
इस्लामाबाद। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुई रक्षा समझौते ने दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत कर दिया है। इसी बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमता सऊदी अरब को उपलब्ध कराएगा।
ख्वाजा आसिफ के इस बयान से पहली बार यह स्वीकार किया गया कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों और तकनीकी क्षमता को सऊदी अरब तक पहुँचाने की संभावना तैयार रखी है।
पाकिस्तानी मीडिया में रक्षा मंत्री का बयान
पाकिस्तानी न्यूज चैनल के इंटरव्यू में ख्वाजा आसिफ से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की परमाणु ताकत सऊदी अरब को भी दी जाएगी। इसके जवाब में उन्होंने कहा:
“हमने बहुत पहले ही परमाणु क्षमता हासिल कर ली थी। परीक्षण के बाद हमारी फौज युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है। हमारे पास जो कुछ भी है, वह समझौते के तहत सऊदी अरब को भी दिया जाएगा।”
इस बयान ने दोनों देशों के दशकों पुराने राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को उजागर किया है।
सऊदी अरब की फंडिंग और पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम
विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में सऊदी अरब का लंबे समय से वित्तीय योगदान रहा है। सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जनरल फिरोज हसन के मुताबिक, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को परमाणु कार्यक्रम के लिए खुले हाथों से फंडिंग प्रदान की थी। उस समय पाकिस्तान पर कई अंतरराष्ट्रीय पाबंदियाँ लगी हुई थीं।
भारत और पाकिस्तान का परमाणु बैलेंस
भारत के परमाणु कार्यक्रम के जवाब में पाकिस्तान ने अपनी क्षमता विकसित की। हालिया आंकड़ों के अनुसार:
- पाकिस्तान के पास: लगभग 170 परमाणु हथियार
- भारत के पास: लगभग 172 परमाणु हथियार
यह आंकड़ा दिखाता है कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच संतुलित परमाणु क्षमता मौजूद है।