छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर 2305 केन्द्रों में धान की खरीदी आज से , किसानों ने की समय पर बोनस देने की मांग , इस बार भी राजनीति का शिकार होंगे किसान या सभी को मिलेगा धान बेचने का मौका , समर्थन मूल्य पर धान बेचने 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने कराया पंजीयन

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में आज से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत हो रही है | इसके साथ ही राज्य के नए मुख्य सचिव अमिताभ जैन कार्यभार ग्रहण करने के बाद बतौर सीएस कार्य शुरू करेंगे | उधर उधर धान खरीदी को लेकर राज्य सरकार द्वारा सभी तैयारियां पूरी कर लिए जाने का दावा किया जा रहा है | सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि धान खरीदी के दौरान किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।किसानों की सहूलियत का पूरा ध्यान रखा जाए। इस माह की 28 तारीख को आयोजित केबिनेट की बैठक में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 01 दिसम्बर से 31 जनवरी 2021 तक और मक्का की खरीदी 01 दिसम्बर से 31 मई 2021 तक करने के निर्देश दिए गए थे । 01 दिसम्बर से प्रदेश में 2 हजार 305 धान खरीदी केन्द्रों में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू की जाएगी। इस वर्ष 257 नए धान खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं।

उधर धान के अवैध परिवहन पर रोक लगाने सीमावर्ती राज्यों की सीमा पर कड़ी निगरानी  रखी जा रही है | सरकार का दावा है कि खेती-किसानी छोड़ चुके 2 लाख से अधिक किसान खेतों की ओर लौटे हैं, जिससे खेती के रकबे में वृद्धि हुई है। खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में पिछले वर्ष की तुलना में 2 लाख 49 हजार ज्यादा किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है। इन्हें मिलाकर इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए कुल 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने पंजीयन कराया है। इन किसानों द्वारा बोये गए धान का रकबा 27 लाख 59 हजार 385 हेक्टेयर से अधिक है। दो सालों में धान बेचने वाले किसानों का रकबा 19.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.68 लाख हेक्टेयर और किसानों की संख्या 12 लाख 6 हजार बढ़कर 18 लाख 38 हजार हो गई है। इस प्रकार देखा जाए तो रकबे में 3 लाख 32 हजार हेक्टेयर तथा समर्थन मूल्य पर धान बेचेने वाले किसानों की संख्या में 6.32 लाख बढ़ोत्तरी हुई है।

सरकार के मुताबिक पिछले दो वर्षाें में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2017-18 में छत्तीसगढ़ राज्य में समर्थन मूल्य पर 56.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। दो सालों के दौरान धान खरीदी का यह आंकड़ा 83.94 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया। इस साल धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या और धान की रकबे को देखते हुए समर्थन मूल्य पर बीते वर्ष की तुलना में ज्यादा खरीदी का अनुमान है। इसको लेकर राज्य शासन द्वारा हर संभव व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है। धान उपार्जन के लिए बारदाने की कमी के बावजूद भी सरकार इसके प्रबंध में जुटी है।

सरकारी प्रेसनोट में दावा किया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2018-19 में 15.71 लाख किसानों से 80.38 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी। वर्ष 2019-20 में 18.38 लाख किसानों से 83.94 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी की गई थी। राज्य में दो सालों में पंजीकृत किसानों की तुलना में धान बेचने वाले कृषकों के प्रतिशत में भी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2017-18 में 76.47 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश की बागडोर संभालते ही वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 92.61 प्रतिशत हो गया है। बीते विपणन वर्ष 2019-20 में राज्य में 94.02 प्रतिशत किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा था।

इधर कई इलाकों में किसान खेत का रकबा कम करने का आरोप लगा रहे है | उनके मुताबिक धान का एक एक दाना खरीदने का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दूसरे वर्ष में भी वादा खिलाफी की है | उनकी दलील है कि पार्टी घोषणापत्र के अनुरूप धान खरीदी का वादा पूरा करने के लिए सरकार वचनबद्ध है | लेकिन वो अपने वादों से फिर मुकर रही है | किसानों का कहना है कि पूरी धान खरीदने के बजाये मात्र एक एकड़ में मात्र 15 क्विंटल ही धान खरीदी जा रही है | जबकि खेती के उन्नत साधन अपनाने से प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल धान की पैदावार हो रही है | किसानों के मुताबिक उनके खेतों का रकबे  में जानबूझकर कटौती कर दी गई  है | ताकि कम से कम धान खरीदना पड़े | ये किसान बोनस को लेकर भी चिंता जाहिर कर रहे है | उनके मुताबिक अभी पिछले साल के बोनस की 25 फीसदी रकम बाकी है , जबकि बीजेपी शासनकाल के दो सालों का बोनस देने के लिए भी कांग्रेस सरकार ने वादा किया था | इसे अभी तक नहीं दिया गया है | ऐसे मे इस वर्ष का बोनस कब मिलेगा , यह सरकार को साफ़ करना चाहिए |