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महाराष्ट्र में नहीं थमा सियासी तूफान, अब चाचा पवार ने भतीजे पर चला दांव, क्या NCP तोड़ेंगे अजित?

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में सब ठीक नहीं चल रहा है. पार्टी नेता शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच तनाव की खबरें सुर्खियों में हैं. पिछले दिनों दोनों पक्षों ने विवाद की सुर्खियों को शांत करने की कोशिश की थी लेकिन ऐसा लगता है कि यह कामयाब नहीं हुई है. पुणे में होने वाली संभागीय बैठक से अजित पवार का नाम काट दिया गया है. इसे शरद पवार के अपनी ताकत दिखाने के रूप में देखा जा रहा है.

पुणे में होने वाली इस बैठक में कार्यकर्ताओं को बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) वाली सरकार की नीतियों के विरोध की घुट्टी पिलाई जानी है. इस बैठक में एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी होंगे. एनसीपी के राज्य अध्यक्ष जयंत पाटिल, सांसद और वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल होंगे. जमानत पर चल रहे अनिल देशमुख और छगन भुजबल भी होंगे लेकिन अजित पवार नहीं होंगे.

अजित पवार के बाहर होने से चर्चाएं तेज
इस कैंप में अजित पवार का नाम नहीं होना, कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है. इसके बाद एक बड़ा सवाल जो उठा है, वो यह है कि क्या चाचा शरद पवार को अब अपने भतीजे पर भरोसा नहीं है. आखिर शरद पवार भतीजे को कैंप से दूर रखकर क्या संदेश दे रहे हैं.

इसके पहले अजित पवार ने जब फेसबुक और ट्विटर अकाउंट से पार्टी का झंडा हटाया था तो ही उनके बीजेपी के साथ जाने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं. तब अजित पवार मीडिया के सामने आए और पार्टी छोड़ने की अटकलों को अफवाह बता दिया. शरद पवार ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि चर्चा सिर्फ मीडिया के मन में है, हमारे मन में कोई चर्चा नहीं है. एनसीपी के सभी विधायक पार्टी मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं. बयान बीजेपी का भी आया. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं चलती रहती हैं. कुछ खबरों का आनंद उठाना चाहिए.

अजित पवार का क्यों हैं नाराज ?
इसके बाद मुंबई की एक पार्टी में शरद पवार और छोटे पवार एक इफ्तार पार्टी में मिले तो लगा कि सब शांत हो गया लेकिन तब तक उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना की एंट्री भी इसमें हो गई थी. सामना में एक लेख लिखकर संजय राउत ने कहा कि अजित पवार और एनसीपी नेताओं को बीजेपी ईडी की जांच और जेल जाने का डर दिखा रही है. इस पर अजित पवार भड़क गए और कहा, ये दूसरे लोग एनसीपी के प्रवक्ता क्यों बन रहे हैं. आप जिस पार्टी के मुख पत्र हैं, उस पार्टी की बात कीजिए. मेरे संदर्भ में किसी और को प्रवक्ता बनने की जरूरत नहीं है.

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