पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को ढूंढने लगी जनता, इसने पद का दुरुपयोग नही बल्कि किया है पाप, भ्रष्ट नेता और नौकरशाहों के खिलाफ कारवाई की मांग, भरी दोपहरी अनशन पर बैठा यह शख्स…

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रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बरगद के पेड़ के नीचे जारी एक आमरण अनशन चर्चा में है। इसके शुरू होने के पूर्व प्रदर्शनकारियों ने स्वामी विवेकानंद की विशालकाय प्रतिमा को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें प्रदेश के भ्रष्ट नेताओं और दागी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की गई है। बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद भू-पे बघेल को जनता ने कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनकी लूटपाट और भ्रष्टाचार को अपराध नही बल्कि पाप करार दिया जा रहा है।

 छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद राज्य की विष्णुदेव साय सरकार की जहां पीठ थपथपाई जा रही है वहीं अब अग्निपरीक्षा का दौर भी शुरू हो गया है। प्रदेश की 11 में से 10 सीटों पर कब्जे के साथ ही जनता ने बीजेपी को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है। विधान सभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी को लोकसभा में भी अच्छा प्रतिसाद मिला है। उसके वोट बैंक में लगभग तेरह फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है, जाहिर है जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को भी तगड़ी मेहनत करनी होगी। अब बारी नगरीय निकाय चुनाव की है। चंद महीनों में ही इसकी रणबेरी बजने वाली है, यही नही पंचायती राज चुनाव भी सिर पर है ऐसे समय जनता से किए गए वादों को लेकर बीजेपी की अग्निपरीक्षा का दौर भी शुरू हो गया है।

 छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती भू-पे सरकार की कालिख से खुद को बचाते हुए प्रशासनिक और विकासात्मक गतिविधियों को अंजाम देना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। साय सरकार के बीते 6 माह के कार्यकाल में भू-पे कांग्रेस ब्रिगेड नौकरशाही ने जिस तर्ज पर बीजेपी के कई क्षत्रप नेताओ को साध लिया है, उससे जनता के बीच नकारात्मक स्वर भी सुनाई देने लगे हैं। ताजा मामला कांग्रेस शासनकाल में सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने वाले नेताओं और दागी नौकरशाहों से जुड़ा है। इनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की मांग को लेकर आजाद जनता पार्टी सड़को पर है। प्रदेश के राजनैतिक पटल

पर हाल ही मे अस्तित्व में आए इस दल को पुलिस परिवारो समेत उन नवजवानों का समर्थन मिल रहा है, जो शोषण और प्रताड़ना का शिकार हुए हैं। उज्ज्वल दीवान इस पार्टी के अध्यक्ष हैं। वे पुलिस कर्मी रह चुके हैं। पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश और उनके अधिकारों को लेकर उज्ज्वल ने विभाग से ही दो-दो हाथ किया था। आखिरकर जहां उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा वहीं सरकार ने उनकी मांगों की पूर्ति तो की, लेकिन आदेशों को कार्यरूप में परिणित नही कर पाई। कांग्रेस के बाद बीजेपी सरकार में भी पुलिस कर्मियों को साप्ताहिक अवकाश स्वीकृत करने के निर्देश मिलते हैं, लेकिन ज्यादातर जिलों में इसपर अमल नही किया जा रहा है। उज्ज्वल दीवान अब दागी नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे हैं।

आजाद जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल की गिरफ्तारी की मांग की है। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री पद पर रहते बघेल ने कई घोटालों को अंजाम दिया है। इतने महत्वपूर्ण पद के दुरुपयोग के चलते सरकारी तिजोरी खाली हो गई है। छत्तीसगढ की गरीब जनता का पैसा हवाला के जरिए दुबई और खाड़ी देशों तक पहुंच गया है। वहां इस रकम से बड़ी होटलें की खरीदी और रियल एस्टेट कारोबार में निवेश भी किया गया है। इसकी पुख्ता जानकारी केन्द्रीय जांच एजेंसी ED के पास भी है, बावजूद इसके उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, जबकि घोटालों में कई छोटे अधिकारी और कर्मीयों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है।

