हाई कोर्ट ने 12 मार्च 2010 में दिया था फैसला
HC के फैसले के खिलाफ SC गई थी सरकार
दिल्ली वेब डेस्क / सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी खुद अपनी किरकिरी करा बैठे।सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का फैसला दिया है, जिसपर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन वह इस मुद्दे पर खुद ही फंस गए। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2010 में ही भारतीय सेना की महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के निर्देश दिया था, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील देकर हर महिला का अपमान किया है कि महिला सैन्य अधिकारी कमान मुख्यालय में नियुक्ति पाने या स्थायी सेवा की हकदार नहीं हैं क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले कमतर होती हैं। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा सरकार को गलत साबित करने और खड़े होने के लिए भारत की महिलाओं को बधाई देता हूं।
उनके इस बयान के बाद महिला सैन्य अधिकारियों का केस लड़ने वाली वकील और भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी और हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील नवदीप सिंह ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ तत्कालीन यूपीए सरकार कोर्ट में गई थी, ना कि भाजपा।
नवदीप सिंह ने कहा, ‘हालांकि, महिला अधिकारियों को यह लाभ देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील 2010 में दायर किया गया था, जब वर्तमान सरकार सत्ता में नहीं थी। इसलिए, मेरा मानना है कि इस तरह के मुद्दों और न्यायिक फैसलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।’
वहीं, भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि कृपया, राहुल गांधी अपने मेमोरी बटन को रिफ्रेश करें। यह कांग्रेस सरकार थी जिसने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष 2010 में सेना में महिलाओं के स्थाई कमीशन के खिलाफ विरोध किया था।