PMGSY में हुए भ्रस्टाचार के लपेटे में पूर्व एसीएस एमके राउत |सरकार को लगाया गया अरबो का चूना | शुरू हुई जांच |

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बीजेपी शासनकाल में PMGSY में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो गई है | इस मामले में ग्रामीण और पंचायत विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव एमके राउत घिर गए है | बताया जाता है कि प्रदेश की महत्वपूर्ण नदियों में बने ज्यादातर स्टॉप डेम उन्ही के प्रमुख सचिव बनने के कार्यकाल में ही निर्मित हुए थे ,और उनके रिटायर होने से पहले ही ध्वस्त भी हो गए | गौर करने लायक बात यह है कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव व एसीएस रहते उनके टेबल पर घटिया निर्माण कार्य संबधी दर्जनों शिकायत रोजाना आते रही | लेकिन उन्होंने ना तो उन शिकायतों का निपटारा किया और ना ही घटिया स्टॉप डेम और सडको का रुख किया | नतीजतन PMGSY तत्कालीन पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री  से लेकर ठेकेदारों और अफसरों के लिए अवैध आय का जरिया बन गई | यह भी बताया जा रहा है कि घटिया निर्माण कार्य ख़ासतौर पर स्टॉप डेम , पुल पुलिया और सड़को की खस्ता हालत को लेकर शिकायतों की जांच का पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय ने एमके राउत के कार्यकाल में ही भेजा था | लेकिन इस अफसर ने उस पत्र को आलमारी में कैद कर दिया | ताकि PMGSY  की पोल ना खुल सके | लेकिन अब सरकारी रकम के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार की जांच शुरू हो गई है | 

             छत्तीसगढ़ में PMGSY के तहत राज्य के ग्रामीण इलाको की कायाकल्प करने के लिए अरबो रुपए पानी की तरह बहाए गए | लेकिन जनता को इसका उतना फायदा नहीं मिल पाया जितना की सरकारी तिजोरी से ठेकेदारों को भुगतान हुआ था | अब PMGSY की असलियत जनता के सामने आ रही है |  PMGSY के तहत राज्य भर मेंनिर्मित ज्यादातर स्टॉप डेम पहली बारिश में ही बह गए थे | यही हाल डेढ़ दर्जन जिलों में निर्मित पुल पुलिया और सड़को का है, जो तत्कालीन पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर और विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव एमके राउत के कार्यकाल में निर्मित हुए थे | नियमानुसार स्टॉप डेम और पुल पुलिया व सड़को की निश्चित आयु होती है | समय पूर्व उसका नेस्तानाबूत हो जाना उस निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सवालिया निशान लगाता है | बताया जाता है कि रायगढ़ के जिस सुनील अग्रवाल नामक ठेकेदार की कंपनी ने यह निर्माण कार्य किया था उसे तत्कालीन मंत्री और प्रमुख सचिव का खुला संरक्षण प्राप्त था | इसके चलते घटिया निर्माण कार्यो की तमाम शिकायते रद्दी की टोकरी में डाल दी गई थी | प्रभावित ग्रामीण इलाको के किसानो और आम नागरिको ने PMGSY  के आलाधिकारियों , मंत्रियों और तत्कालीन मुख्यमंत्री को भी इस बाबत शिकायत की थी | लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई थी | 

  फ़िलहाल घटिया स्टॉप डेम , पुल पुलिया और सड़को की गुणवत्ता को लेकर PMGSY के अफसर अब काफी सक्रिय नजर आ रहे है | बीजेपी शासनकाल में ग्रामीणों द्वारा की गई तमाम शिकायतों का निपटारा शुरू हो गया है | आलमारियों में कैद तमाम फाइलों और नोटशीट को खंगाला जा रहा है | बताया जा रहा है कि PMGSY में हुए भ्रष्टाचार में लिप्त आलाअफसरों के खिलाफ FIR दर्ज कर वैधानिक  कार्रवाही की जाएगी | यहां तक कि अफसरों और ठेकेदारों की जिम्मेदारी तय कर उनसे अपने जेब में डाली गई सरकारी रकम की पूरी वसूली भी होगी | PMGSY का महकमा ठेकेदारों को सचेत कर रहा है कि गुणवत्ता से समझौता करने वालो की अब खैर नहीं |