रायपुर / छत्तीसगढ़ में क्वारंटाइन सेंटरों में समस्यायों का अम्बार लग गया है | राज्य सरकार इन क्वारंटाइन सेंटरों पर लाखों रूपये खर्च कर रही है | लेकिन इन रुपयों से ना तो लोगों को राहत मिल पा रही है , और ना ही उनकी समस्याए दूर हो पा रही है | प्रताड़ित लोग मांग करने लगे है कि सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत उनके मंत्री मंडल के सदस्यों को उन क्वारंटाइन सेंटर का जायजा लेना चाहिए जहां एक से बढ़कर एक हादसे हो रहे है | पीड़ितों के मुताबिक उन्हें क्वारंटाइन सेंटर में रखने के बजाये उनके घरों तक पहुंचा दिया जाए ताकि वे शांति से अपने घर में रह सके |
उनके मुताबिक क्वारंटाइन सेंटरों में मूलभूत सुविधाओं का टोटा तो है ही लेकिन वहां मौजूद सरकारी कर्मियों की भी लापरवाही उनकी जान जोखिम में डाल रही है | पीड़ित बता रहे है कि रोजमर्रा की वस्तुओं की कमी के चलते मेडिकल गाइडलाइन की धज्जियां उड़ रही है | इसके चलते संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है | उनके मुताबिक महिलाओं का और बुरा हाल है | उनकी निजता भंग हो रही है और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएँ तक नहीं मिल पा रही है |
ताजा मामला जांजगीर के हथनेवरा क्वारेंटीन सेंटर का है | यहाँ रह रही एक गर्भवती महिला ने जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया है। पांच दिन पहले पीड़ित महिला जम्मू से अपने पति के साथ लौटी थी। हथनेवरा क्वारेंटीन सेंटर में इस दंपत्ति ने कई बार महिला डॉक्टर से चेकअप की मांग की थी | प्रसव पीड़ा के बाद उसे जिला अस्पताल दाखिल किया गया था। बताया जाता है कि महिला के प्रसव के दौरान बच्चे की मौत हो गई । उसके पति ने डॉक्टर्स पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। आरोप है कि महिला को घंटों देर तक ना डॉक्टर्स देखने आए और ना ही नर्स। महिला शिवरीनारायण के लोहर्सी गांव की रहने वाली थी।
उधर बालोद जिले के टटेंगा भरदा क्वारंटाइन सेंटर में भी 5 महीने के एक बच्चे की तबियत बिगड़ने से मौत हो गई | उसे जिला कोविड-19 अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया | इसके बाद पीड़ित परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया | हालांकि मौत की वजह साफ नहीं हो पाई है | एक अन्य घटना में गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड के धरनीधोड़ा गांव के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रही 8 महीने की गर्भवती महिला की भी मौत हो गई |
यह महिला 14 मई को अपने पिता के साथ तेलंगाना से वापिस लौटी थी | जब वह क्वारेंटाइन सेंटर पहुंची, तो उसकी तबीयत खराब हो गई थी, उसे क्वारंटाइन सेंटर में कोई खास मदद नहीं मिल पाई | इस महिला को वहां से मेकाहारा अस्पताल रायपुर रेफर किया गया था | 21 मई को तबीयत ठीक होने के बाद वह वापिस क्वारेंटाइन में रह रही थी |
छत्तीसगढ़ में क्वारंटाइन सेंटरों में अलग-अलग कारणों से अब तक दर्जन भर लोगों की जान जा चुकी है | मेडिकल कारणों के अलावा सांप काटने से भी लोग अपनी जान गवा रहे है | ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि इनकी मौत का जिम्मेदार कौन है ?