रिपोर्टर -उपेंद्र डनसेना
रायगढ़/ 12 वर्ष की आयु में घर छोडक़र जाने वाला खरसिया का बालक अब 19 वर्ष की उम्र में चौकी खरसिया पुलिस को मिला है। प्रारंभिक पूछताछ में बालक उसके साथ किसी प्रकार का अपराध नहीं होना बताया है। गुम बालक अब 19 साल का युवा है, चौकी खरसिया पुलिस उसका सोमवार को न्यायालय में धारा 164 का बयान दर्ज कराकर आगे की कार्रवाई करेगी।
एसपी रायगढ़ संतोष कुमार सिंह महिला एवं नाबालिगों पर घटित अपराधों को लेकर काफी संजीदा हैं, वे स्वयं इन अपराधों की समीक्षा कर प्रभारियों को सचेत किये हैं कि इन अपराधों में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाशत नहीं की जावेगी। उन्होंने महिला संबंधी लंबित प्रकरणों की मॉनिटरिंग एएसपी डॉ. आर.पी. भैया तथा लंबित गुम इंसानों की मॉनिटरिंग एडिशनल एसपी अभिषेक वर्मा के जिम्मे दिये है।
एडिशनल एसपी अभिषेक वर्मा द्वारा लंबित गुम इंसानों की जांच में लापरवाही बरतने वाले थाना/चौकी प्रभारियों को कड़ी फटकार लगाये हैं तथा सभी प्रभारियों को नये सिरे से प्रत्येक गुम इंसान की जांच करने का आदेश उनके द्वारा दिया गया है। यही कारण है कि सभी प्रभारियों के जेहान में उनके यहां के गुम इंसान है जिस कारण सात साल पहले गुम हुए बालक की हल्की सी जानकारी मिलने पर चौकी प्रभारी खरसिया उप निरीक्षक नंद किशोर गौतम रायपुर से लौटते समय बिलासपुर के ट्रांसपोर्टनगर पहुंचे और उनके यहां के गुम बालक को साथ लाकर दस्तायाब किये।
गुम बालक के पीछे की कहानी कुछ मार्मिक है, गुम बालक ओमप्रकाश सिदार पिता उमेश सिदार निवासी हमालपारा खरसिया हाल मुकाम ट्रांसपोर्टनगर बिलासपुर के माता-पिता का निधन हो गया है, वह अपने बुआ, फूफा के साथ खरसिया हमालपारा में रहता था। 12 वर्ष की उम्र में 22 अगस्त 2013 को ओमप्रकाश घर छोडक़र कहीं चला गया।
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उसके फूफा विजय कुमार सिदार द्वारा 01 सितंबर 2013 को गुम इंसान रिपोर्ट चौकी खरसिया में दर्ज कराये जिस पर खरसिया पुलिस द्वारा धारा 363 दर्ज कर बालक की पतासाजी में लिया गया था जिसकी जांच कई प्रभारियों ने किया, वर्तमान चौकी प्रभारी खरसिया उनि नंद किशोर गौतम द्वारा इसकी जांच किया जा रहा है कि 15 अक्टूबर को चौकी प्रभारी उनि गौतम, सउनि लखन लाल यादव शासकीय कार्य से निजी वाहन लेकर रायपुर गये थे, लौटते समय ट्रांसपोर्टनगर बिलासपुर में चाय पीने के लिये रूके। उसी समय उनके वाहन का ड्रायवर बताया कि यहीं ट्रांसपोर्टनगर में खरसिया का एक लडक़ा पिछले 7-8 साल ड्रायवरी कर रहा है, अकेला रहता है।
यह बात चौकी प्रभारी के दिमाग में ठनकी और उस लडक़े से मिलने उसके पास चले गये, पूछताछ में उस लडक़े ने अपना नाम ओम प्रकाश सिदार हमालपारा का रहने वाला बताया तो चौकी प्रभारी को स्पष्ट हो गया कि यह उनके चौकी का गुम इंसान है। तब उन्होंने ओमप्रकाश से घर क्यों नहीं जाते हो बोले तो ओमप्रकाश बताया कि मां-पिताजी तो नहीं है, क्या करने जाउं, वहां मन नहीं लगता। तब चौकी प्रभारी उसे बताये के तुम्हारा चौकी में गुम इंसान दर्ज है, कुछ महत्वपूर्ण काम के बाद तुम वापस चले आना कहकर अपने साथ चौकी खरसिया लाये और अगले दिन सुबह उसकी बुआ और फूफा विजय सिदार को चौकी बुलाकर उसकी पहचान कराये। विजय सिदार और उसकी पत्नी ओमप्रकाश के बांय हाथ में ओमकार का निशान देखकर उसकी पहचान किये, जिससे उसकी दस्तयाबी की गई।
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ओमप्रकाश बताया कि घर में मन नहीं लगने से वह खरसिया से पैदल ही रायगढ़ आ गया था, जिंदल पार्किंग के सामने एक गैरेज में काम किया, उसके बाद एक होटल में काम करने लगा था। जहां उसे एक लडक़े ने गाड़ी चलाना सिखाया। तब से वह जोड़ा बरगिल (ओडिसा) से बिलासपुर ट्रांसपोर्ट में गाड़ी चलाने का काम कर रहा है। उसने अपने साथ किसी प्रकार का अपराध, अत्याचार नहीं होना बताया है। ओमप्रकाश अब युवक है, वापस बिलासपुर जाकर वहीं ड्रायविंग का काम करना चाहता है। चौकी प्रभारी उसे न्यायालय में कथन देकर न्यायालय आदेशानुसार चले जाना बताये हैं। इस प्रकार चौकी प्रभारी उप निरीक्षक नंद किशोर गौतम के कार्य के प्रति संवेदनशीलता है कि उनके एक द्वारा रूचि लेकर एक लम्बे मामले का निराकरण किया गया।