‘अपने राम अपनी लंका’, टीएस सिंहदेव के सनातनी प्रेम से कांग्रेस में खलबली, महाराज का नया रंग, बगैर नाम लिए शाह-मोदी की तारीफ, छत्तीसगढ़ में राम-रावण युद्ध से राजनीति सरगर्म….

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दिल्ली/अंबिकापुर/रायपुर: छत्तीसगढ़ में वर्ष 2028 में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से अपनी कमर कस ली है। प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के भीतर ‘राम-लक्ष्मण’ की नई जोड़ी को पार्टी के आम कार्यकर्ता उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे है। पार्टी के भीतरखानों में प्रदेश में पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत की जोड़ी को कांग्रेस के राजनैतिक गलियारों में ‘राम-लक्षमण’ की जोड़ी करार दिया जा रहा है, दोनों नेताओं के रुख से पार्टी के आम कार्यकर्ता तस्दीक कर रहे है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के विश्वास खोने के बाद अब दोबारा उनका मुख्यमंत्री बनना लगभग असंभव है, जनता ने ही उन्हें मैदान से बाहर कर दिया है।

ऐसे में बीजेपी के विरुद्ध कांग्रेस के नेतृत्व के लिए ‘राम-लक्षमण’ की जोड़ी ‘डूबते को तिनके का सहारा’ साबित हो रही है। कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने केंद्र के नक्सलवाद के खात्मे के संकल्प पर संतोष जाहिर करते हुए इसकी तुलना राम-रावण और लंका दहन से की है। हालांकि सिंहदेव ने ये नहीं बताया कि रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या कब जायेंगे ? महादेव ऐप घोटाले की तपिश के बीच स्थानीय लंका रुपी भिलाई में सिंहदेव पर चढ़ते सनातनी रंग को देखकर कयासों का दौर शुरू हो गया है।

इधर नक्सलवाद के सफाये में जुटे सरकारी अमले के कदमों से बस्तर में शांति बहाली जोरो पर है, लंबे अरसे बाद बड़ी आबादी को देश की मुख्यधारा में लौटने का एहसास हो रहा है। नक्सल प्रभावित कई इलाकों में मोदी-शाह की जोड़ी को ‘राम-लक्ष्मण’ की जोड़ी बताने वाले बीजेपी नेताओं की संख्या भी कोई कम नहीं है। राजनैतिक गलियारों में बीजेपी और कांग्रेस की लंका को लेकर माथापच्ची का दौर जारी है।

दरअसल, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद गांव-कस्बों तक से कांग्रेस का सफाया हो चूका है। नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनावों तक में कांग्रेस को पटखनी देने में शहरों से लेकर ग्रामीण अंचलों के मतदाता पीछे नहीं रहे। उन्हें भी तत्कालीन मुख्यमंत्री करप्शन बघेल का 5 वर्षीय कार्यकाल भुलाये नहीं भूल रहा है। मतदाताओं के रुख को देखते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के खेमों में खलबली है, कई दिग्गज नेता मानते है कि पूर्व मुख्यमंत्री के काले कारनामों का खामियाजा कांग्रेस को लगातार भोगना पड़ रहा है। लिहाजा, बघेल की अगुवाई में दोबारा कांग्रेस का सत्ता में आना दिन में तारे देखने की तर्ज पर ‘दिवास्वप्न’ ही है।

पूर्व मुख्यमंत्री की प्रदेश से विदाई और उनकी राजनीति हासिये में आने के बाद कांग्रेस की नैया पार कराने के लिए ‘दो खैवया’ सामने आये है, दोनों की जुगलबंदी से पार्टी के भीतर राजनीति तेज है। एक ओर जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री बघेल पुलिस, EOW, IT-ED और CBI जैसी जांच एजेंसियों से बच निकलने के लिए एक साथ कई पैतरों पर दांव आजमा रहे है, तो वही कांग्रेस के ‘राम-लक्ष्मण’ बीजेपी के साथ दो-दो हाथ करने में जुटे है।

कांग्रेस के दोनों धुरंदरों के बीजेपी के खिलाफ अभी से ताल ठोकने से भूपे खेमे की नींद हराम बताई जाती है। आम कार्यकर्ताओं को महसूस होने लगा है कि दिन बा दिन ‘राम-लक्षमण’ की जोड़ी के नए गुल खिलाने से प्रदेश में कांग्रेस के दिन फिरने के आसार लगातार बढ़ते जा रहे है। छत्तीसगढ़ में GST की तर्ज पर नक्सलवाद को 31 मार्च 2026 तक निपटाने के सरकारी संकल्पों से कांग्रेस की राजनीति उफान पर बताई जा रही है।

इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर, वरिष्ठ नेताओं का एक खेमा दिख तो कांग्रेस के साथ रहा है, लेकिन असल में खड़ा बीजेपी के साथ है। नक्सलवाद को राजनीति से दरकिनार कर इस खेमे ने पूर्व मुख्यमंत्री को आईना दिखा दिया है। प्रदेश के महाराज ‘टीएस सिंहदेव’ के ताजा बयानों से कांग्रेस के भीतर उन नेताओं के बीच खलबली देखी जा रही है, जो नक्सलवाद के मुद्दे पर बीजेपी और केंद्र को घेरने में जुटे थे।

