रिपोर्टर -उपेंद्र डनसेना
रायगढ़ / कोविड़ 19 कोरोना वायरस से आज पूरा देश जूझ रहा है। कोरोना वायरस का खासा असर गरीब तबके मजदूरों को उठाना पड़ रहा है। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ पुलिस विभाग के द्वारा मजदूरों के हित में कार्य कर उन्हें लाभ भी पहुंचाया जा रहा है। इसके बावजूद वार्ड के जनप्रतिनिधियों की लापरवाही की वजह से कुछ मजदूर वर्गो के परिवारों के सामने भूखे मरने की स्थिति निर्मित हो चुकी है। ऐसा नही है कि वार्ड के नेताओं को इसकी जानकारी नही है। एक नही दो नही बल्कि तीन-तीन बार मोहल्ले के युवाओं ने इस समस्या की जानकारी बकायदा नेताओं के घर जाकर दी गई, परंतु उन्हें घर तक राहत पहुंचा देने की बात कही जा रही है, लेकिन आज तक वे राहत के इंतजार में राह ताकने को मजबूर हैं। यह पूरा मामला शहर सरकार के प्रथम नागरिक महापौर के वार्ड से जुड़ा हुआ है।
रायगढ़ शहर का वार्ड नं. 04 यूं तो यह वार्ड नगर निगम की महापौर जानकी बाई काटजू का है। इस वार्ड के लोगों ने नगरीय निकाय चुनाव में अपने क्षेत्र की महिला को भारी बहुमत से चुनाव जीताया था। ताकि भविष्य में उनको होनें वाली परेशानियों से उनके नेता साथ खड़े होकर उनके दुख-दर्द को कम कर सके। मगर वर्तमान हालात देख ऐसा लगता नही कि उनके नेता उनके लिए कुछ पहल कर पा रहे हैं। विगत दिनों वार्ड नं. 04 जवाहर नगर के एक घर में एक बच्ची कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। इस घर में मकान मालिक के अलावा 03 अन्य परिवार किरायेदार के रूप में रहते हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ऐहतियात के तौर पर पूरे घर को सील कर वहां के लोगों को 15 दिनों तक घर से बाहर नही निकलने को कहा गया था। अचानक निर्मित हुए इस स्थिति से यहां के किरायेदारों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा। एक तो ऐसे ही कोरोना वायरस की वजह से लोगों का कामकाज ठीक से नही चलने के कारण मजदूर वर्गो के परिवारों के सामने रोजी रोटी के लाले पड़े हैं। यहां किराये में रह रहे लोगों के परिजनों नारायण श्रीवास, आकाश चौहान ने हमारे संवाददाता को बताया कि जब से उन्हें होम क्वारंटाईन किया गया है तब से लेकर अब तक सिर्फ एक बार ही कोरोना पॉजिटिव परिवार के लिए ही राशन भिजवाया जा रहा है। जबकि वहां रहे बाकी परिवारों की सुधि लेने वाला कोई भी नही है।
किरायेदारों का कहना था कि उन्होंने अपनी समस्या मोहल्ले के कुछ युवाओं को फोन कर बताते हुए क्षेत्र की पार्षद एवं महापौर जानकी बाई काटजू से मदद कराने की बात कही गई थी। जब मोहल्ले के युवाओं ने महापौर के घर जाकर उन्हें उन परिवारों की समस्या बतानी चाही तो उस दौरान महापौर घर पर नही थी। तब युवाओं के द्वारा महापौर के घरवालों को सारी समस्या से अवगत कराया गया। इसके बाद उनके द्वारा कहा गया कि जल्द ही उन परिवारों तक भी राहत पहुंचा दी जाएगी। मगर आज तक उन परिवार तक कोई भी राहत नही पहुंचाया जा सका है। जैसे-तैसे ये परिवार अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। आलम यह है कि इन किरायेदार परिवारों को दो वक्त का खाना भी सही ढंग से नसीब नही हो रहा है।
किरायेदारों का यह भी कहना था कि जिस बच्ची को कोरोना हुआ था वह स्वस्थ्य होकर वापस घर भी लौट चुकी है, लेकिन फिर भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उन्हें ऐहतियात के तौर पर 15 दिनों तक वहां से किसी को बाहर नही निकलने की बात कही गई है। ऐसे में उन परिवारों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। यह सोचने वाली बात है कि एक गरीब परिवार 1 महीने तक घर बैठे अपना जीवन यापन कैसे कर सकता है? उनका यह भी कहना था कि जब उनके क्षेत्र की महिला नगर निगम में इतने बड़े पद पर विराजमान है, फिर भी उनके वार्ड के रहवासियों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। तो शहर के अन्य वार्डो में क्या स्थिति होगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।