पेट्रोल चोर IPS अधिकारी, 1 करोड़ के पेट्रोल चोरी के लिए शैतानी खोपड़ी का इस्तेमाल, जांच प्रमाणित लेकिन DGP कुम्भकर्णीय नींद में, छत्तीसगढ़ में आल इंडिया सर्विस का मकसद सिर्फ भ्रष्टाचार…..   

0
249

दिल्ली/ रायपुर: छत्तीसगढ़ में आईएएस – आईपीएस और आईएफएस अधिकारीयों के काले कारनामे सुर्ख़ियों में है। उनकी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। मौजूदा जांच रिपोर्ट यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि ऐसे अफसर आल इंडिया सर्विस कोड ऑफ़ कंडक्ट की ना केवल धज्जियाँ उड़ा रहे है, बल्कि सरकार के कार्यों को जनता तक पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे है। इनके द्वारा घोटालों को सेवा का मूल मंत्र मान लिया गया है। आईटी – ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों ने ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कर बाकायदा उनके खिलाफ प्रतिकूल टिपण्णी के साथ क़ानूनी कार्यवाही किये जाने की सिफारिश भी की है। प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य सरकार को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया था। लेकिन राजनैतिक दबाव में दागी अफसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी।

ED के निर्देशों की अवहेलना के बाद प्रदेश में आल इंडिया सर्विस के कुछ जिम्मेदार पदों पर आसीन अधिकारियों ने अपने दागी साथियों को बचाने की मुहीम छेड़ दी है। इसमें वर्ष 2005 बैच के कतिपय आईपीएस अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है। छत्तीसगढ़ कैडर के दर्जनों आईपीएस अधिकारियों द्वारा आल इंडिया सर्विस को अपनी कमाई का जरिया और सरकारी पदों को उद्योग – धंधा बना लिया गया है।

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में पूर्व एसपी ने खुद के ट्रांसफर के पहले थानेदारों के थोक के भाव किए तबादले, विवादों में लिस्ट

नतीजतन जनता का बुरा हाल है। पीएम मोदी के ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा, जैसे संकल्पो को दागी अफसर सिर्फ शिगूफा करार दे रहे है। उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही नहीं होने से मौजूदा बीजेपी सरकार के दैनिक कार्य प्रभावित होने लगे है। पूर्ववर्ती भूपे सरकार की तर्ज पर विष्णु देव साय सरकार को अपने जेब में रखने जैसे साहसिक कार्यो में व्यस्त दागी आईपीएस अधिकारियों के काले कारनामे चर्चा में है। 

ताजा जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के SP और कलेक्टर का तबादला कर दिया गया है। हाल ही में एक प्रदर्शन के दौरान कलेक्टर और SP के दफ्तर को आग के हवाले करने की घटना को अंजाम देने के चलते यह जिला प्रदेश में ही नहीं बल्कि देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल इस इलाके में एक साधारण विरोध प्रदर्शन और धरने ने अचानक उग्र रूप ले लिया था। यहाँ एक बड़ी भीड़ ने हिंसक प्रदर्शन के दौरान कानून व्यवस्था की पोल खोल दी। इस घटना से सरकार के माथे पर बल पर गया है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि पूर्ववर्ती बघेल सरकार की गोद में बैठे लोगों ने ही सुनियोजित रूप से इस घटना को अंजाम दिया है। इलाके में तनाव और बवाल के बाद  हालांकि अब शांति बहाली हो चुकी है। क़ानून व्यवस्था बिगड़ने के मामले को विष्णु देव साय सरकार ने गंभीरता से लिया है। घटना की जुडिशियल जांच कराई जा रही है। जबकि बलौदाबाजार जिले के कलेक्टर कुमार लाल चौहान और पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार को हटा दिया गया है। 

