कोरोना संकट से जूझते नेताओं ने अब किया राजनीति का रुख , कोटा में अध्ययनरत छात्रों की वापसी को लेकर सियासी घमासान , अखाड़े में उतरे तीन मुख्यमंत्री ,  गहलोत-योगी और नीतीश कुमार के बीच जुबानी जंग , भूपेश बघेल और शिवराज सिंह चौहान का सधा हुआ कदम 

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कोटा वेब डेस्क / देश में फैले कोरोना महामारी से जूझते तीन बड़े राज्यों के मुख्यमंत्री लोककल्याण के पथ से यू टर्न मारते हुए राजनीति के अखाड़े में पहुँच गए है | देश को इंजीनियर और डॉक्टर देने वाला राजस्थान का कोटा शहर इन दिनों राजनीति के अखाड़े में तब्दील हो गया है। वैसे तो देश के कई राज्यों के बच्चे यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है | लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने कोटा गए हजारों छात्रों का वहां लॉकडाउन में फंसना राजनैतिक मुद्दा बन गया है | इन राज्यों के करीब 35 हजार फंसे छात्रों की घर वापसी को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है | 

सांकेतिक तस्वीर 

हालांकि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के करीब 10 हजार के लगभग छात्रों के वहां अटकने के बावजूद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री क्रमशः भूपेश बघेल और शिवराज सिंह चौहान बगैर खींचतान के अपने प्रदेश के छात्रों की वापसी सुनिश्चित कर रहे है |  दरअसल, कोटा में फंसे छात्रों की घर वापसी को लेकर कवायदे कुछ दिन पहले ही शुरू हुई थी | लॉकडाउन की वजह से कोटा में फंसे छात्रों ने अपने घर लौटने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई। कोटा में कोरोना का संक्रमण फैलने के बाद उन विद्यार्थियों को वहां से बाहर निकाल घर पहुंचाने की मांग उठने लगी है।

 मामले को तूल पकड़ता देख राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने छात्रों को वहां सर्व सुविधा उपलबध कराने के बजाये उन्हें उनके घर भेजने की स्वीकृति दे दी | सीएम गहलोत ने कहा है कि कोटा में मौजूद छात्रों को संबंधित राज्य सरकार की सहमति पर उनके गृह राज्यों में भेजा जा सकता है। लेकिन विवाद तब बढ़ना शुरू हुआ, जब राजस्थान सरकार की ओर से इन छात्रों को अपने घर लौटने के लिए पास जारी किए जाने लगे। कुछ छात्र अपने गृह राज्य की सीमा पर पहुंचे तो उन्हें रोक दिया गया। लॉकडाउन टूटने का हवाला देकर बिहार सरकार ने केंद्र को तुरंत पत्र लिखकर कहा कि ये लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ है, इसपर तुरंत कार्रवाई की जाए। नितीश कुमार ने इस फैसले पर राजस्थान को आड़े हाथों लिया | उन्होंने उत्तर प्रदेश के रुख पर भी हैरानी जताई | 

दरअसल उत्तर प्रदेश  सरकार ने कोटा में रहने वाले छात्रों को वापस बुलाने के लिए कई बसे वहां रवाना कर दी | राजस्थान ने भी ऐलान कर दिया कि यूपी की तर्ज पर अन्य राज्य की सरकारें भी अपने यहां के छात्रों को बुला सकती हैं।  यूपी सरकार ने अपनी तीन सौ बसें कोटा भेजकर वहां फंसे अपने राज्य के छात्रों को निकालना शुरू कर दिया | छात्रों में घर लौटने की अफरा-तफरी के बीच सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गईं। छात्र जैसे-तैसे बस पर सवार होने लगे हैं। जिसको लेकर लॉकडाउन उल्लंघन एक अलग ही विवाद खड़ा हो गया है।

कोटा का हाल देखने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योगी सरकार के कोटा बस भेजने के फैसले को लॉकडाउन का माखौल उड़ाना बताया है। उन्होंने राजस्थान सरकार से बसों का परमिट वापस लेने तथा कोटा में ही विद्यार्थियों को सुविधा व सुरक्षा देने की मांग की। नीतीश कुमार ने कहा कि एक ओर मजदूरों की घर वापसी पर पाबंदी है , वही दूसरी ओर बसे भेजकर छात्रों की वापसी सुनिश्चित की जा रही है | इससे सड़क मार्ग से लोगों के आने-जाने से लॉकडाउन के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार को कोटा में ही रोककर छात्रों को सुविधा देनी चाहिए |  

सांकेतिक तस्वीर 

कोटा में उत्तर प्रदेश और बिहार के सर्वाधिक छात्र लॉकडाउन का शिकार हुए है | सबसे अधिक उत्तर प्रदेश 7500 छात्र और  बिहार के 6500 छात्र भी अपनी घर वापसी को लेकर हायतौबा मचा रहे है | ज्यादातर विद्यार्थी कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के हॉस्टल और पीजी में निवासरत हैं। उधर पालकों ने अपने बच्चों की वापसी को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है | उनके मुताबिक लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने से अधिक समस्या अकेलेपन और तनाव की है। उनकी दलील है कि यहां छात्रों का समय तनावभरा गुजर रहा है |