नई दिल्ली। वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और ट्रंप प्रशासन के नए टैरिफ दबावों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से स्वदेशी अपनाने की अपील की है। उन्होंने दुकानदारों से आग्रह किया है कि वे अपने प्रतिष्ठानों पर “यहां स्वदेशी बिकता है” का बोर्ड लगाएं और ग्राहकों से कहा कि वे त्योहारों के मौसम में भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें।
यह पहल सीधे तौर पर ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों की अगली कड़ी है। 2014 में शुरू हुआ मेक इन इंडिया अभियान भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का लक्ष्य लेकर आया, जिससे मोबाइल और फार्मा सेक्टर में उल्लेखनीय प्रगति हुई। वहीं, कोविड-19 काल में वोकल फॉर लोकल ने उपभोक्ताओं को घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। अब पीएम मोदी का स्वदेशी कार्ड उसी दिशा को और आगे ले जाने का प्रयास है।
प्रधानमंत्री का स्पष्ट संदेश है कि आज की वैश्विक राजनीति आर्थिक हितों के इर्द-गिर्द घूम रही है और भारत को आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से कदम बढ़ाने होंगे। स्वदेशी को अपनाने से न केवल स्थानीय उद्योग, किसान और लघु उद्यम सशक्त होंगे, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल से भारत की उत्पादन क्षमता तो बढ़ी है, लेकिन निवेश और रोजगार में अभी भी चुनौतियां मौजूद हैं। ऐसे में स्वदेशी कार्ड तभी सफल होगा, जब सरकार उत्पादन लागत घटाने, गुणवत्ता सुधारने और छोटे उद्योगों को आसान पूंजी उपलब्ध कराने जैसे ठोस कदम उठाए।
