दिल्ली वेब डेस्क / भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) ने राजस्थान सरकार की उस शिकायत को सही पाया है , जिसमे उसने चीनी किट के रैपिड टेस्ट के परिणामों को सही नहीं पाया था | राजस्थान की शिकायत के बाद ICMR ने रैपिड टेस्ट किट के उपयोग पर पाबंदी लगाई थी | लेकिन अब उसके नमूने जांच में चीनी रैपिड किट खरी नहीं उतरी है | नतीजतन ICMR ने राज्य सरकारों को रैपिड एंटीबॉडी जांच को लेकर संशोधित एडवाइजरी जारी की है।
आईसीएमआर ने राज्य सरकारों को लिखा है कि वह गुआंगझोउ वोंडफो और झुहाई लिवजोन डायग्नोस्टिक्स किट का इस्तेमाल न करें।चीन की इन दोनो कंपनियों ने भारत में करीब सात लाख रैपिड टेस्ट किट भेजी थीं, इनमें से कई किट्स में गड़बड़ी पाई गई थी।
आईसीएमआर ने इस संबंध में कहा कि राज्यों को सलाह दी जाती है कि इन दोनों कंपनियों की टेस्ट किट का इस्तेमाल न करें और इन किट को वापस इनके सप्लायर को भेज दें। वहीं, भारत सरकार ने रैपिड एंटीबॉजी टेस्ट किट की खरीद को लेकर कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि आईसीएमआर ने इन किट की आपूर्ति के संबंध में अभी कोई भुगतान नहीं किया है।
बताया जाता है कि गुआंगझोऊ बायोटेक ने करीब पांच लाख और झुहाई लिवजोन ने दो लाख किट भारत भेजी हैं। इन दोनों कंपनियों की कुछ किट में आईसीएमआर को खामियां मिली थीं। इस किट का इस्तेमाल कोरोना की जांच के लिए नहीं बल्कि महामारी के प्रसार का पता लगाने के लिए किया जाता है। ये एंटी बॉडी की जांच के लिए हैं। आईसीएमआर ने कहा था कि ये रैपिड एंटीबॉडी जांच किट कोरोना की शुरुआती जांच के लिए बल्कि सर्विलांस के लिए उपयोग में लाई जाएंगी।
फ़िलहाल कई राज्यों ने अपने स्तर पर खरीदी गई रैपिड जांच किट की खरीदी ही रद्द कर दी है | ऐसा इसलिए किया गया क्योकि केंद्र सरकार से उन्हें पर्याप्त मात्रा में रैपिड किट की आपूर्ति की गई है | फिजूलखर्ची से बचने के लिए इन राज्यों ने किट खरीदी में खर्च होने वाली रकम को अन्य मदों में व्यय करने का फैसला लिया है |