोपियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

पूर्ववर्ती भूपे राज में अनिल टुटेजा को सुपर सीएम का दर्जा प्राप्त था। वे स्वयं मुख्यमंत्री के अधिकारों का उपयोग करते हुए एक से बढ़ कर एक घोटालों को अंजाम दे रहे थे। जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल उन घोटालों को हरी झंडी देने और वसूली के लिए बेचैन बताये जाते थे। सूत्र तस्दीक करते है कि जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री पर भी शिकंजा कस सकता है। 2019 से 2023 के बीच के नष्ट डिजिटल सबूतों को पुनः हासिल करने के बाद सीबीआई की विवेचना पेशेवर रुख ले चुकी है।

सूत्र तस्दीक करते है कि तथ्यों के डिजिटल एविडेंस पर जोर देते हुए एजेंसी ने अपनी विवेचना में पूरी पारदर्शिता बरती है। एजेंसी के कदम जल्द ही एक बड़ी कार्यवाही की ओर बढ़ते नजर आ रहे है। बताते है कि टुटेजा एंड कंपनी के साथ विभिन्न घोटालों में लिप्त लगभग आधा दर्जन आईपीएस अधिकारियों पर भी जल्द शिकंजा कस सकता है। एजेंसी ने ऐसे आईपीएस अधिकारियों के ठिकानों पर भी दबिश दी थी। ये अफसर अपने पदों का बेजा इस्तेमाल करते हुए महादेव ऐप सट्टा संचालन को देशभर में क़ानूनी शक्ल देने में जुटे थे। इन आईपीएस अधिकारियों को सालाना करोड़ों रुपये सट्टा कारोबार से प्राप्त होते थे।  

सूत्रों के मुताबिक अदालत को प्रभावित करने के प्रकरण में जांच में जुटी सीबीआई को ऐसे डिजिटल सबूत हाथ लगे है, जिसमे पिछले दरवाजे से बेल प्राप्त करने के तौर-तरीके आजमाए गए थे। यह भी बताया जाता है कि रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग के अलावा देश के कई राज्यों में टुटेजा एंड कंपनी ने बड़ा निवेश किया था। बिलासपुर में टुटेजा के आधिपत्य वाले एक कोचिंग सेंटर में छापेमारी में PSC घोटाले से जुड़े कई रहस्मय दस्तावेजों की बरामदगी की जानकारी भी सामने आई है। बताया जाता है कि इस कोचिंग सेंटर में आरोपी रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा स्वयं छात्रों को टिप्स दिया करते थे।

यहाँ DSP, डिप्टी कलेक्टर और राज्य सरकार के विभिन्न पदों के चयन के लिए उम्मीदवारों को हलाल करने का कारखाना संचालित किया जाता था। हालांकि यह प्रतिष्ठान टुटेजा के पारिवारिक सदस्यों द्वारा संचालित बताया जा रहा है। बीते 5 वर्षों में रायपुर की तर्ज पर बिलासपुर में भी टुटेजा एंड कंपनी का कीमती जमीनों, कई होटलों और बेनामी कंपनियों में निवेश-खरीद फरोख्त से जुड़े दस्तावेजों की जब्ती की सूचना भी सामने आई है। हालांकि एजेंसी ने छापेमारी और बरामदगी को लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी प्रेस के साथ साझा नहीं की है। मामला विवेचना से जुड़ा बताया जा रहा है।