‘गरीब’ IAS पूजा खेडकर के पास 17 करोड़ की प्रॉपर्टी, आंखों से देख नहीं सकतीं पर चलाती हैं ऑडी, अब MBBS का झोल भी आया सामने

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महाराष्ट्र के पुणे शहर की रहने वाली ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर का नाम इस समय खूब सुर्खियों में है. पूजा खेडकर को लेकर रोज नए खुलासे सामने आ रहे हैं. उन्होंने खुद को गरीब बताते हुए ओबीसी नॉन क्रिमी लेयर कोटे से IAS की नौकरी हासिल की थी. हालांकि अब पता चला है कि पूजा खेडकर के पास 17 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति है, वहीं उनकी सालाना कमाई 42 लाख रुपये है. इसके साथ ही पूजा के पिता दिलीप खेडकर के पास 40 करोड़ की संपत्ति है. खेडकर ने चुनावी हलफनामे में खुद यह जानकारी दी थी.

पूजा खेडकर ने 2021 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. इस परीक्षा में उनकी ऑल इंडिया रैंक 821 थी. वहीं सामने आया है कि उन्होंने खुद को दिव्यांग भी बताया है. मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, यूपीएससी को दिए गए अपने हलफनामे में खेडकर ने दावा किया कि वह दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार हैं. बताया जा रहा है कि अपने कम नंबर के बावजूद वंचित उम्मीदवारों को दी जाने वाली रियायतों की वजह से पूजा खेड़कर IAS बन सकी है.

हालांकि पूजा खेडकर अपनी प्राइवेट ऑडी कार पर सरकारी लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का चिह्न लगाकर घूमने को लेकर सवाल में घिरी हैं. लोग पूछ रहे हैं कि आखिरी खुद को गरीब और दृष्टिहीन बताने वाली IAS अधिकारी इस महंगी ऑडी कार में कैसे घूमती हैं.

पूजा खेडकर IAS बनने से पहले पेशे से डॉक्टर थीं. उन्होंने 2007 में पुणे के श्रीमती काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज और जनरल अस्पताल में एमबीबीएस में दाखिला लिया था. हालांकि अब इसमें भी बड़ा झोल सामने आ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉलेज के निदेशक अरविंद भोरे ने बताया कि खेडकर ने आरक्षित खानाबदोश जनजाति-3 श्रेणी के तहत नॉन-क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाणपत्र पेश करके एमबीबीएस में प्रवेश हासिल किया था. भोरे ने बताया कि खेडकर ने कुल 200 में से 146 अंक हासिल कर प्रवेश प्राप्त किया था.

पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर एक पूर्व चार्टर्ड ऑफिसर हैं. उन्होंने रिटायर होने के बाद राजनीति में किस्मत आजमाई और वंचित बहुजन अघाड़ी से अहमदनगर लोकसभा चुनाव लड़ा था. दिलीप खेडकर ने तब कहा था कि अगर उन्हें नामांकन मिलता है, तो वह देवी को डेढ़ किलो वजनी चांदी का मुकुट चढ़ाएंगे. खास बात यह है कि उन्होंने अपना वचन निभाते हुए उस प्रतिज्ञा को पूरा किया. हालांकि लोकसभा चुनाव में उनकी किस्मत अच्छी नहीं रही और उन्हें 13 हजार 749 वोट मिले थे.