दिल्ली: Parliament: केंद्र सरकार अपनी एक राष्ट्र एक चुनाव योजना को लागू करने के लिए प्रस्तावित विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श के पक्ष में है। हालांकि, विधेयक को अभी कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली है, पर सरकार इसे संसद के वर्तमान सत्र में पेश कर सकती है। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बिल को विस्तृत चर्चा के लिए संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के पास भी भेजा जा सकता है। सरकार इस बिल पर आम राय बनाने के पक्ष में है।
जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी। साथ ही, सभी राज्य विधानसभाओं के स्पीकरों को भी बुलाया जा सकता है। साथ ही देश के प्रबुद्ध वर्गों के साथ ही सिविल सोसायटी की भी राय ली जाएगी। वन नेशन-वन इलेक्शन पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में पिछले साल 2 सितंबर को एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने इस वर्ष 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंपी थी। समिति ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है। समिति ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था, जिनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया, जबकि 15 पार्टियों ने विरोध जताया था।
समिति ने पहले चरण में लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव व दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के चुनाव कराए जाने की सिफारिश की है। प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक विधेयक निकायों के चुनावों को लोकसभा व विधानसभा के साथ जोड़ने को लेकर होगा, हालांकि इसके लिए कम से कम 50 फीसदी राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी।