
भारत के सिंधु जल समझौता को स्थगित करने के कदम का पाकिस्तान में बुरा असर हो रहा है. भारत के इस कदम के बाद अब पाकिस्तान जल संकट की कगार पर है. जहां पाकिस्तान अब तक गले तक कर्ज में डूबा हुआ है, वहीं अब पानी की किल्लत ने उसकी मुश्किल और भी बढ़ा दी है.
सिंधु जल समझौते को लेकर पाकिस्तान लगातार भारत से गुहार लगा रहा है. सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के भारत सरकार के फैसले के बाद से पाकिस्तान 4 पत्र भारत सरकार को लिख चुका है. इन पत्रों के माध्यम से पाकिस्तान ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि समझौते को स्थगित करने पर भारत पुनर्विचार करें. पाकिस्तान ने ये भी कहा कि वो समझौते पर बातचीत करने को तैयार है. पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखा.
दरअसल, पाकिस्तान को चिंता है कि भारत के फैसले से पाकिस्तान में रबी की फसल पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. सूत्रों के अनुसार, नियम के मुताबिक यह पत्र विदेश मंत्रालय भेज दिया गया है. लेकिन, भारत को पाकिस्तान की गुहार से कोई हमदर्दी नहीं है.
पीएम मोदी पहले ही साफ कर चुके हैं कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते हैं. उधर भारत सरकार पाकिस्तान जाने वाले पानी के बेहतर इस्तेमाल के लिए करीब 12 किलोमीटर टनल और करीब 120-130 किलोमीटर की नहर बनाने की योजना पर काम कर रही है. इन टनल और नहर के जरिए पाकिस्तान जाने वाली नदियों के पानी को रावी नहर परियोजना, इंदिरा नदी परियोजना, बीकानेर नहर , गंग नहर से जोड़ने की योजना है ताकि इन नदियों का पानी हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली तक लाया जा सके.
दरअसल, विदेश गए 7 भारतीय डेलिगेशन से भी विदेशी प्रतिनिधियों ने सिंधु जल समझौते को लेकर सवाल पूछे, जिसके जवाब में भारतीय प्रतिनिधि दलों ने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. पाकिस्तान जब तक आतंकवादियों को भारत में भेजता रहेगा तब तक गुंजाइश ही नहीं है.