कोहिमा वेब डेस्क / नागालैंड में कुत्ते और उसके मांस की बिक्री पर पाबंदी लगने के बाद स्थानीय लोग नाराज हैं | लोगों का कहना है कि कुत्ते का मांस वो बरसों से खा रहे हैं, खान-पान पर पाबंदी लगाना नाजायज है | ये लोग इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है | इस बीच कुत्ते के मांस की कीमत रातों रात बढ़ गई है |
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यहाँ 200 से 250 रुपये प्रति किलों मिलने वाला कुत्ते का मांस चोरी छिपे 1500 रुपये किलों तक चला गया है | यही नहीं कुत्तों की तस्करी भी शुरू हो गई है | वहीं, मांस के लिए कुत्तों पर हो रही क्रूरता पर कुछ संगठन लंबे समय से आवाज उठाते आ रहे हैं | अब इन संगठनों ने इसकी तस्करी की ओर सरकार का ध्यान दिलाया है | नागालैंड में इसे लेकर नया विवाद छिड़ गया है |
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दरअसल कुत्ते के मांस के शौंकीन सबसे ज्यादा नगालैंड में है | इसके अलावा मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी इसकी खूब मांग है | नागालैंड और असम की सीमा पर बसा दीमापुर कुत्ते के मांस का सबसे बड़ा मार्केट है | नागालैंड में बैन लगने के बाद इसी मार्केट से पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में कुत्तों के तस्करी शुरू हो गई हैं |
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बताया जा रहा हैं कि करीब हफ्ते भर से नागालैंड में चोरी छिपे कुत्तों की तस्करी शुरू हो गई है | दीमापुर के कसाई खानों में कुत्ते ले जा रहे है और यहीं से कुत्तों का मांस लोगों के घरों तक पहुँचाया जा रहा है | बताया जाता है कि कुत्तों को दीमापुर के मार्केट में लाने का काम कई छोटे-छोटे गिरोह को दिया गया है | ये गिरोह असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर से कुत्तों को पकड़कर नगालैंड के दीमापुर मार्केट में लाते हैं | कुत्तों को पकड़ने का रेट 150 से 500 रुपये तक दिया जाता है |
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बताया जा रहा है कि बैन लगने के बाद दीमापुर मार्केट में कुत्ते एक हजार रुपये तक बिकने वाले कुत्ते की कीमत 4 से 5 हज़ार तक पहुँच गई है | बढ़ी हुई मांग के मद्देनज़र कुछ लोग तो कई पालतू कुत्तों को भी पकड़कर दीमापुर के मार्केट में बोरियों में बंद करके ला रहे हैं | उधर दीमापुर में कुत्तों के मांस की बिक्री पर निगरानी रखने के लिए पुलिस की तैनाती की गई है | यहाँ कुत्तों की मांस की बिक्री वाली छोटी दुकानों और कई होटल में इसकी बिक्री के रोक का बोर्ड लगाया गया है |
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नागालैंड के होटल और भोजनालयों में भी कुत्ते का मांस के साथ चावल परोसने वाली थाली पर भी रोक लग गई है | अब चावल के साथ अन्य किसी पक्षी या जानवर का मीट उपलब्ध कराया जा रहा है | इसमें मुर्गे मुर्गी, बगला, चिड़ियाँ, भेड़ और बकरी शामिल है |कुत्तों पर हो रही क्रूरता पर आवाज उठाने वाली संस्था ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल ने नागालैंड सरकार के फैसले का स्वागत किया है | उसके मुताबिक, हर साल 30 से 40 हजार कुत्तों की तस्करी नागालैंड में होती है | नागालैंड सरकार ने ये फैसला फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन की अपील के बाद लिया है |