रायपुर / छत्तीसगढ़ जनसंपर्क संचालनालय में डीपीआर के पद पर पदस्थ तारण प्रकाश सिन्हा की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगने लगा है | एक शिकायत के मुताबिक तारण प्रकाश सिन्हा इन दिनों पत्रकारों के बीच स्थानीय और बाहरी का दांव खेल रहे है | उनके द्वारा उपकृत कुछ वेबसाइट पर उन्होंने छतीसगढी बनाम गैर छत्तीसगढ़ी पत्रकारों का राग छेड़ा है | इसके चलते उन पत्रकारों की छवि पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है जो कई सालों से छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के पेशे को बखूबी अंजाम देकर प्रजातंत्र को मजबूत करने में सहभागी बने है | शिकायत में कहा गया है कि फर्जी दस्तावेजों को पोस्ट कर तारण प्रकाश सिन्हा लोगों तक “मिस इन्फॉर्मेशन” पहुंचा रहे है | जानकारी के मुताबिक पुलिस महकमे में तैनात एक निलंबित और कुख्यात एडीजी मुकेश गुप्ता और उसकी विष कन्या को लेकर अक्सर समाचार सुर्खियों में रहते है | बताया जाता है कि इससे बौखलाए तारण प्रकाश सिन्हा ने कुछ पत्रकारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है | मुकेश गुप्ता , विष कन्या और तारण सिन्हा के क्रियाकलापों की चर्चाएं जोरो पर है |
जनसंपर्क संचालनालय में डीपीआर का पद पत्रकारों और सरकार के बीच महत्वपूर्ण संवाद की कड़ी का काम करता है | सूचनाओं के आदान-प्रदान से लेकर सरकार के लोक कल्याणकारी कार्यों को जनता तक पहुंचाने के मामले में पत्रकार महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है | ऐसे पत्रकारों के बीच छत्तीसगढ़ी और गैर छत्तीसगढ़ी की दीवार खींचना डीपीआर पद का दुरूपयोग ही कहा जायेगा | खासतौर पर निजी हितों को ध्यान में रखते हुए सिन्हा द्वारा पत्रकारों के खिलाफ अनर्गल प्रचार से सरकार की छवि पर बुरा असर पड़ रहा है | यही नहीं उनके इस अभियान से छत्तीसगढ़ की समरसता पर भी आंच आ रही है | दरअसल इस प्रदेश के गठन के उपरांत से ही नहीं , बल्कि सैकड़ों वर्षों से कई पत्रकारों का छत्तीसगढ़ से जमीनी नाता रहा है | ऐसे में डीपीआर जैसे महत्वपूर्ण पद पर काबिज अधिकारी का “मिस इन्फॉर्मेशन” उसकी कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगा रहा है |
जानकारी के मुताबिक कई मामलों के आरोपी मुकेश गुप्ता का पुलिस महकमे में तैनात उन महिला कर्मियों से करीब का नाता रहा है जो उसके अवैधानिक कार्यों में कंधे से कंधा मिलाकर सहभागी बनती थी | खबरनबीजों द्वारा इसका खुलासा कर मुकेश गुप्ता के गिरोह में सनसनी फैला दी थी | इस दौरान एक विष कन्या के काले कारनामे भी सामने आए थे | बताया जाता है कि इससे खिन्न होकर तारण सिन्हा ने कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता के निर्देश पर पत्रकारों के बीच गतिरोध उतपन्न करना शुरू किया है | चूँकि स्वयं तारण प्रकाश सिन्हा भी मुकेश गुप्ता से उपकृत रहे है | लिहाजा वो पूर्ववर्ती सरकार के प्रभावशील अफसरों के हाथों की कठपुतली बन गए है |
पुख्ता जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में रायपुर में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन का घोटाला हुआ था | न्यू स्वागत विहार जमीन घोटाले को लेकर तत्कालीन सरकार में रायपुर रेंज में तैनात पुलिस के आला अफसरों ने दो बार अलग अलग जांच के निर्देश दिए थे | दरअसल इस जमीन घोटाले की नींव रायपुर के तत्कालीन एसडीएम तारण प्रकाश सिन्हा की कलम से ही रखी गई थी | उन्होंने ही बतौर एसडीएम न्यू स्वागत विहार कालोनी की अनुमति दी थी | इस दौरान खुलासा हुआ था कि अवैध कॉलोनी की अनुमति देने वालों को यहां कई प्लाट तोहफे में दिए गए है |
सरकारी जमीन के इस घोटाले की गूंज विधानसभा में भी सुनाई दी थी | लिहाजा जांच के दायरे में फंसे तारण सिन्हा को बचाने के लिए मुकेश गुप्ता और विष कन्या ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी | उनके हस्तक्षेप से तत्कालीन एसडीएम तारण प्रकाश सिन्हा की भूमिका की ना तो जांच हो पाई और ना ही रायपुर पुलिस ने इस घोटाले की तह में जाने का प्रयास किया | मामले की जांच ही ठप्प हो गई | नतीजतन आज भी सैकड़ों ग्राहक धोखाधड़ी और आर्थिक मार को लेकर न्यू स्वागत विहार की घोटाले की जांच और इंसाफ के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रहे है | दरअसल पीड़ित ग्राहकों को कॉलोनी के रकबे में भूमि स्वामी के बजाए सरकारी जमीन पर भूखंड दे दिए गए थे |
छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय लगातार यह बात उठा रहे है कि पूर्ववर्ती सरकार के करीबी अफसरों की निष्ठा मौजूदा सरकार के साथ नहीं है | वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार को बदनाम करने में जुटे है | डीपीआर तारण प्रकाश सिन्हा का छत्तीसगढ़ी बनाम गैर छत्तीसगढ़ी की मुहीम इसी कड़ी से जोड़कर देखी जा रही है | बताया जा रहा है कि इस अभियान में तेजी लाने के लिए कुछ चुनिंदा पत्रकारों को डीपीआर की ओर से “लिफाफा” भी पकड़ाया जा रहा है | फ़िलहाल राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा | अन्यथा जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण महकमे से निकल रही छत्तीसगढ़ी बनाम गैर छत्तीसगढ़ी की मुहीम कांग्रेस सरकार की साख पर बट्टा लगाने के लिए जानी पहचानी जाएगी |