छत्तीसगढ़ के गली कूचों में भी भ्रष्टाचार शिरोमणि भू-पे का विरोध ,राजनांदगांव संसदीय सीट पर आयात किए जाएंगे बाहरी कार्यकर्ता,कांग्रेस में बगावत…

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राजनांदगांव/रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के खिलाफ बगावती सुर तेजी से उठ रहे हैं। EOW में महादेव ऐप घोटाले में दर्ज़ F.I.R.के बाद पार्टी के कई नेता बघेल की उम्मीदवारी पर ही सवालिया निशान लगा रहे हैं। उन्हें अंदेशा है कि राजनांदगांव संसदीय सीट में बाहरी बनाम स्थानीय सांसद का मुद्दा उछलने से कांग्रेस के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। यहां पहले ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बघेल बुरी तरह से घिर गए हैं,2 दिन पहले आयोजित एक कार्यकर्ता सम्मेलन में भू-पे को जमकर खरी खोटी सुनाई गई थी। कई कार्यकर्ताओं ने मंच पर ही बाहरी बनाम स्थानीय प्रत्याशी का हवाला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के खिलाफ बगावत के सुर छेड़ दिए हैं।

यह भी बताया जा रहा है कि इस सीट पर कांग्रेस को प्रचार प्रसार के लिए कार्यकर्ता ढूंढे नही मिल रहे हैं। लिहाजा भू-पे खेमे के चुनाव संचालक ने बाहरी जिलों से कार्यकर्ताओं को जुटाना शुरू कर दिया है। इसके एवज में उन कार्यकर्ताओं को अच्छे खासे मेहनताना देने के लिए आश्वस्त भी किया गया है।भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राज्य में ऐसी रार छिड़ी है कि कांग्रेस के भीतर ही पूर्व मुख्यमंत्री का विरोध शुरू हो गया है। बताते हैं कि राजनांदगांव के कई गांव कस्बों में भू-पे बघेल की खिलाफत शुरू हो गई है। हालात पर काबू पाने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी अपनी कवायतें शुरू कर दी है। राजनांदगांव में पहले ही कार्यकर्ता सम्मेलन में भूपेश बघेल के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा देखने को मिला है। मंच पर आसीन बघेल को कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जमकर खरी खोटी सुनाई है।

स्थानीय नेता सुरेंद्र दाऊ ने तो यह तक कह डाला था कि बीते 5 साल तक आम कार्यकर्ता मुख्यमंत्री से मिलने तक के लिए तरस गए थे,ना तो निष्ठावान कार्यकर्ताओं को काम मिला और ना सम्मान मिला और ना ही उनके कोई कार्य किए गए थे। दाऊ ने भू-पे पर अपनी भड़ास निकालते हुए यह भी कहा कि इस दर्द से प्रदेश भर के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी है। उन्होंने पार्टी को अपने निष्कासन तक की चेतावनी दे डाली थी। सुरेंद्र दाऊ का यह विडियो आम पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। भू-पे विरोध के ये स्वर सिर्फ राजनांदगांव ही नही बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ में सुनाई दे रहे हैं। उनके नेतृत्व में घोटालों की लंबी फेहरिस्त और सबूतों के भी उजागर होने से बघेल को “भ्रष्टाचार शिरोमणि” का तमगा भी दिया जा रहा है। पीड़ितों के मुताबिक बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर बघेल ने कांग्रेस की जड़ों पर ही मठा डाल दिया है।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राम कुमार शुक्ला ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ई-मेल कर पार्टी के अंदरूनी हालातों से भी अवगत कराया है। इसमें बघेल की उम्मीदवारी को लेकर सवालिया निशान लगाए गए हैं। राम कुमार शुक्ला पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्यामाचरण शुक्ल के सलाहकार भी रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव संसदीय सीट पर निर्वृतमान स्थानीय सांसद संतोष पांडेय एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। जबकि भिलाई से सटे पाटन विधान सभा क्षेत्र से विधायक बघेल बतौर संसदीय प्रत्याशी राजनांदगांव से भाग्य आजमा रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि वे अपने गृहनगर दुर्ग से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।ऐसे में स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी छाया हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरूण सिंह सिसोदिया ने भी भ्रष्टाचार का मुद्दा उछाल कर भू-पे बघेल के सामने नई मुसीबतें खड़ी कर दी है। उनका मकसद कांग्रेस को पहले भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है।सिसोदिया ने पार्टी आलाकमान को लिखे अपने पत्र में कहा है कि भू-पे ने अपने करीबी रिश्तेदार (साले) पूर्व सरकार के सलाहकार विनोद वर्मा को गैर-कानूनी रूप से उपकृत किया था।