टीएस सिंहदेव के दो टूक बयान से कांग्रेस के भीतरखानों में अंतिम सांस ले रहे एक धड़े में घमासान मच गया है। इस धड़े ने पार्टी फोरम में सिंहदेव के बयानों पर आपत्ति जताई है, तो पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने इसे राजनीति से परे बताते हुए राम-लक्ष्मण की जोड़ी की तारीफ में कशीदे गढ़ना भी शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ जारी अभियानों की कामयाबी से कांग्रेस बैक फुट पर है। प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में अचानक आये बदलाव से राजनीति ने भी करवट बदल लिए है। आमतौर पर बीजेपी को कोसने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता टीएस सिंहदेव ने नक्सलियों के खात्मे के खिलाफ सरकार की नीति की तारीफ की है।

टीएस सिंहदेव ने ‘सरकार’ को भगवान ‘राम’ करार देते हुए नक्सलियों को ‘रावण’ बताया है। रामनवमी पर टीएस सिंहदेव भी सनातनी रंग में नजर आये। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे और नक्सलवाद के खात्मे को लेकर जारी अभियान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए सिंहदेव ने साफ़तौर पर ऐलान किया कि, प्रभु श्रीराम ने रावण के साथ जो किया वैसा ही अब सरकार नक्सलियों के साथ कर रही है। सिंहदेव की इस बयान की चर्चा बीजेपी से ज्यादा कांग्रेसी खेमों में हो रही है। दरअसल, बगैर नाम लिए शाह की तारीफ के साथ-साथ केंद्र सरकार के प्रति गदगद नजरिये को महाराज के भीतर अचानक उमड़े सनातनी प्रेम से जोड़ कर देखा जा रहा है।

टीएस सिंहदेव ने अंबिकापुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि, प्रभु श्रीराम ने रावण के साथ जो किया, वैसा ही अब सरकार नक्सलियों के साथ कर रही है। नक्सलियों कों समय-समय पर छत्तीसगढ़ सरकार के भेजे गए शांति वार्ता के प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए सिंहदेव ने कहा कि- ‘श्रीराम’ ने रावण को पहले शांति संदेश भेजा होगा कि शांति का रास्ता अपनाओ ‘मुख्यधारा’ से जुड़ो लेकिन रावण ने राम की बात नहीं सुनी, तो श्रीराम ने रावण के वध के लिए शस्त्र उठाया था।

उनके मुताबिक, यही अब नक्सलियों के खिलाफ भी हो रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि सरकार ने पहले नक्सलियों के साथ शान्ति से वार्ता करने का प्रयास किया, मुख्यधारा से जोड़ने का भी प्रयास किया। लेकिन नक्सली नही मानें। ऐसे में अब नक्सलियों को हथियार का जवाब हथियार से देना पड़ रहा है।

उधर प्रदेश में कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रति नरम रुख रखने वाला कांग्रेस का एक खेमा टीएस सिंहदेव के बयानों को बीजेपी और केंद्र सरकार के साथ कदम ताल के रूप में देख रहा है। जबकि आम कार्यकर्ता सिंहदेव के बयानों को प्रदेश के हित में कांग्रेस के सधे कदम के रूप में देख रहे है। छत्तीसगढ़ में पहली बार नक्सलियों की कमर टूट गई है। अब तक शांति वार्ता के प्रति बेरुखी दिखाने वाले नक्सली संगठनों ने बातचीत को लेकर संदेशा भी जारी किया है। नक्सलवाद के सफाये की दिशा में केंद्र और राज्य सरकार की साहसिक मैदानी कार्यवाही से बस्तर के एक बड़े हिस्से को करीब 35 साल बाद अब जा कर नक्सली गतिविधियों से मुक्ति मिली है।

नक्सल मुक्त पंचायतों में आई तेजी से कांग्रेस का एक धड़ा पसोपेश में बताया जाता है। ऐसे समय राजनीति को परे रख कर टीएस सिंहदेव का हालिया बयान राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पार्टी घोषणापत्र को तेजी से लागू करने में जुटी है, उसने वर्ष 2026 में नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का बीड़ा उठाया है।

वर्ष 2023-24-25 के विभिन्न चुनाव में बीजेपी के आगे बौनी साबित हुई कांग्रेस भी अब अपनी मजबूती की ओर तेजी से ‘हाथ’ बढ़ा रही है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के 5 वर्षीय एकतरफा भ्रष्टाचार और घोटालों से उसके हाथों पर बल पड़ रहा है। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने भारत माला प्रोजेक्ट में अरबों के मुआवजे-घोटाले के मद्दे पर सत्ताधारी बीजेपी की तान छेड़ दी है। साय सरकार ने घोटाले की EOW जांच प्रस्तावित की है। जबकि विपक्ष सीबीआई जांच की मांग पर अड़ा हुआ है।

प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव 2028 के लिए बमुश्किल अब साढ़े 3 साल से भी कम का वक़्त शेष बचा है। अगला विधानसभा चुनाव टीएस सिंहदेव की अगुवाई में लड़े जाने का ऐलान महंत काफी पहले ही कर चुके है। ऐसे में राजनीति के नए राम-लक्ष्मण क्या गुल खिलाते है ? यह देखना गौरतलब होगा। फ़िलहाल, तो कांग्रेस के भीतर स्थापित ‘लंका’ पर उनकी निगाहे टिकी बताई जाती है।