ताजा मामला भी वर्ष 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी सदानंद कुमार की कार्यप्रणाली से जुड़ा है। दस्तावेज बताते है कि वे लगभग 1 करोड़ की पेट्रोल चोरी में दोष सिद्ध पाए गए है। इस अधिकारी ने सरकारी तिजोरी को चूना लगाने में शैतानी खोपड़ी का इस्तेमाल किया था। बताते है कि लगभग 1 करोड़ रुपये हजम करने के बाद बलरामपुर जिले के तत्कालीन SP ने डकार तक नहीं ली थी। बल्कि शिकायतकर्ताओं पर ही कहर बनकर टूट गए थे। जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि शिकायत वापसी के लिए कई लोगो पर दबाव भी बनाया गया था। हालांकि शिकायत 100 फीसदी सही पाई गई। इलाके के SP ने 1 करोड़ की पेट्रोल चोरी का ताना – बाना कैसे बुना था, इसका हवाला भी विभागीय जांच में सामने आया है। जांच में पाया गया कि सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई थी। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ कों यह विभागीय जाँच रिपोर्ट हाथ लगी है। इसमें आईपीएस अधिकारी सदानंद कुमार की कार्यप्रणाली का एक मात्र नमूना दर्ज पाया गया है। जबकि उनके खिलाफ कई ऐसी गंभीर शिकायते लंबित बताई जाती है। 

भूपे सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन सुपर सीएम सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा के खास ‘सेवक लाल’ के रूप में सदानंद कुमार ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। EOW में बतौर SP के रूप में उनका कार्यकाल काले कारनामों के जीते – जागते सबूतों के रूप में दर्ज है। इस दौरान उन्होंने बतौर आईपीएस अधिकारी के अधिकारों और कर्तव्यों के विपरीत जाकर नान घोटाले के आरोपियों की गैरकानूनी मदद की थी। उनकी कार्यप्रणाली EOW के SP के बजाय भूपे गिरोह के ‘अर्दली’ के रूप में आंकी गई है। 36 हज़ार करोड़ के नान घोटाले में EOW की जाँच प्रभावित करने के मामले में सदानंद कुमार की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।

बताते है कि मौजूदा बीजेपी सरकार के सिस्टम में शामिल होने के बावजूद वे अभी भी भूपे गिरोह के सतत संपर्क में थे। बलौदाबाजार की घटना को पूर्व नियोजित बताया जा रहा है, इस मामले में पुलिस की कमजोर विवेचना की कड़ी भूपे गिरोह के राजनैतिक हाथों में बताई जा रही है। इसमें पी सदानंद की भूमिका जांच के घेरे में है। टुटेजा और सौम्या चौरसिया समेत विभिन्न घोटालों में शामिल नौकरशाहों के ठिकानों में आईटी – ईडी की छापेमारी में कई ऐसे डिजिटल सबूत एजेंसियों के हाथ लगे है, जिससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में आल इंडिया सर्विस के कई अधिकारी ‘सेवा का धंधा’ कर रहे है।

यह तथ्य सदानंद कुमार के खिलाफ विभागीय जांच में भी सामने आया है। दरअसल ईडी की जांच में लगभग आधा दर्जन आईपीएस अधिकारीयों  की ऐसी चैटिंग सामने आई थी, जिससे पता पड़ता है कि वे आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल, सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा के ‘गुर्गों’ के रूप में कार्य कर रहे थे। इन अफसरों में पी सदानंद का नाम भी शामिल है। वे अदालत में शासन  का पक्ष रखने के बजाय विवेचना कमजोर कर आरोपियों की वकालत में जुटे पाए गए थे। उनकी चैटिंग कानून के उल्लंघन के दायरे में बताई जाती है। 

पुलिस वाहनों में पेट्रोल की खपत आसमान छू रही है। इसमें एक कारण सुनियोजित भ्रष्टाचार भी है। एक शिकायत की जांच के बाद करोड़ो की पेट्रोल चोरी का ना केवल पर्दाफाश हुआ है, बल्कि आल इंडिया सर्विस का महत्वपूर्ण सदस्य ही बतौर मास्टरमाइंड इसमें लिप्त पाया गया है। मामला भूपे राज के बेमिसाल, वर्ष 2020 का बताया जाता है। अंबिकापुर रेंज के IG ने पेट्रोल चोरी मामले की जांच की थी। इस जांच में बलरामपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार पेट्रोल की चोरी, पद के दुरूपयोग और सरकारी रकम के गबन के मामले में दोष सिद्ध पाए गए है। उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही करने की सिफारिश अंबिकापुर रेंज के IG ने मौजूदा DGP को सौंपी थी। बताते है कि उस महत्वपूर्ण फाइल को अपनी आलमारी में रखकर डीजीपी चैन की बंशी बजा रहे है।

