रिपोर्टर – उपेंद्र डनसेना
रायगढ़ / मार्च माह से शुरू कोरोना वायरस का लॉकडाउन होटल व्यवसायियों पर भारी पड़ रहा है। यह व्यवसाय न केवल पूरी तरह ठप्प है बल्कि बैंकों से लिए गए कर्ज पर ब्याज दर ब्याज लगने से उनकी आर्थिक स्थिति को भी पूरी तरह तोड़ चुका है। स्थिति यह है कि बैंको का कर्ज चुकाने के लिए अलग से कर्ज लेकर किस्त के साथ-साथ लगातार बढ़ रहे ब्याज को भी चुकाने की मजबूरी बन गई है और इसके लिए सरकार ने समय रहते राहत पैकेज की घोषणा नही की तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ सहित देश के कई बड़े होटलों में सदैव के लिए ताले लटक जाएंगे। यह बात ट्रिनिटी होटल के संचालक सरनदीप सलूजा ने कही है। बातचीत के दौरान उनका यह कहना था कि लगातार लॉकडाउन के चलते होटल व्यवसाय तो ठप्प हुआ ही है बल्कि काम करने वाले कर्मचारी भी पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं।
शहर के तीन सितारा होटल से लेकर अन्य चार बड़े होटल पर सर्वाधिक प्रभाव कोरोना वायरस के लॉकडाउन का पड़ा है चूंकि हाल ही में इन होटलों का निर्माण यह सोंचकर संचालकों ने करवाया था कि औद्योगिक नगरी में नई सुविधाओं के साथ होटल व्यवसाय खोलने से पर्यटन तथा अन्य नई सुविधाओं का लाभ बाहर से आने वाले लोगों को मिलेगा। लेकिन बीते मार्च माह से अब तक लॉकडाउन से होटलों में लटके ताले परेशानी का सबब बन गए हैं। सलूजा ने यह भी बताया कि जिस प्रकार भारी भरकम कर्ज लेकर होटल का निर्माण कार्य कराया था अब वह बैंक में ब्याज से बढ़ता जा रहा है। किश्त का भुगतान तो दूर बैंक का बढ़ता ब्याज चुकानें में के नाम पर तनाव हो रहा है। सरकार होटल व्यवसाय को केवल इतना ही सहयोग दे दे कि उन्हें बैंकों से लिए गए कर्ज में ब्याज की छूट मिल जाए, चूंकि जब व्यवसाय ही नही हो रहा तो किश्त का भुगतान कैसे संभव है। किश्त का भुगतान नही होनें से लिए गए कर्ज में ब्याज अलग से जुड़ रहा है और कर्ज की राशि चक्रवृद्धि के ब्याज के दर से बढ़ती जा रही है। सरनदीप सलूजा ने बताया कि छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि देश के पर्यटन व होटल व्यवसाय को अगर बचाए रखना है तो केन्द्र व राज्य सरकार इनके लिए राहत का पैकेज की घोषणा करे, चूंकि आने वाले समय में लगता नही कि होटल व्यवसाय फिर से शुरू हो पाएंगे और इसी व्यवसाय के बंद होनें से बेरोजगारों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है।
सरनदीप सलूजा का मानना है कि यदि सरकार राहत पैकेज के साथ-साथ होटल व्यवसाय शुरू करने की अनुमति दे दे तो काफी हद तक बेरोजगारी पर काबू पाया जा सकेगा और संचालकों को कुछ राहत मिलेगी। वर्तमान समय में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाए रखने के लिए लॉकडाउन संचालकों पर इतना भारी पड़ रहा है कि होटलों के स्टाफ में 35 प्रतिशत से ज्यादा नही रखा जा रहा है। चूंकि लगातार घाटे की वजह से व्यवसाय को जीवित रखना मजबूरी बन गई है और आने वाले समय में और अधिक परेशानी होती है तो यह व्यवसाय पूरी तरह बंद हो जाएगा।