दिल्ली / जयपुर – जयपुर में बीजेपी विधायक दल की बैठक शुरू हो गई है | इस बैठक में गहलोत सरकार से तत्काल सदन में अपना बहुमत साबित करने की मांग की गई है | बैठक में मौजूद तमाम विधायकों ने साफतौर पर कहा कि कांग्रेस सरकार अल्पमत में है | लिहाजा मुख़्यमंती फौरन अपना बहुमत साबित करे | इस बैठक के बाद बीजेपी के विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात करने की पहल भी शुरू की है | उधर पार्टी ने अपने तमाम विधायकों और महत्वपूर्ण पदाधिकारियों को जयपुर बुलावा भेजा है | इसे बहुमत परीक्षण की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है | उधर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत का दावा किया है | उन्होंने यह भी कहा कि सचिन पायलट खेमे के कई विधायक दबाव में है | लेकिन उनके प्रभाव से मुक्त होते ही वे कांग्रेस के समर्थन में खड़े नजर आएंगे |
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उधर राजनैतिक उठापटक के बीच राजभवन और विधानसभा में बहुमत परीक्षण को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है | विधानसभा में सदन के भीतर साफ-सफाई और अन्य तैयारियों को शुरू कर दिया गया है | सूत्र बता रहे है कि मौजूदा संकट को देखते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बहुमत साबित करने का निर्देश जारी कर सकते है | अब राजस्थान में राजभवन और विधानसभा में लोगों की निगाहें टिक गई है | दरअसल सचिन पायलट के रुख से साफ़ हो गया है कि कांग्रेस से बाहर जाने की राह उन्होंने खुद चुन ली है | लिहाजा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी दांव पर है | अब कुछ ही घंटों में उन्हें अपना बहुमत साबित करने के निर्देश मिल ही जाएंगे |
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दरअसल मौजूदा स्थिति में सचिन पायलट और उनके साथ मौजूद विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है | यही नहीं सचिन पायलट यह जरूर कह रहे है कि उनके समर्थक विधायकों की संख्या 25 से ज्यादा है | और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है, लेकिन उनकी तरफ से राज्यपाल को अभी तक इसकी सूचना विधिवत रूप से नहीं दी गई है | उधर सचिन पायलट खेमे के कांग्रेस विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत ने दावा किया कि उनके पास 30 विधायक हैं, लेकिन उन्होंने न कांग्रेस छोड़ने की बात कही और ना ही बीजेपी में प्रवेश की | ऐसे में अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि सचिन पायलट राज्य में अलग पार्टी बनाने की फ़िराक में तो नहीं ?
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दरअसल किसी भी राज्य में ऐसे सियासी संकट में राज्यपाल और विधानसभा स्पीकर के निर्णय सबसे ज्यादा अहम हो जाते हैं | ऐसे समय स्पीकर अमूमन सत्ताधारी दल और मुख्यमंत्री के करीब होते हैं | लिहाजा उनके पद का झुकाव उसी तरफ नजर आता है | जबकि राज्यपाल , केंद्र के दिशा-निर्देश को महत्वपूर्ण मानते हुए उस ओर जोर देता है | राजस्थान में मौजूदा सूरतेहाल में चर्चा इस बात को लेकर भी छिड़ गई है कि इस परिस्थिति में राज्यपाल और विधानसभा स्पीकर की क्या भूमिका होगी |
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ऐसी स्थिति में राज्यपाल की भूमिका क्या होगी, इस मसले पर राजस्थान की राजनीति के जानकार प्रभात मेघावाले बताते है कि ”राज्यपाल की निगाहे सरकार के हर एक कदम पर है | उन्हें केंद्र के निर्देश का इंतजार है | या मुख्य विपक्षी दल और सदन के विधायक उनसे मिले और अल्पमत की सरकार की लिखित सूचना दे | या फिर सचिन पायलट के समर्थक विधायक राज्यपाल के पास जाकर कोई पत्र दें कि वे कांग्रेस से हट गए है , या फिर अलग पार्टी बनाने जा रहे हैं | अर्थात राजभवन में जब राज्यपाल के पास सरकार के अल्पमत में आने का कोई तथ्य पहुंचे , तो राज्यपाल मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश दे सकता है | प्रभात मेघावाले के मुताबिक राज्यपाल को इस मामले में संवैधानिक अधिकार प्राप्त है | उनका कहना है कि जब तक बहुमत का जादुई आंकड़ा कम होने के तथ्य राज्यपाल तक नहीं पहुचंते , तब तक राज्यपाल की भूमिका शुरू नहीं होती |
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उधर राजस्थान विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर अभी कोई नोटिफिकेशन नहीं जारी हुआ है | यहां तक की मानसून सत्र की चर्चा भी नहीं है | प्रभात मेघावाले ने कहा कि अभी तक न तो विश्वास मत की चर्चा है और न ही अविश्वास प्रस्ताव की कोई पहल | उन्होंने कहा कि स्पीकर के भी अपने अधिकार और प्रचलित परम्पराये है | मध्यप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर स्पीकर अड़ंगा लगा सकते है | राजस्थान में भी कोरोना का संक्रमण जोरो पर है | ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वासपात्र विधानसभा अध्यक्ष उनकी राय के पक्षधर होंगे | ना कि राज्यपाल और बीजेपी की मांग को पूरा करने में जोर देंगे | मेघावाले के मुताबिक राजस्थान में भी विधानसभा सत्र और फ्लोर टेस्ट को लेकर अदालत में क़ानूनी दांवपेंच देखने को मिल सकते है |
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उधर राज्य की जनता से लेकर बीजेपी मांग कर रही है कि अगर अशोक गहलोत के पास बहुमत है तो उन्हें तुरंत फ्लोर टेस्ट कराकर इसे साबित करना चाहिए | उधर अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि कांग्रेस की निर्णायक कार्रवाई के बाद सचिन पायलट खेमे की तरफ से कोई कड़ा कदम उठाया जायेगा | अब देखना होगा कि वे बीजेपी में शामिल होंगे या फिर कांग्रेस से विभाजित होकर कोई नया दल गठित करेंगे | दोनों ही सूरतेहाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रवानगी तय मानी जा रही है | हालांकि राजस्थान का नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा , इसे लेकर भी राजनैतिक गलियारों में चर्चा छिड़ी है |