छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बगावत, निष्ठावान कार्यकर्ताओं को स्लीपर सेल करार दिए जाने से शुरू हुआ पार्टी छोड़ने का सिलसिला, बस्तर मेयर समेत कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी, पूर्व सीएम भू-पे बघेल के खिलाफ राजनांदगांव में उतरे कांग्रेसी…

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राजनांदगांव/रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर है। ताजा जानकारी के मुताबिक बस्तर के मौजूदा मेयर समेत दर्जनों नेताओं ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में प्रवेश कर लिया है। कई पूर्व विधायक, स्थानीय नेता और दर्जनों कार्यकर्त्ता भी विद्रोह में उतर आए हैं।राजनांदगांव संसदीय सीट के अलावा दर्जनों जिलों में कांग्रेस का हाथ छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। ज्यादातर कार्यकर्त्ता बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। कांग्रेस में बगावत के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को बीजेपी का स्लीपर सेल कहे जाने से कार्यकर्त्ता भड़के हुए हैं। उनका आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल खुद बीजेपी के स्लीपर सेल के मुखिया बन गए हैं। उनके कारनामों से प्रदेश की सभी 11 सीटों पर बीजेपी के कब्जे की संभावनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव के दौरान तत्कालीन भू-पे सरकार के काले कारनामों से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा था। पार्टी को हर हाल में उम्मीद थी कि कम से कम छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार दोबारा बनेगी,सत्ता में काबिज होगी। लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी।भू-पे के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को करारी हार का सामना करना पड़ा था। एक बार फिर लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा हावी है। इसे लेकर पार्टी में विद्रोह की स्थिति बन गई है। कांग्रेस के कई निष्ठावान कार्यकर्त्ता दलील दे रहे हैं कि सच बोलने की सजा उन्हें पार्टी से निष्कासन के रूप में दी जा रही है। यह भू-पे के इशारों पर हो रहा है। इससे आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को गहरा धक्का लगा है। राजनांदगांव के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुरेन्द्र वैष्णव दाऊ को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।

वैष्णव दाऊ वही शख्स हैं, जिन्होंने राजनांदगांव में आयोजित कार्यकर्त्ता सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे के समक्ष तत्कालीन कांग्रेस सरकार की खामियां गिनाई थीं। उनका वीडियो देश-प्रदेश में वायरल हुआ था। बताते हैं कि कांग्रेस की अंदरूनी हालात सुधारने के मामले में वैष्णव दाऊ को पार्टी में हाथों हाथ लिया जा रहा था। इस बीच उन्हें निष्कासित कर दिया गया। उनके इस वायरल वीडियो को पार्टी हित में मील का पत्थर बताया जाता है। कई कार्यकर्त्ता दलील दे रहे हैं कि पार्टी फोरम में नही तो कार्यकर्त्ता कहां अपनी बात रखें ? आम कार्यकर्त्ता उन्हें स्लीपर सेल करार दिए जाने से आहत हैं। कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री और मंत्रियो समेत सरकार में शामिल नेताओं के दरवाजे आम कार्यकर्ताओं के लिए बंद रहे।संगठन ने भी नही सुना, पार्टी को भू-पे हांकते रहे।विधान सभा चुनाव में हार के बावजूद चिंतन मनन नही किया गया है। ऐसे में कार्यकर्त्ता सम्मेलन में नही तो कहां पार्टी को मजबूत बनाने की राय जाहिर कर सकते हैं।

सच बोलने की सजा पार्टी से निष्काषित करके दी जा रही है। उनके मुताबिक सुरेन्द्र दाऊ ने जब यही सवाल भू-पे से पूछे तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सुरेन्द्र दाऊ की तर्ज पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामकुमार शुक्ला भी अब भू-पे के निशाने पर आ गए हैं। हालाकि अभी उनके खिलाफ कोई कदम पार्टी ने नही उठाया है। वे भी भू-पे की नीतियों को लेकर भड़के हुए हैं। रामकुमार कहते हैं कि मेरे जैसे हजारों निष्ठावान कार्यकर्ताओं को पूर्व सीएम बघेल बीजेपी का स्लीपर सेल करार दे रहे हैं। बघेल का बयान गैर जिम्मेदाराना है। इस पर पार्टी अध्यक्ष को कार्यवाही करनी चाहिए।जबकि वे 1976 से पार्टी की सेवा में जुटे हुए हैं, एसे हालात कभी नही बने।उनके मुताबिक भ्रष्टाचार में लिप्त पूर्व मुख्यमंत्री को राजनांदगांव में थोपने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

