नौसेना की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, नौसेना अपनी ताकत का विस्तार कर रही है

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जामनगर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को यहां भारतीय नौसैनिक पोत (INS) वलसुरा को प्रतिष्ठित ‘प्रेसिडेंट्स कलर’ से सम्मानित करते हुए कहा कि भारतीय नौसेना विभिन्न प्रकार के मिशन को पूरा करने के लिए अपनी ताकत का सतत विस्तार कर रही है. अधिकारियों ने बताया कि किसी सैन्य इकाई को युद्ध और शांति दोनों की स्थिति में उसकी विशिष्ट सेवा को मान्यता देते हुए ‘प्रेसिडेंट्स कलर’ प्रदान किया जाता है. इस अवसर पर राष्ट्रपति के लिए रस्मी समारोह का आयोजन किया गया और उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ भी दिया गया.

कोविंद ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारतीय नौसेना समुद्री क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर रही है. नौसेना किसी भी परिस्थिति के लिए, बीते वर्षों में युद्ध के लिए सदैव तैयार और विश्वसनीय है तथा हिन्द महासागर क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुरक्षा सहयोगी बनकर उभरी है. सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति ने कहा कि यह बहुत ही गौरव की बात है कि भारतीय सेना संकल्प और दृढ़ता के साथ हमारे समुद्री हितों की रक्षा के लिए सतत विकास के पथ पर अग्रसर है.’’ उन्होंने कहा कि नौसेना अपने विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपनी ताकत निरंतर बढ़ा रही है. कोविंद ने कहा, ‘‘भारतीय नौसेना दीर्घकालिक योजनाओं को ध्यान में रखकर तथा विभिन्न मिशन को सफलता के मुकाम तक पहुंचाने के लिए निरंतर अपनी ताकत बढ़ा रही है. वर्ष 1942 में स्थापित आईएनएस वलसुरा भारतीय नौसेना के लिए प्रमुख प्रशिक्षण पोत है.

इसकी जिम्मेदारी भारतीय नौसेना, तटरक्षक और अन्य मित्र राष्ट्रों के अधिकारियों और नाविकों को इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, हथियार प्रणाली और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रशिक्षण देना है. कोविंद ने कहा कि मैं भारतीय नौसेना और आईएनएस वलसुरा के अधिकारियों और नाविकों को बधाई देता हूं. प्रेसिडेंट्स कलर पुरस्कार पाकर आईएनएस वलसुरा की जिम्मेदारी बढ़ गयी है. राष्ट्रपति ने गुजरात के कच्छ इलाके में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप और हालिया बाढ़ के दौरान आईएनएस वलसुरा की सामुदायिक सेवाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उन्होंने जामनगर के सामरिक महत्व का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि जामनगर शहर महत्वपूर्ण औद्योगिक और आर्थिक केंद्र है. जामनगर में -थल सेना, नौसेना और वायुसेना- तीनों सशस्त्र बल हैं, और तीनों बलों की उपस्थिति इसके सामरिक महत्व को रेखांकित करती है. सोर्स- भाषा