दिल्ली / मौजूदा वित्तवर्ष की पहली तिमाही सुर्ख़ियों में है | इसमें टैक्स के जानकारों और बैंकिंग सिस्टम पर नजर रखने वालों ने पीएनबी की कमर तोड़ने वालों पर अपनी निगाहे गड़ाई है | उनकी नजरे खासतौर पर टिकी है, विनसम डायमंड एंड ज्वेलरी, गीतांजलि जेम्स और एबीजी शिपयार्ड जैसी बड़ी कंपनियों पर | इन्होने पंजाब नेशनल बैंक के 37 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा अपनी तिजोरियों में डाल लिए है | बैंकिंग कानूनों और दांवपेचों का सहारा लेकर करीब 1700 डिफॉल्टर ये रकम दबाए बैठे हैं। इनमे विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस के ऊपर भी 522.48 करोड़ का कर्ज है।
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पीएनबी की वेबसाइट पर अपलोड की गई जानकारी के मुताबिक कुल 1787 इरादतन बकायेदारों पर बैंक का 37020.27 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। बकायेदारों की सूची में मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स लि. पर 5064.84 करोड़ का कर्ज है। गीतांजलि समूह की ही गिली इंडिया और नक्षत्र पर क्रमश: 1,447 करोड़ और 1,109 करोड़ रुपये बकाया है। जबकि जतिन मेहता की कंपनी विनसम डायमंड एंड ज्वेलरी लि. पर 1036.85 करोड़, एबीजी शिपयार्ड लि. पर 1193.37 करोड़ रुपये की देनदारी है। चंडीगढ़ स्थित कूडोस केमी लि. 1418 करोड़ का कर्ज बकाया है।
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बड़े बकायादारों में जूम डेवलपर्स पर 702 करोड़, जस इंफ्रास्ट्रक्चर एंड पावर लि. पर 453.96 करोड़ और स्टर्लिंग ग्लोबल ऑयल रिसोर्सेज लि. बैंक का 755 करोड़ रुपये दबाए बैठी है। इनके अलावा और भी कई कंपनियां हैं जिनका हजारों करोड़ का कर्ज बकाया है। ये सभी कर्ज कंसोर्टियम के जरिये दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ के 26 ऐसे कारोबारी भी हज़ारों करोड़ दबा बैठे है, जिन्होंने स्टील, कोयला और बिजली घरों के निर्माण के लिए अलग -अलग किस्तों में अरबों रुपये का ऋण लिया था |
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सरकारी धन की इस सुनियोजित बंदरबांट में उद्योगपतियों का साथ बैंकों के अफसरों ने भी दिया था | पीएनबी ने बकायादारों की सूची तो अपलोड की है, लेकिन इसमें यह नहीं दर्शाया गया कि ऋण की वसूली को लेकर वो क्या कदम उठा रहा है | दिलचस्प बात यह है कि लाख – दो लाख का लोन लेने के बाद समय पर किश्तों की अदायगी नहीं होने पर यही बैंक वसूली के लिए आम ग्राहकों का जीना हराम कर देता है | लेकिन अरबो की रकम की वसूली को लेकर वो, वही बैंकिंग कानूनों का हवाला देकर ऐसे डिफॉल्टरों के आगे घुटने टेक देता है |