तिरुवनंतपुरम / देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक नांबी नारायण को मुआवजे की रकम की जरुरत नहीं, बल्कि उन लोगों को जेल के भीतर देखने की आस है, जिन्होंने उनका कैरियर ख़राब कर दिया | अपने दौर के इस होनहार वैज्ञानिक को साजिशों के तहत ऐसा फंसाया गया कि ना केवल उन पर देशद्रोह का फंदा डाला गया बल्कि उनका उपलब्धियों भरा कैरियर ख़त्म करने के लिए कई दांवपेच खेले गए | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायण की उम्र अब 79 वर्ष है | 26 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद नांबी नारायण अब कोर्ट के फैसले से संतुष्ट हैं।

नांबी नारायण तिरुवनंतपुरम में रहते हैं और उन्हें राज्य सरकार से 1.30 करोड़ रुपये की आखिरी किस्त भी मिल गई है। न्यूज़ टुडे से उन्होंने कहा कि वो अदालत के फैसले से पूरी तरह से तब संतुष्ट होंगे जब उन अधिकारियों को सजा मिलेगी, जिन्होंने उन्हें देश की जासूसी करने के मामले में फंसाया था। अदालत के निर्देश पर नांबी नारायण को तमिलनाडु सरकार ने 1 करोड़ 30 लाख रुपये की मुआवजे की रकम सौंप दी | इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इस वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि जिन अधिकारियों ने गुमराह कर उन्हें झूठे मामले मे फंसाया, जबतक उन्हें सजा नहीं मिल जाती, तब तक उन्हें पूरी तरह से संतुष्टी नहीं मिलेगी।

नांबी नारायण ने कहा कि उन्हें राज्य सरकार की ओर से मिले भारी मुआवजे में कोई रूचि नहीं है। उन्होंने ये बात सुप्रीम कोर्ट में भी कही थी | उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी लड़ाई को जिंदा रखना था, तभी शायद अभी तक वो जीवित हैं। हालाँकि 26 साल की लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद नांबी नारायण थक चुके हैं। नांबी नारायण ने कहा कि इस लड़ाई के दौरान उन्होंने महसूस किया कि सिस्टम में पारदर्शिता होनी चाहिए। जो लोग निर्दोष हैं, उन्हें लड़ना चाहिए, हालांकि न्याय मिलने में देरी हो सकती है लेकिन लड़ना जरूर चाहिए। जब पिछले साल मुझे पद्मभूषण मिला था तब मैं बेहद खुश था।

उन्होंने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित किया गया जैन आयोग दोषी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करेगा। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि लोगों ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि वो निर्दोष हैं, वो कभी भी देश के गद्दार के आरोप के साथ नहीं मरना चाहते थे। नांबी नारायण ने कहा कि अभी लड़ाई और भी बाकी है लेकिन मेरी उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है, अब मैं और नहीं लड़ सकता लेकिन कुछ सवालों के जवाब जरूर मिलने चाहिए कि आखिर मुझ पर ये आरोप क्यों लगे और मामले में साजिश रचने वाले असली लोग कौन हैं।