हरिद्वार/नैनीताल: भगवान भोलेनाथ के कैलाश दर्शन 1 अक्टूबर से शुरू होंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं का जत्था हिमालय पर्वत में अभी से जुटने लगा है। इस बार 22 से 55 साल की उम्र के श्रद्धालु ही पर्वत में जा सकेंगे। यही नहीं राज्य सरकार से मंजूरी के बाद श्राइन बोर्ड ने कैलाश मानसरोवर यात्रा का खर्च लगभग 80 हजार निर्धारित किया है। हिंदुओं के लिए अत्यधिक पवित्र माने जाने वाले कैलाश पर्वत के दर्शन की यात्रा कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने की है। इस बार श्रद्धालुओं को पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओल्ड लिपुलेख दरें पर बनाए गए व्यू पॉइंट से कैलाश पर्वत के अद्भुत नजारे का अनुभव कराया जाएगा। पहाड़ों में अभी से अनगिनत हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे है। यही हाल पिट्टू और खच्चर सुविधा उपलब्ध कराने वाले कारोबारियों का है। पहाड़ों में तीर्थ यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ख़राब मौसम और बारिश के बावजूद उनके हौंसले बुलंद है। कई इलाकों में होटल और गेस्ट हाउस अभी से फुल हो गए है।
कैलाश दर्शन यात्रा शुरू होते ही बाबा केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के पट भी खुलेंगे। ऐसे में देश विदेश के श्रद्धालुओं का यहाँ तांता लगा हुआ है। यात्रा से पहले सभी श्रद्धालुओं की मेडिकल जांच की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी श्रद्धालु स्वस्थ हैं और यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह कदम यात्रा के दौरान किसी भी स्वास्थ्य समस्या से बचने के लिए उठाया जा रहा है।
कैलाश दर्शन यात्रा की बुकिंग केएमवीएन की आधिकारिक वेबसाइट पर आज से शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे जल्दी बुकिंग करें, क्योंकि सीमित स्थानों के कारण पहले आओ, पहले पाओ की नीति लागू होगी। कैलाश पर्वत के दर्शन का यह अवसर न केवल धार्मिक है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का भी एक मौका है। श्रद्धालु इस यात्रा का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं और अपनी आध्यात्मिक यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
न्यूज़ टुडे नेटवर्क से चर्चा करते हुए अधिकारीयों ने बताया कि इस बार, कैलाश यात्रा में भाग लेने के लिए केवल 22 से 55 वर्ष के उम्र के श्रद्धालुओं को ही अनुमति दी गई है। यह निर्णय स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। यात्रा का कुल किराया प्रति व्यक्ति 80,000 रुपये तय किया गया है। पहले यह किराया 75,000 रुपये था, लेकिन बढ़ते खर्चों के कारण इसे बढ़ाना पड़ा। इस पैकेज में हेलीकॉप्टर और जीप का किराया, ठहरने और खाने का खर्च शामिल है।
कैलाश पर्वत, जिसे ‘सती के पति’ भगवान शिव का निवास माना जाता है, भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस पर्वत का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, और इसे ध्यान एवं साधना का अद्भुत स्थान माना जाता है। यह यात्रा न केवल धार्मिक अनुभव प्रदान करती है, बल्कि वहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांति का भी अनुभव कराती है। श्रद्धालु इस यात्रा का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं और अपनी आध्यात्मिक यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक यात्रा चार दिन की होगी, जिसमें प्रत्येक दिन के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की गई हैं। जत्थे का पहला दिन पिथौरागढ़ से गुंजी गांव पहुंचने का होगा। 15 श्रद्धालुओं को सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा पिथौरागढ़ से 70 किमी दूर गुंजी पहुंचाया जाएगा। यहाँ रात बिताने की व्यवस्था की गई है। दूसरे दिन श्रद्धालुओं को गुंजी से 30 किमी दूर आदि कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए ले जाया जाएगा। यहां पर कुछ समय बिताने के बाद, श्रद्धालु फिर से गुंजी लौटेंगे और रात बिताएंगे। तीसरे दिन, श्रद्धालुओं को प्राइवेट गाड़ियों से ओम पर्वत के दर्शन कराए जाएंगे। इसके बाद, सेना के वाहनों से कैलाश व्यू पॉइंट पर ले जाया जाएगा, जहां से श्रद्धालु कैलाश पर्वत का भव्य दृश्य देख सकेंगे। चौथे और अंतिम दिन गुंजी से पिथौरागढ़ लौटने का कार्यक्रम तय किया गया है।