Priyanka Gandhi Controvercy : कौन है,प्रियंका गांधी के संजय,निजी सचिव संदीप सिंह पर मुख्यमंत्री बघेल की करीबी अर्चना गौतम के वार से क्योँ मचा बवाल…? चर्चा में प्रियंका और कांग्रेस

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रायपुर / दिल्ली :छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन की कामयाबी के दावों के बीच प्रियंका गाँधी के विशेष सचिव संदीप सिंह की चर्चा जोरो पर है। संदीप सिंह पर कांग्रेस की अभिनेत्री अर्चना गौतम ने गंभीर आरोप लगाए है। अर्चना गौतम को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की हस्तिनापुर विधान सभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कंधे से कंधा मिलाकर अर्चना की जीत के लिए दिन-रात एक कर दिया था।

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हालांकि अर्चना की जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद गुमनामी के दौर में जा चुकी अर्चना गौतम ने अचानक कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनी धमाकेदार एंट्री की। उन्होंने प्रियंका गाँधी के निजी सचिव संदीप सिंह पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में OBC नेताओ की अनदेखी हो रही है। उन्हें पैरो की जूती की तरह इस्तेमाल किया जाता है। अर्चना गौतम इतनी बिफरी हुई थी कि उन्होंने संदीप को उसकी औकात तक दिखाने की चेतावनी दी। 

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प्रियंका गाँधी की राह में फूल बने कांटे,कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन में किसने रखी साजिशों की नींव

रायपुर में कांग्रेस के अधिवेशन में अर्चना गौतम का हमला सुनियोजित बताया जा रहा है। सूत्र बताते कि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह को निशाना बनाने की रणनीति काफी पहले तय हो चुकी थी। हालाँकि प्रियंका गाँधी के हिडन दुश्मनो को अधिवेशन के दौरान उन पर हमला करने का पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाया। बताते है कि अधिवेशन के दौरान प्रियंका गाँधी को अप्रिय स्थिति से बचाने के लिए संदीप सिंह काफी सतर्क थे। लिहाजा विरोधियों को सम्मेलन के दौरान हमला करने का मौका नहीं मिल पाया था। बावजूद इसके अर्चना गौतम के आरोपों से पार्टी आलाकमान सकते में बताया जाता है। 

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इस बीच कांग्रेस नेत्री अर्चना गौतम और उनके गंभीर आरोप चर्चा में है। बताते कि ज्वलंत मुद्दों को लेकर गौतम अर्चना पार्टी के उन नेताओ का झंडा-डंडा मजबूत करने का दावा कर रही है,जो जनकल्याण के लिए खून-पसीना बहा रहे है। मुख्यमंत्री बघेल अपनी इस खास समर्थक की राय को कितना महत्व देते है,यह तो वक्त ही बतायेगा,फिलहाल तो चर्चा संदीप सिंह की जोरो पर है।

संदीप सिंह उस समय सुर्ख़ियों में आए थे जब जेएनयू में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को उन्होंने काला झंडा दिखाया था। इसके बाद वे यूपी में विधान सभा चुनाव के दौर में बड़े रणनीतिकार बने। इस दौर में कोरोना काल की राजनीति चरम पर थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सीएम योगी को पत्र लिखकर यूपी में श्रमिकों के लिए 1000 बसें चलाने की अनुमति मांगी थी। इस दौरान सरकार ने अनुमति देते हुए बदले में ड्राइवरों, बसों की डिटेल मांग ली थी। कांग्रेस की तरफ से सरकार को सूची उपलब्ध कराई गई, लेकिन जब जांच हुई तो सूची में कार, ऑटो, बाइक के नंबर भी मिले थे। इसके बाद बसों को चलाने की अनुमति नहीं दी गई थी। वहीं, बसों की सूची में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज कराया गया था। 

संदीप सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर प्रवासी मजदूरों के लिए एक हजार बसों की सूची में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में अपराध पंजीबद्ध किया गया था। इस मामले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष लल्लू गिरफ्तार हुए थे,29 दिन बाद उनकी रिहाई हुई थी। जबकि संदीप सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से बड़ी राहत मिली थी। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने उनकी अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा था कि,यह कोई आपराधिक मामला नहीं है। उनके वकील नदीम मुर्तजा ने न्यूज़ टुडे से कहा था कि, राजनीतिक प्रतिशोध के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं का मानना है कि प्रियंका गाँधी सिर्फ संदीप की आंखों से देखती हैं,संदीप वास्तव में महाभारत के संजय की भूमिका में है,वे निष्पक्ष राय जाहिर कर उनका मार्गदर्शन करते है,इसके बाद प्रियंका गाँधी अपने फैसले खुद लेती है। हालाँकि कई मौको पर संदीप की राय का मतलब प्रियंका का फरमान होता हैं। कुछ नेताओ के मुताबिक प्रियंका गाँधी के प्रत्येक कदम संदीप तय करते है,जिसे वह नहीं चाहते, उससे प्रियंका का मिलना तक संभव नहीं होता। उधर,अर्चना गौतम ने रायपुर में यही दावा कर संदीप पर हमला बोला है।

जबकि कुछ नेताओ का यह भी मानना है कि प्रियंका से जुड़े मसलो पर सही राय देने का कार्य संदीप ही करते है, इससे कांग्रेस में सुधार आया है,उनके मुताबिक,यूपी में संदीप को ठिकाने लगाने की योजना परवान नहीं चढ़ पाई थी। अब रायपुर में सुनियोजित रूप से उन्हें लेकर विवाद खड़ा किया गया है,इसमें पार्टी के ही असंतुष्ट उन नेताओ का हाथ है,जिनके अरमानो पर संदीप पानी फेर रहे है।   

बताते है कि संदीप को विवादो में घेरने का विरोधियों को मौका मिल पाता,इससे पूर्व संदीप ने उन लोगो का पत्ता पहले ही काट दिया था,जो प्रियंका गाँधी को उनके साथ विवादों में लपेटना चाहते थे। संदीप, अन्ना आंदोलन में भी चर्चित रहे। इस आंदोलन के ख़त्म होते ही कांग्रेस में उनकी एंट्री हुई। कांग्रेस में राहुल गांधी की टीम में उनका नाम सबसे ऊपर था।

यूपी में प्रियंका की पारी मजबूत बनाने की बागडोर भी संदीप ने संभाली थी। वे राहुल के साथ-साथ प्रियंका के निजी सचिव भी बने। संदीप सिंह और विवाद एक दूसरे के पर्याय बताए जाते है। फिलहाल मुख्यमंत्री बघेल की समर्थक अर्चना गौतम के आरोपों को लेकर राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है।

मुख्यमंत्री बघेल ने इस मुद्दे पर अपनी राय अब तक जाहिर नहीं की है। दरअसल,अर्चना गौतम ने पार्टी में OBC वर्ग को ठिकाने लगाने और प्रियंका के सचिव पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने राष्ट्रीय अधिवेशन को भी फिजूल की कवायद बताया था। बताते है कि पार्टी के ही किसी नेता के निर्देश पर अर्चना ने प्रियंका गाँधी को भी कटघरे में खड़ा किया था। हालाँकि बघेल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन की कामयाबी का दावा जरूर किया है।