हाल ही में शुक्ला ने राजनांदगांव से बघेल की उम्मीदवारी रद्द करने को लेकर कांग्रेस आलाकमान को पत्र भी लिखा था। बताते हैं कि सिर्फ सुरेन्द्र वैष्णव और रामकुमार शुक्ला ही नही बल्कि इनके जैसे हजारों कार्यकर्त्ता स्लीपर सेल करार दिए जाने से भड़के हुए हैं। कई गांव कस्बों में कांग्रेसी खुद बघेल के बयानों की निंदा कर रहे हैं. गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे ने उनकी उम्मीदवारी पर सवाल खड़ा करने वाले नेताओं पर तीखा हमला बोला है। बघेल ने एक बयान में कहा था कि पार्टी आलाकमान को लेटर लिखकर उनका विरोध करने वाले कार्यकर्ता बीजेपी के स्लीपर सेल हैं।

उधर भूपेश बघेल सरकार के काले कारनामों से आहत पार्टी कार्यकर्ताओं ने अब कांग्रेस से किनारा करना शुरू कर दिया है। कई कार्यकर्ता कांग्रेस को बेहद कमजोर आंक रहे हैं।बीजेपी में शामिल होने से पहले बस्तर की मेयर सफीरा साहू, पार्षद यशवर्धन राव, पार्षद मानिकराम नाग और पार्षद यशवंत ध्रुव ने कांग्रेस की रीति और नीति को गैर वाजिब बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को भेजे त्याग पत्र में पार्टी के इन नेताओं ने भू-पे की कार्यशैली को लेकर कड़ी नाराजगी भी जाहिर की है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव से पहले बस्तर में कांग्रेसी नेताओं के अचानक पाला बदलने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। जगदलपुर के बाद अंबिकापुर में भी बीजेपी में शामिल होने वालों की होड़ मची है।

जगदलपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय प्रदेश प्रभारी नितिन नवीन और बीजेपी अध्यक्ष किरण देव के समक्ष कई कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है। बताते हैं कि जो कार्यकर्त्ता बीजेपी में शामिल नही हो रहे हैं, वे राजनांदगांव कुच कर भू-पे बघेल के खिलाफ प्रचार अभियान में जुट गए हैं। राजनीति के जानकारों के मुताबिक राजनांदगांव लोकसभा सीट निष्ठावान कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के लिए नाक का सवाल बन गई है। वे भ्रष्टाचार में लिप्त कांग्रेसी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में जुट गए हैं।राजनांदगांव में प्रदेश भर से कई निष्ठावान कांग्रेसी कार्यकर्त्ता भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं।

उन्हें ऐसे प्रत्याशियों के चलते कांग्रेस के सफाए की चिंता भी सता रही है।कांग्रेस के कई निष्ठावान दिग्गज दावा कर रहे हैं कि मतदाताओं का रूख यहां स्थानीय स्तर के स्वच्छ छवि के नेताओं की ओर है। उधर कांग्रेस में मचे घमासान के बीच बीजेपी नेता केदारनाथ गुप्ता ने प्रदेश की सभी 11 सीटों पर जीत का दावा किया है। उनके मुताबिक भ्रष्टाचार में लिप्त और विधान सभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों को लोकसभा में थोपने से कांग्रेस के हौसले मतदान पूर्व ही पस्त नजर आ रहे हैं।

केदारनाथ गुप्ता ने यह भी दावा किया कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। फिलहाल छत्तीसगढ़ कांग्रेस में स्लीपर सेल का मुद्दा कई निष्ठावान कार्यकर्ताओं को मुंह चिढ़ा रहा है। पीड़ित पूर्व सीएम बघेल के खिलाफ कार्यवाही की मांग पार्टी आलाकमान से कर रहे हैं। हालाकि स्लीपर सेल के मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने अभी अपनी कोई राय जाहिर नही की है। ऐसे में पार्टी के भीतर सच बोलने वाले कार्यकर्ताओं की सक्रियता से राजनीति गरमाई हुई है।