बिलासपुर / छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों की अवैध उगाही पर हाईकोर्ट ने शिकंजा कस दिया है | स्कूल संचालक और प्राचार्य अब ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई फीस नहीं वसूल पाएंगे | बताया जाता है कि ज्यादातर निजी स्कूलों ने पिछले तीन माह की समस्त शुल्क जमा करा लिया है | स्कूलों के दबाव और छात्रों के हित को देखते हुए पालकों-अभिभावकों ने भी मुंह मांगी फीस स्कूलों में जमा करा दी | अब उन स्कूलों को अदालत के निर्देशानुसार पालकों को अतिरिक्त फीस लौटाना होगा |
बिलासपुर हाईकोर्ट ने निजी स्कूल संघ की एक याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है | स्कूल संघ ने दायर याचिका में कहा था कि कोरोना संक्रमण के चलते सभी स्कूल बन्द है और सरकार का आदेश दिया है कि फीस ना ली जाए | ऐसे में स्टाफ और कर्मचारियों को तनख्वाह भी ज़रूर दी जाए । स्कूल संघ ने अपनी मज़बूरी गिनाते हुए कहा कि ऐसे में बिना फीस के तनखाह कैसे दी जा सकती है ? बताया जाता है कि हाईकोर्ट ने आज स्कूलों को राहत देते हुए फैसला सुनाया है कि निजी स्कूल्स अब सिर्फ टयूशन फ़ीस ही ले सकते हैं ।
उधर छत्तीसगढ़ में कमाई का धंधा बन चुके स्कूल उद्योग ने दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति की है | कोरोना काल में भी वे अवैध वसूली को लेकर बाज नहीं आ रहे है | सालभर तक लगातार सिर्फ कमाई और उस मुनाफे से एक बाद एक नए स्कूलों का संचालन , बेशकीमती जमीनों की खरीदी और कर्मचारियों को सरकारी दर से भी कम वेतन देने के मामले में ज्यादातर स्कूल सुर्ख़ियों में है | कोरोना काल में भी इनकी कमाई जबरदस्त बढ़ चुकी है | ज्यादातर स्कूलों में ऑनलाइन पढाई हो रही है | इससे कई तरह के खर्चों में कटौती हो गई है | पालक संघ ने उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि लगातार लाभ के बावजूद ये स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा सभी शुल्क ले रहे है , लेकिन इसकी रसीद नहीं दे रहे है |