रायपुर : छत्तीसगढ़ में धान खरीदी शुरू होने में अभी 11 दिन बाकी हैं, लेकिन माफियाओं की सक्रियता पहले ही बढ़ गई है। उड़ीसा से अवैध धान लाकर छत्तीसगढ़ की समितियों में खपाने का खेल तेज़ हो गया है। ऐसा ही एक मामला बीते दिनों पहले बसना महासमुंद से सामने आया है। दरअसल, कृषि उपज मंडी समिति के उपनिरीक्षक खुलूराम यादव ने पलसापाली अंतर्राज्यीय जांच बैरियर पर एक सोनालिका ट्रैक्टर को रोककर जांच की, जिसमें 131 पैकेट मोटा धान भरा हुआ था। इस धान को उड़ीसा से छत्तीसगढ़ लाया जा रहा था, जिसे किसी सोसायटी में खपाने की तैयारी की जा रही थी। जिसके बाद मंडी अधिनियम के तहत ट्रैक्टर को जब्त कर कार्रवाई की गई।

दूसरा मामला कबीरधाम से सामने आया है, जहाँ मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ में अवैध धान परिवहन का सिलसिला शुरू हो चुका है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी सीमावर्ती इलाकों से बड़ी मात्रा में धान की तस्करी की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार, बीते सप्ताह वन परिक्षेत्र खारा के रेंगाखार जंगल में 72 क्विंटल (168 कट्टी) पतला धान से भरा एक ट्रक पकड़ा गया था। जांच में पाया गया, कि ट्रक मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले से छत्तीसगढ़ की ओर धान खपाने के लिए लाया जा रहा था। सूचना पर वन परिक्षेत्र अधिकारी दीक्षा वर्मा ने तत्काल नायब तहसीलदार प्रेम नारायण साहू को सूचना दी, जिसके बाद संयुक्त कार्रवाई कर वाहन को जब्त कर थाना के सुपुर्द किया गया।

छत्तीसगढ़ में धान की कीमत मध्यप्रदेश से अधिक होने के कारण माफिया मध्यप्रदेश से धान लाकर छत्तीसगढ़ में खपाते हैं। मध्यप्रदेश में किसानों को धान का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार से करीब 2400 रुपए प्रति क्विंटल मिलता है, जबकि छत्तीसगढ़ में किसान करीब 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर धान बेचते हैं। यही अंतर मुनाफे का बड़ा कारण बनता है। इन कार्रवाई से धान माफियाओं में हड़कंप मच गया है। प्रशासन की यह कार्रवाई यह संदेश देती है, कि धान की अवैध तस्करी और भंडारण पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
