
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात के भावनगर में आयोजित ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम में देश की समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए 70 हजार करोड़ रुपये की तीन नई योजनाओं का ऐलान किया। पीएम मोदी ने कहा कि इन योजनाओं से न केवल भारत की समुद्री शक्ति (Maritime Power) मजबूत होगी बल्कि करीब दो करोड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
मोदी ने जोर देते हुए कहा, “चिप हो या शिप, हमें भारत में ही बनाने होंगे। आत्मनिर्भर भारत के लिए समुद्री क्षेत्र का विकास बेहद आवश्यक है।” उन्होंने इस अवसर पर 34,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
तीन बड़ी योजनाएं
- शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम – 25 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान।
- मैरिटाइम डिवेलपमेंट फंड – 25 हजार करोड़ रुपये का फंड, जिससे सेक्टर को लंबे समय तक सहारा मिलेगा।
- ग्रीनफील्ड शिपबिल्डिंग मेगा क्लस्टर्स – 20 हजार करोड़ रुपये, जिसमें पोर्ट विस्तार, लैंड कनेक्टिविटी और जहाज निर्माण क्लस्टर्स शामिल।
शिपिंग सेक्टर की स्थिति
पीएम मोदी ने बताया कि भारत शिपबिल्डिंग और जहाज स्वामित्व में दुनिया में 16वें स्थान पर है। देश के पास मौजूद जहाजों में केवल 7% ही भारत में बने हैं। उन्होंने कहा कि 50 साल पहले भारत का 40% व्यापार घरेलू जहाजों से होता था, जो घटकर अब 5% रह गया है।
विदेशी कंपनियों पर निर्भरता
मोदी ने आंकड़ा साझा किया कि भारत हर साल विदेशी शिपिंग कंपनियों को 75 अरब डॉलर (करीब 6 लाख करोड़ रुपये) माल ढुलाई के लिए चुकाता है। यह पैसा विदेशी देशों में नौकरियां पैदा करता है जबकि भारत इससे वंचित रह जाता है।
नौवहन व्यवस्था में सुधार
पीएम मोदी ने घोषणा की कि देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को ‘एक राष्ट्र, एक दस्तावेज’ और ‘एक राष्ट्र, एक बंदरगाह’ से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा, पांच समुद्री कानूनों को नया रूप दिया गया है, जिससे प्रशासन और नौवहन व्यवस्था में बड़े बदलाव आएंगे। उन्होंने बताया कि अब बड़े जहाजों को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया गया है, जिससे शिपबिल्डिंग कंपनियों को बैंक से ऋण लेना आसान होगा और उन्हें कम ब्याज दरों का फायदा मिलेगा।