प्राइवेट मास्टर पर लिखी गयी कविता,प्राइवेट अध्यापक का दर्द…

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ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!

मोटी मोटी डिग्री लेकर, कुछ चंद पैसे कमाते हैं!
महगांई की इस बीमारी में, उनकी ईमानदारी में!
आओ तुमको कुछ अध्यापकों से मिलवाते हैं !
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

कुछों का तो पिछली साल का भी हिसाब नहीं हुआ है,
और कुछों ने इस साल की सैलरी को भी नहीं छुआ है!

यदि माँगें वे अपनी सैलरी, तो मालिक उन्हें अपनी अपनी सुनाते हैं!
लेकिन ये बेचारे अपनी मजबूरी किसी को भी नहीं बताते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

सोचकर देखों ये अध्यापक, कैसे अपना घर चलाते हैं!
अध्यापक, अभिभावकों से कह कर बच्चों के एडमिशन करवाते हैं!
यहीं अध्यापक कभी अपनी सैलरी के लिए आवाज़ तक नहीं उठा पाते हैं!
ना जाने क्यूँ अध्यापक, अपना दर्द छुपाते हैं!!

जब भी ये बच्चों को पढा़ने कक्षा में जाते हैं!
तो सभी छात्रों में बस अपने खुद कें बच्चे ही देख पाते हैं!
लेकिन जब ये उन्ही छात्रों से सम्मान नहीं पाते हैं!
तो उस अपमान को भी ये हँसते हुए टाल जाते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

इनकी जिंदगी गुज़र जाती है,पढ़ने और पढा़ने में!
ये सोचते हैं कि क्या रखा है, सजने और सजाने में!
इसी कारण ये अपने परिवार की ख्वाइश भी पूरी नहीं कर पाते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

कुछ संस्थाएं पूछती हैं-तुमने इसी अप्रैल यहाँ पढा़ना शुरू किया है,
तो क्या तुमको जून की सैलरी देना सही है!
सहाब! पढा़ते तो तुम भी नहीं हो बच्चों को जून में,
तो क्या अभिभावकों से जून में फीस लेना सही है!
इन स्कूलों को, ये मालिक खुद नहीं चलाते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

जब भी कभी ये अपने हक की आवाज उठाते हैं!
तो ये बिना किसी कारण स्कूल से निकाल दिए जाते हैं!
नौकरी जाने के डर से ये कभी कुछ कह नहीं पाते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

इन्हे बच्चों की पढा़ई और परिवार का दर्द सताता रहता है!
लेकिन इनका अपना फ्यूचर तक सीक्यौर नहीं रह पाता हैं!
ये फिर भी अपने मान सम्मान की खातिर कभी किसी के सामने हाथ तक नहीं फैला पाते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

परेशां ना हो इनके बीवी बच्चे, इसलिए उनसे अपना दर्द छुपाते हैं!
इनको दु:खी देखकर जब वो(बीवी-बच्चे) कारण पूछना चाहते हैं!
कोई बात नहीं है, ऐसा कहकर हँसते हुए टाल जाते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

इस डायन महगांई में ना जाने कितने अध्यापक हर साल मारे जाते हैं!
मोदी जी कुछ इनकी भी सोचो, ये बस आपसे ही फ़रियाद लगाते हैं!
अन्यथा करेंगे हम भी चुनावों का बहिष्कार, अपने दिल की तुमको हम बताते हैं!
ना जाने अध्यापक, क्यूँ अपना दर्द छुपाते हैं!!

प्राईवेट अध्यापक का दर्द✍️✍️

कृष्ण कुमार तिवारी

वार्ड नंबर -21, कृष्णा कॉलोनी, हीटर वाली गली,होडल, पलवल (हरियाणा)।
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