
ब्रजभूमि मथुरा-वृंदावन में राधा–कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व परंपरा और आस्था के अद्भुत संगम के साथ मनाया गया। भोर से ही बांके बिहारी मंदिर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि, द्वारकाधीश, इस्कॉन (कृष्ण बलराम) मंदिर और रंगजी सहित सभी प्रमुख मंदिरों में घंटाघड़ियाल गूंजे। दिनभर कीर्तन-भजन, संकीर्तन यात्राएँ और शाम को सज़ी झांकियों ने भक्तों को कृष्ण-मय कर दिया। रात्रि 12 बजे “जन्माभिषेक” के साथ मंदिरों में विशेष आरती हुई और अगले दिन पारंपरिक नंदोत्सव में दही-हांडी, माखन-मिश्री का प्रसाद और नृत्य-नाटक हुए।
क्या खास रहा
मंदिर साज-सज्जा: फूलों की झालरों, रंगोली और अलौकिक झांकियों से सजाए गए गर्भगृह—कृष्ण जन्म, कंस वध, वंशीवट की लीलाएँ केंद्र में रहीं।
कीर्तन और रास-लीला: स्थानीय कलाकारों और वैष्णव संप्रदाय की मंडलियों ने रास-नृत्य और ब्रज लोकगीत प्रस्तुत किए।
प्रसाद व भंडारा: जगह-जगह लंगर/भंडारे में कढ़ी-चावल, खिचड़ी, हलवा-पूड़ी व माखन-मिश्री का प्रसाद वितरित हुआ।
डिजिटल दर्शन: भीड़ प्रबंधन के लिए कई मंदिरों से लाइव-स्ट्रीम/डिजिटल दर्शन की व्यवस्था, जिससे दूरदराज़ भक्त भी जुड़ सके

भीड़ और व्यवस्थाएँ
सुरक्षा/यातायात: मुख्य मार्गों पर बैरिकेडिंग, पैदल रूट, पार्किंग से शटल/ई-रिक्शा की व्यवस्था। चिकित्सा शिविर और खोया-पाया काउंटर तैनात रहे।
सफाई व सुविधाएँ: घाटों और मंदिर मार्गों पर अतिरिक्त सफाई दल, पेयजल और अस्थायी टॉयलेट लगाए गए।
पर्यटन व व्यवसाय: फूल, पूजा सामग्री, प्रसाद और पारंपरिक पोशाकों की दुकानों पर रौनक; होटल-धर्मशालाओं में पहले से बुकिंग।
श्रद्धालुओं के लिए उपयोगी जानकारी
प्रमुख दर्शन स्थल: श्रीकृष्ण जन्मभूमि (मथुरा), द्वारकाधीश (मथुरा), बांके बिहारी (वृंदावन), इस्कॉन कृष्ण-बलराम मंदिर (वृंदावन), राधा रमण, रंगजी, प्रेम मंदिर।
आचार-व्रत: अनेक भक्त दिनभर उपवास/फलाहार रखते हैं, रात्रि 12 बजे जन्माभिषेक के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं।
यात्रा सलाह: भीड़ के समय हल्का सामान रखें, पहचान पत्र साथ रखें, तय पार्किंग का उपयोग करें, छोटे बच्चों का हाथ न छुटने दें, गर्म/आर्द्र मौसम में पानी पीते रहें।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में कारागार में हुआ माना जाता है। वृंदावन उनकी बाल-लीलाओं और रास-रंग का केंद्र है। जन्माष्टमी पर भक्त नाम-स्मरण, गीता-पाठ, दीपदान और दान-पुण्य करते हैं। यह पर्व अधर्म पर धर्म और अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक माना जाता है।

लोगों की भावनाएँ
भक्तों ने कहा कि जन्माष्टमी पर ब्रज में जो दिव्यता महसूस होती है, वह अद्वितीय है—“ऐसा लगता है मानो स्वयं कन्हैया गलियों में वंशी बजा रहे हों।”
क्विक FAQ
प्रश्न: जन्माष्टमी पर मथुरा-वृंदावन में क्या अवश्य देखें?
उत्तर: श्रीकृष्ण जन्मभूमि का रात्रि जन्माभिषेक, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर की मंगला आरती/शृंगार दर्शन, प्रेम मंदिर की प्रकाश/झांकी, और इस्कॉन का संकीर्तन।
प्रश्न: भीड़ से बचने के लिए क्या करें?
उत्तर: सुबह/दोपहर के स्लॉट का चयन करें, पार्किंग से पैदल मार्ग लें, और डिजिटल दर्शन/क्यूआर आधारित पास (जहाँ उपलब्ध) का उपयोग करें।