छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पाली उ.मा.वि. के प्रिंसिपल ने स्कूली बच्चों को ही बना दिया सफाई कर्मी, बाथरूम की कराई सफाई, लिया जा रहा मनमाने फीस

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कोरबा(पाली)। स्कूल की व्यस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी प्राचार्य की ​होती है। वहीं छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पाली स्थित उमावि में पदस्थ प्रिंसिपल का कारनामे ने लोगों को चौका दिया है। मामला कोरबा के पाली क्षेत्र का है। जहां के प्राचार्य द्वारा शासकिय स्कूल के छात्रों से बाथरूम की साफ—सफाई कराया जाता है।

शिकायत की नहीं होती सुनवाई, शासन मौन

उच्चतर माध्यमिक स्कूल में पदस्थ प्रिंसिपल के कारनामों में कोई कमी नहीं है, कई बार प्रिंसिपल की शिकायत की गई है। यहां तक की जिला शिक्षा अधिकारीयों से भी शिकायत की गई है। इसके बाद छात्रो ने लिखित शिकायत की है। लिखित शिकायत किसी और ने नही बल्कि उसी स्कूल के छात्रो ने की है। उच्चतर माध्यमिक स्कूल की जंहा के छात्रों ने अपने ही प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत की है कि उनसे मनमाने तरीके से फीस लिया जाता है। वहीं स्कूल में पढ़ाई के जगह काम करवाया जाता है। एक छात्र ने बताया कि उनसे बाथरूम की सफाई भी कराई जाती है।

मनमाने ढ़ग से फीस की डिमांड

प्रिंसिपल द्वारा बच्चों से साल भर का फीस लेने के बाद भी मनमाने ढ़ग से फीस की डिमांड की जाती है। कभी माइग्रेशन के नाम पर तो कभी टीसी के नाम पर, ऐसी बात नही है कि इसकी शिकायत बच्चो ने कहीं और नही की। बच्चों ने शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी के पास भी की पर उनकी शिकायत न तो सुनी गई न ही ​प्रिंसीपल पर अराज तक किसी बात को लेकर खौफ है। यहां तक की प्रिंसिपल तक अगर कोई बात होती भी है तो अन्य प्रिसिपल को जांच अधिकरी बना कर भेज दिया जाता है।

हैरानी वाली बात तो तब होती है जब जांच रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौपा उसमें बच्चो के लगाए गए आरोपी सही साबित हुए थे। उसके बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी ने पाली स्थित उच्च्तर माध्यमिक स्कूल के प्रिंसिपल को निर्दोष बताते हए उनको यथावत स्थान पर बनाये रखा है।

सूत्रों के हवाले से ये जानकारी भी सामने आई है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने पाली प्रिंसिपल को यथावत बनाये रखने के लिए ऊची चढ़ोत्तरी ली है। ये बाते हम यू ही नही कह रहे है बल्कि हमारे पास उन बच्चों के लिखित शिकयत है जिसमे उन्होंने ये साफ लिखा है कि स्कूल के प्रिंसिपल ने उनसे माइग्रेशन व टीसी जैसे दस्तावेज के लिए 170 रुपये लिए है। साफ सफाई के लिए भी पैसे लिए है। बच्चों से स्कूल की साफ सफाई का काम ही नहीं, बाथरूम की भी सफाई के लिए बच्चों पर ही दबाव बनाया जाता है। बाथरूम की सफाई नही किये जाने पर प्रेक्टिकल में फेल किये जाने की बात भी की गई थी। जिसके कारण बच्चो ने बाथरूम की भी सफाई करने से परहेज नहीं किया।

जिला शिक्षा अधिकारी क्या वाकई में चंद रुपयों के लालच में बच्चो के लगाये इल्जाम को एक सिरे से खारिज कर दिया?
क्या जांच अधिकारी के लिखित जांच रिपोर्ट दिए जाने के बाद भी उसकी रिपोर्ट को झुठला दिया गया ?
अगर ये बाते सही है तो वाकई में जिले में शिक्षा का स्तर सरकार के बताए नियमो के साथ चल रहा है। अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर चार रहा कोरबा जिला अपना अलग इतिहास बनाने की कगार पर चल पड़ा है। अब देखना है कि कोरबा जिले की बागडौर को भलीभांति चलाने का जिम्मा लिए जिला कलेक्टर इस मामले में कोई कार्यवाही करती है या फिर अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर ही जिले की बागडौर चलती रहेगी