उन्होंने सरकार से पूछा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को क्लीन चिट दे दी गई है ? दीवान ने कहा कि बघेल के खिलाफ दर्जनों मामले सुर्खियों में होने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से एक मात्र EOW में सिर्फ 6 हजार करोड़ के महादेव ऐप घोटाले में ही FIR दर्ज की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बगैर मुख्यमंत्री की अनुमति और संरक्षण के किसी भी सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार नही हो सकता, लेकिन कांग्रेस शासन ने लगभग सभी 55 विभागों में घोटालों की झड़ी लगी है। सभी घोटालों में असली लाभार्थी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके संगी साथी दागी नौकरशाह शामिल हैं। इन्हें भी मौजूदा समय संरक्षण मिल रहा है, ED और EOW की जांच प्रभावित की जा रही है। उन्होंने मांग की है कि दागी नौकरशाहों को फोर्सफुल रिटायरमेंट देना चाहिए, अन्यथा बगैर इस ठोस कदम के प्रदेश के शासन प्रशासन को भ्रष्टाचार मुक्त नही किया जा सकता।

PSC घोटाले में हजारों नौजवानों का भविष्य अंधकारमय हो गया है, उनकी आयु भी अब बढ़ गईं है, पीड़ित नौजवानों इंसाफ की राह तक रहे हैं। यही हाल महादेव ऐप घोटाले का है। आम नागरिकों को मात्र 50 हजार रूपए बैंक में एक मुश्त जमा करने पर नियम कायदों को लेकर सचेत रहना होता है। आवश्यक से ज्यादा रकम होने पर उसके श्रोतों की जानकारी पूछी जाती है लेकिन जन-धन और बचत खातों से ऑनलाइन और डिजिटल करेंसी के माध्यम से अरबों की रकम छत्तीसगढ़ से पार हो गई। जांच एजेंसियों के पास इसके भी तथ्य हैं, लेकिन किसी भी बैंकर और हवाला में लिप्त संदेहियों के खिलाफ कार्यवाही नही की गई, आखिर क्यों ? शराब घोटाले में भी जिन अधिकारीयों पर गंभीर आरोप हैं उन्हें भी पुनः मलाईदार पदों पर तैनाती दी गई है।

उज्ज्वल दीवान ने कहा कि DMF घोटाले में दर्जन भर तो महादेव ऐप घोटाले में आधा दर्जन से ज्यादा IAS- IPS अधिकारीयों की लिप्तता पाई गई है, फिर भी मामला ठंडे बस्ते में है। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद एक बड़ी पीड़ित आबादी पूर्व मुख्यमंत्री भूू-पे बघेल को खोज रही है। अब उनसे बीते 5 सालों का हिसाब किताब मांगा जायेगा। यही नहीं जनता के बीच पूछा जाएगा कि उनकी उपसचिव सौम्या चौरसिया के कब्जे में जो 2 जुड़वा बच्चे हैं, उनके जैविक माता-पिता कौन हैं ? क्या किसी मुख्यमंत्री को दागी महिला अफसरों को संरक्षण दिया जाना कितना उचित है ? उन्होंने पूछा कि क्या बगैर मुख्यमंत्री की अनुमति के कोई अधिकारी बेलगाम हो सकता है ? इतने बड़े घोटालों को कभी भी कोई अधिकारी अकेले अंजाम नही दे सकता। इसमें बघेल की भूमिका दागी और अनैतिक मुख्यमंत्री की है।

उज्ज्वल दीवान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी उपसचिव के अवैधानिक कार्यों के चलते छत्तीसगढ़ का विकास गर्त पर चला गया है। सरकारी तिजोरी की लूट की जिम्मेदारी अभी तक तय नही की गई है, इस दिशा में कदम उठाने के लिए राज्य की बीजेपी सरकार से गुहार लगाई जा रही है। इसी मांग को लेकर वे धरने पर बैठे हैं। उज्जवल दीवान ने बूढ़ा तलाब स्थित धरना प्रदर्शन स्थल में अपने साथियों की मौजूदगी में आमरण अनशन शुरू किया है। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर वे पीड़ितो के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के नौजवानो के साथ साथ सामाजिक संगठनों से समर्थन की अपील की है।