मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि अब और छह महीने बढ़ सकती है। लगातार जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के चलते केंद्र सरकार ने यह कदम उठाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को राज्यसभा में इस संबंध में प्रस्ताव पेश करेंगे। अगर संसद से इसे मंजूरी मिलती है, तो मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 13 अगस्त 2025 से बढ़कर एक साल हो जाएगी।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह प्रस्ताव 13 फरवरी 2025 को लागू किए गए राष्ट्रपति शासन को आगे बढ़ाने की स्वीकृति मांगता है। संविधान के अनुच्छेद 356(3) के तहत राष्ट्रपति शासन को हर छह महीने पर संसद की मंजूरी से अधिकतम तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
राष्ट्रपति शासन की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था। बीजेपी के अंदर खासकर मैतेई समुदाय के विधायकों के दबाव और मुख्यमंत्री पद को लेकर सहमति न बनने के कारण केंद्र ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी। हालांकि राज्य विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है, लेकिन फिलहाल वह निलंबित स्थिति में है।
मणिपुर में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा मई 2023 से अब तक 250 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है और 60,000 से अधिक लोग बेघर होकर राहत शिविरों में रह रहे हैं। गुरुवार को भी सुरक्षा बलों ने कई जिलों में तलाशी अभियान चलाकर आठ उग्रवादियों को गिरफ्तार किया।
इस बीच, एनडीए के 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मणिपुर में निर्वाचित सरकार की बहाली की मांग की है। उनका मानना है कि राष्ट्रपति शासन से स्थिति नहीं सुधरी है और जनता में असंतोष बढ़ रहा है। हालांकि केंद्र सरकार इसे शांति और स्थायित्व बहाल करने की दिशा में जरूरी कदम मान रही है।
