
रायपुर: रायपुर में सरकारी और गैर-सरकारी जमीनों की अफरा-तफरी में शामिल एक पटवारी को कलेक्टर ने निलंबित कर दिया है। इस पटवारी ने चंद रुपयों के लालच में सरकारी रिकॉर्ड में न केवल हेरफेर किया था बल्कि नक्शा बिठाने,नापजोप और प्रमाणीकरण के मामले में भारी धांधली बरती थी। पीड़ितों ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की थी। कलेक्टर रायपुर ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे। पीड़ितों की शिकायत सही पाए जाने के उपरांत कलेक्टर ने पटवारी वीरेंद्र कुमार झा को फौरन निलंबित कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती भूपे सरकार के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर भू-अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ की गई थी। नजूल और सरकारी भूमि के रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा हेरफेर कर भू-माफियाओं को फायदे पहुंचाने के मामले में दर्जनों पटवारियों, तहसीलदारों और तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारियों के खिलाफ कई गंभीर मामले विभिन्न जिलों में जांच हेतु लंबित बताए जाते हैं। जानकारों के मुताबिक लैंड रिकॉर्ड के मामले में सबसे ज्यादा हेरफेर राजधानी रायपुर में किया गया है। यहाँ अटल नगर, नया और पुराना धमतरी रोड, राजिम मार्ग, चंपारण समेत आसपास के इलाकों में कई कांग्रेसी नेताओं और रियल एस्टेट कारोबारियों ने अपना अवैध कब्जा जमा लिया है।
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रायपुर के दर्जनों मंदिरों, ट्रस्ट और मठों की जमीनों पर भी प्रभावशील नेताओं ने खुद के मालिकाना हक से दस्तावेज तक तैयार कर लिए हैं। ऐसे भू-अधिकार पत्रों की कूट रचना के मामले में पटवारियों और तहसीलदारों की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। यह भी बताया जाता है कि राजधानी के एयरपोर्ट मार्ग पर स्थित बेशकीमती सरकारी जमीनों के लैंड रिकॉर्ड में हेरफेर कर उसे निजी घोषित कर दिया गया है। सरकारी जमीनों की बंदरबांट के सैकड़ों मामलों की पीड़ितों ने स्थानीय थानों में भी शिकायतें दर्ज कराई हैं। फिलहाल कलेक्टर रायपुर की फौरी कार्यवाही के बाद अवैध कारोबार में जुटे कई पटवारियों की नींद उड़ गई है। निलंबित पटवारी काफी प्रभावशाली बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि करोड़ों की सरकारी-गैर-सरकारी जमीनों की हेरफेर के मामले में निलंबित पटवारी के खिलाफ जल्द FIR भी दर्ज हो सकती है।
