देश में बढ़ते भ्रष्टाचार की रफ़्तार थामने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका, भष्ट्राचारियों पर लगाम लगाने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की लगाई गई गुहार

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नई दिल्ली / भष्ट्राचार के मामले ने भारत तेजी से अव्वल नंबर की ओर बढ़ रहा है | देश में ऐसा कोई राज्य नहीं है, जहाँ भ्रष्टाचार बेलगाम ना हो | नौकरशाही हो या राजनेता और कारोबारी, ज्यादातर लोग टेक्स चोरी और भष्ट्राचार को मूल मंत्र मानकर देश की जड़े खोखली कर रहे है | लिहाजा देश में फलते – फूलते भष्ट्राचार की रफ़्तार को कम करने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई गई है।

याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से कहा है कि केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को इसके लिए एक विशेषज्ञ कमेटी गठित करने का निर्देश दे। यह कमेटी वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत की ‘अशोभनीय’ रैंकिंग को सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह देगी।

याचिककर्ता ने कहा कि अब वक़्त आ गया कि वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधरनी चाहिए | भारत इस साल भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 180 देशों के बीच 80वें स्थान पर रहा था। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सूचकांक ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की तरफ से तैयार किया जाता है, जो इन देशों में सार्वजनिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के स्तर पर आधारित माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका भाजपा नेता व एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दाखिल की गई थी।

उन्होंने शीर्ष अदालत से विशेषज्ञों की एक समित गठित करने की मांग की, भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में पहले 20 देशों में शामिल देशों में लागू भ्रष्टाचार निरोधी उपायों का परीक्षण करेगी | यह कमेटी रिश्वतखोरी, काला धन जुटाने आदि के खिलाफ उठाए गए कदमों को भी देखेगी।

वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दाखिल इस याचिका में भारतीय कानून आयोग और गृह मंत्रालय और कानून व न्याय मंत्रालय को भी पार्टी बनाया गया है। माना जा रहा है कि इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट का हर एक कदम भष्ट्राचारियों की नाक में नकेल डालने के लिए कारगर साबित होगा |