पूर्ववर्ती भूपे सरकार के कार्यकाल में बतौर रबड़ स्टेम्प उपयोग में आने वाले डीजीपी की कार्यप्रणाली मौजूदा बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी पहले की तर्ज पर यथावत नजर आ रही है। पुलिस मुख्यालय में बलौदाबाजार आगजनी कांड को लेकर गहमा – गहमी है। सूत्रों के मुताबिक कई वरिष्ठ अफसर डीजीपी की कार्यप्रणाली से असहज महसूस कर रहे है। उनके मुताबिक रिटायर डीजीपी को सेवा निवृत्ति के बाद भी आखिर क्यों ढोया जा रहा है,यह उनकी समझ से परे है। राज्य के कई आईपीएस अधिकारियों की आपराधिक गतिविधियों से आम जनता ही नहीं बल्कि खाकी वर्दीधारी उन अधिकारियों और कर्मचारियों की हालत खस्ता है, जो नियम कायदों और कानून के दायरे में अपने कर्तव्य पालन में जुटे है। कहते है कि ऐसे अफसरों की वजह से ही आल इंडिया सर्विस का झंडा बुलंद है, अन्यथा सेवा का मेवा लूटने वालों की कतार रोजाना लंबी हो रही है। 

जानकारी के मुताबिक पिछले 2 सालों से दागी आईपीएस अधिकारी सदानंद कुमार के खिलाफ जांच प्रमाणित होने के बावजूद कार्यवाही लटकी हुई है। बताते है कि अन्य दागी अफसरों की तर्ज पर इन्हे भी डीजीपी का अवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। सूत्रों के मुताबिक दागी आईपीएस अफसरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने के बजाय कई वरिष्ठ अधिकारी भी उनके ही रंग में रंगने लगे है। दागी अफसरों की ‘CR’ चमकाई जा रही है, भले ही वे कानून और जांच एजेंसियों की नज़रों में घोटालेबाज क्यों ना हो ? प्रदेश में आईटी – ईडी की जांच में कई ऐसे अधिकारियों की कार्यप्रणाली चर्चा में है, जिनके खिलाफ पद के दुरूपयोग और किसी पेशेवर गुंडे बदमाशों की तर्ज पर अवैध उगाही की घटनाओं को अंजाम देने के गंभीर आरोप भी प्रमाणित पाए गए है। 

दागी आईपीएस अधिकारियों को भूपे राज में कभी राजनैतिक दबाव में तो कभी लेनदेन के चलते विशेष सरकारी संरक्षण प्राप्त होता था, लेकिन अब फ़िजा बदल चुकी है। मोदी सरकार के सपनों को पूरा करने के लिए विष्णु देव साय सरकार तन – मन – धन से जुटी हुई है। इस बीच नौकरशाही के दागी तत्व उसके सामने नई चुनौतियां पेश कर रहे है। यह देखना गौरतलब होगा कि दागी अफसरों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही के साथ – साथ सरकारी धन की वसूली कब और कैसे मुकम्मल होती है। छत्तीसगढ़ में आल इंडिया सर्विस के कई तत्व सुर्खियों में है। देश की महती संघीय सेवा को कमाई का जरिया बनाये जाने से प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होने लगी है। इस समाचार प्रकाशन का उदेश्य किसी व्यक्ति विशेष या अधिकारी की मानहानि करना नहीं है, अपितु ऐसे अधिकारियों की कार्यप्रणाली से जनता को रूबरू कराना है, जिसके कारण आल इंडिया सर्विस की साख पर बट्टा लग रहा है, आम जनता का उस पर से विश्वास लगातार उठने लगा है।