‘शहद में जहर’ : डाबर-पतंजलि-झंडु समेत सभी ब्रांड में मिलावट, नामी गिरामी ब्रांड नाम वाली कंपनियों का घटिया माल बाजार में, शहद में चीन की चाशनी, CSE ने खुलासा कर उपभोक्ताओं को किया सतर्क, शहद में घातक केमिकल, बच्चों – बूढ़ों की सेहत से खिलवाड़

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नई दिल्ली / आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण से लेकर उसके सेवन के तौर – तरीकों में शहद का इस्तेमाल आम बात है। प्राचीन काल से ही इसका उपयोग हो रहा है। लेकिन देश में रोजाना जितनी शहद की खपत है, उतना उत्पादन सालभर में भी नहीं होता | इसके बावजूद कई बड़ी कंपनियां भारी मात्रा में शहद उपलब्ध करा रही है। बाजार में अलग – अलग नामों से बिक रहे शहद की जब गुणवत्ता परखी गई तब एक बड़ा खुलासा हुआ है | इस खुलासे ने कई नामी गिरामी कंपनियों की असलियत जनता के सामने ला दी है | अब जरुरत है, ऐसी कंपनियों के खिलाफ लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने को लेकर वैधानिक कार्रवाई किये जाने की | सीएसई के परीक्षणों में पतंजलि, डाबर, हितकारी, बैद्यनाथ, झंडु और एपिस हिमालय जैसे बड़े ब्रांड का शहद एनएमआर टेस्ट में फेल हो गया। सिर्फ सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर का शहद ही सभी परीक्षणों में पास हो पाया है। 

सीएसई ने उत्तराखंड के जसपुर में एक ऐसी फैक्ट्री खोज निकाली है, जो शहद में मिलावट के लिए सिरप बनाती है। यह कंपनी अपने सिरप के लिए ‘ऑल पास’ कोडवर्ड का इस्तेमाल करती है। सीएसई ने इस कंपनी से शुगर सिरप खरीदा और उसे शुद्ध शहद में मिलाया। जांच के दौरान 25 फीसदी और 50 फीसदी शुगर सिरप वाले मिलावटी नमूने पास हो गए। गौरतलब है कि सॉफ्ट ड्रिंक में कीटनाशक होने का खुलासा भी सीएसई ने ही किया था। यह खुलासा 2003 और 2006 में किया गया था। शहद में मिलावट का मामला सीएसई द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक में की गई मिलावट की खोजबीन से ज्यादा कुटिल और ज्यादा जटिल है। भारत से निर्यात किए जाने शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है।

सीएसई की जांच में सामने आया है कि शहद बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा शुगर सिरप चीन से मंगाया जा रहा है। इसके लिए गोल्डन सिरप, इनवर्ट शुगर सिरप और राइस सिरप का इस्तेमाल किया जा रहा है। जांच के दौरान सीएसई ने चीनी कंपनी अलीबाबा के पोर्टल की छानबीन की। यह कंपनी अपने विज्ञापनों में दावा करती है कि उनका फ्रुक्टोज सिरप भारतीय परीक्षणों को बाईपास कर सकता है। शहद की गुणवत्ता और इसकी शुद्धता का उल्लेख आयुर्वेद में भी किया गया है। आयुर्वेद में इसे अमृत तुल्य इसलिए माना गया है क्योंकि यह मधुमक्खियों द्वारा फूलों के रस से तैयार किया गया तरल पदार्थ है।

लेकिन अब इस शहद में भी जबर्दस्त तरीके से मिलावट हो रही है। इसमें चीन का हाथ होने की बात सामने आई है।  शहद में मिलावट का खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरनमेंट यानी सीएसई ने किया है। सीएसई के मुताबिक, देश के बाजारों में बिक रहे शहद के लगभग सभी प्रमुख ब्रांडों में मिलावट का तथ्य जाँच में सामने आया है। इनमें नामी गिरामी कंपनी डाबर, पतंजलि, झंडु और बैद्यनाथ आदि के नामचीन ब्रांड भी शामिल हैं। सीएसई के मुताबिक, बाजार में बिक रहे शहद में शुगर सिरप मिलाया जा रहा है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण के मुताबिक, शहद से संबंधित यह रिपोर्ट भारत और जर्मनी की प्रयोगशालाओं में हुए अध्ययन पर आधारित है।

इसके बाद सीएसई ने पड़ताल की तो पता चला कि भारत के सभी प्रमुख ब्रांड के शहद में काफी ज्यादा मिलावट मिली। इस दौरान 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई। इस शुगर सिरप की सप्लाई चीन की कंपनी अलीबाबा कर रही है। सुनीता नारायण ने बताया कि इस तरह के शहद की जांच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण के तहत की गई। उस दौरान 13 में से सिर्फ 3 ब्रांड ही पास हुए। उन्होंने कहा कि शहद में इस तरह की मिलावट फूड फ्रॉड है। सुनीता नारायण के मुताबिक, शहद की शुद्धता की जांच के लिए तय भारतीय मानकों के जरिए इस तरह की मिलावट को पकड़ना आसान नहीं है।

दरअसल, चीन की कंपनियां इस तरह का शुगर सिरप तैयार कर रही हैं, जो भारतीय जांच के मानकों पर आसानी से खरे उतरते हैं। सीएसई के मुताबिक, लोग इस वक्त जानलेवा कोविड-19 वायरस से जंग लड़ रहे हैं और उससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। इस कठिन समय में भोजन में चीनी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हालात को और भयावह बना देगा। सुनीता नारायण ने कहा कि कोविड-19 संकट के चलते इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भारतीय शहद का काफी ज्यादा सेवन कर रहे हैं। ऐसे में मिलावटी शहर से मोटापा और वजन काफी ज्यादा बढ़ जाएगा, जिसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं।  

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