दिल्ली वेब डेस्क / लॉक डाउन में रेलवे ने अपने दल बल का उपयोग यात्रियों की हिफ़ाजत के लिए करके बड़ी मिसाल पेश की है | उसने कई मार्गों पर पटरियों का उन्नयन और मेंटेंनेंस किया | पुराने स्लीपर बदले और उसके स्थान पर नए स्लीपर लगाए | ट्रेन के इंजन और डिब्बों का भी मेंटेनेंस किया गया | भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन के 40 दिनों का फायदा मेंटिनेंस करके उठाया है। कोरोना वायरस के प्रसार पर रोक लगाने के लिए देश में लॉकडाउन लागू है। इस दौरान रेल और हवाई यातायात सेवाओं पर रोक लगी हुई है। ऐसे समय रेल यातायात ठप्प है |
लेकिन रेलवे ने मेंटेनेंस पर जोर देते हुए इन 40 दिनों में यात्रियों को सुरक्षित और मंगलमय यात्रा के लिए खूब पसीना बहाया |लॉकडाउन के 40 दिनों के दौरान रेलवे ने 50 साल पुराने लकड़ी के सीजर क्रॉस ओवर को बदला तो कहीं सालों से बंद 100 साल पुराना एफओबी तोड़ा। मेंटिनेंस के दौरान रेलवे ने आधिकारिक रूप में करीब 705 घंटे का ब्लॉक भी लिया। रेलवे ने बताया कि यात्री सेवाओं के निलंबन की अवधि का इस्तेमाल रेल नेटवर्क पर लंबे समय से अटके पड़े मरम्मत के काम को पूरा करने में किया गया। उनके मुताबिक पटरियों की मरम्मत से सुरक्षा बेहतर होगी और परिचालन क्षमता बढ़ेगी।
माना जा रहा है कि इस मेंटेनेंस से ट्रेनों की लेटलतीफी भी खत्म होगी। मंत्रालय ने बताया कि ये कार्य कई वर्षों से लंबित थे और इनके चलते रेलवे को गंभीर अड़चनों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन लॉक डाउन का उपयोग कर कई समस्याएं दूर की जा रही है | मंत्रालय ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान करीब 500 आधुनिक हेवी ड्यूटी पटरियों की मरम्मत करने वाली मशीनों ने 12,270 किलोमीटर लंबी पटरियों पर मरम्मत का काम पूरा किया। भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान यह सोचकर इस कार्य को करने की योजना बनाई कि मरम्मत के काम को पूरा करने का यह अच्छा अवसर है और इससे ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित नहीं होंगी।
रेलवे के मुताबिक तेलंगाना में 1970 में लगा लकड़ी का सीजर क्रॉस ओवर बदला। इसके लिए 72 घंटे का ब्लॉक लेना पड़ा। इसके अलावा आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में 24 घंटे का ब्लॉक लेकर पटरियों की क्रॉसिंग में लकड़ी के स्लीपर बदले गए। वहीं, चेन्नई रेलवे स्टेशन के पास असुरक्षित आरओबी को हटाया गया। इसके नीचे से आठ पटरियां गुजर रही हैं। साथ ही कई जगहों पर ब्रिज का काम किया जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि बचा हुआ मेंटिनेंस का काम 17 मई तक पूरा कर लिया जाएगा। रेलवे के 167 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि ट्रेनों का संचालन इतने लंबे वक्त के लिए बंद किया गया। हालांकि, आवश्यक चीजों की ढुलाई के लिए लगभग तीन हजार मालगाड़ियों का संचालन अब भी हो रहा है। रेलवे ने उम्मीद जाहिर की है कि लॉक डाउन में किए गए मेंटिनेंस से कई रूटों पर ट्रेनों की रफ्तार में तेजी आएगी और यात्री सुविधाएं भी दुरस्त हो जाएंगी।