उनके बेटे की मीडिया कंपनी को पार्टी फंड से 5 करोड़ 89 लाख रुपए मुफ्त में दे दिए गए। इसके लिए तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की भी अनुमति नही ली गई थी। सिसोदिया ने कांग्रेस की खराब स्थिति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को जिम्मेदार ठहराया है। उधर पार्टी सूत्र दावा कर रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस की हालत काफी नाजुक है। बघेल को प्रत्याशी बनाने से सभी 11 सीटों पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में पार्टी ने निष्ठावान नेताओं को बुलावा भेजा है, जिन्हें हर हाल में सीटें जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी ने उन नेताओं की सुध भी ली है, जिन्हें हाल ही के विधान सभा चुनाव में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इसमें मनेंद्रगढ़ के पूर्व विधायक विनय जायसवाल और बिलासपुर के मेयर रामशरण यादव का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। इन दोनों ही नेताओं का निलंबन तत्काल समाप्त कर उनकी पार्टी में पुनर्वापसी भी कराई गई है। बताते हैं कि बेलतरा विधान सभा चुनाव में टिकट की मारामारी के दौरान संभावित उम्मीदवारों से लेनदेन का मामला सामने आया था।

इसमें तत्कालीन प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को 4 करोड़ रूपए देने संबंधी एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। इसके बाद बिलासपुर के मेयर रामशरण यादव को अनुशासनहीनता के चलते निलंबित भी कर दिया गया था। बीती रात उनकी कांग्रेस में आमद दर्ज हो गई है। यही वाक्या तत्कालीन विधायक विनय जायसवाल के साथ भी सामने आया है। विधान सभा चुनाव के दौरान जायसवाल ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन प्रदेश प्रभारी सचिव चंदन यादव को उनके द्वारा 7 लाख रुपए दिए गए थे टिकट दिलवाने के एवज में उन्होंने यह रकम देने वाले व्यक्ति और स्थान का भी हवाला अपने वक्तव्यों में दिया था। अब तक 2 महीनों से निष्कासित रहे पूर्व विधायक जायसवाल को भी राहत मिली है।

कांग्रेस की खस्ता हालत को सुधारने के बजाए कई नेता मानते हैं कि अब उन नेताओं को तवज्जो दी जा रही है, जिन्होंने विधान सभा चुनाव के दौरान उम्मीदवारी चयन को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर ही लेन-देन के आरोप लगाए थे। इस मामले में पूर्व विधायक विनय जायसवाल का माफीनामा चर्चा में है। इसमें जायसवाल ने साफ किया है कि टिकट ना मिलने के चलते ऐसे झूठे आरोप उनके द्वारा लगाए गए थे। पार्टी के कई नेता इस माफीनामे को भू-पे की भ्रष्टाचार नीति से जोड़कर देख रहे हैं। उनकी दलील है कि महज टिकट कटने से नाराज विधायक अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं, उनकी भी पुनर्वापसी हो रही है, ऐसे मामलों से कांग्रेस की छवि पर ही बट्टा लग रहा है।

बहरहाल महादेव ऐप मामले में बघेल पर दर्ज F.I.R. उनके राजनैतिक भविष्य के लिए फांस बन गई है। बघेल सरकार के भ्रष्टाचारों पर एक समय उनके विश्वासपात्र रहे अधिकारी ही अब अपनी मुहर लगा रहे हैं।नौकरशाही और पीड़ितों की ओर से बघेल को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री करार दिया जा रहा है। उन्हें भ्रष्टाचार शिरोमणि के नाम से पुकारे जाने से कांग्रेस को चुनाव पूर्व ही तगड़ा झटका लगा है। यह देखना गौरतलब होगा कि पूर्व सीएम भू-पे अपने कदम किस ओर बढ़ाते हैं? ना मिलने के चलते ऐसे झूठे आरोप उनके द्वारा लगाए गए थे। पार्टी के कई नेता इस माफीनामे को भू-पे की भ्रष्टाचार नीति से जोड़कर देख रहे हैं। उनकी दलील है कि महज टिकट कटने से नाराज विधायक अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं, उनकी भी पुनर्वापसी हो रही है, ऐसे मामलों से कांग्रेस की छवि पर ही बट्टा लग रहा है।

बहरहाल महादेव ऐप मामले में बघेल पर दर्ज F.I.R. उनके राजनैतिक भविष्य के लिए फांस बन गई है। बघेल सरकार के भ्रष्टाचारों पर एक समय उनके विश्वासपात्र रहे अधिकारी ही अब अपनी मुहर लगा रहे हैं।नौकरशाही और पीड़ितों की ओर से बघेल को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री करार दिया जा रहा है। उन्हें भ्रष्टाचार शिरोमणि के नाम से पुकारे जाने से कांग्रेस को चुनाव पूर्व ही तगड़ा झटका लगा है। यह देखना गौरतलब होगा कि पूर्व सीएम भू-पे अपने कदम किस ओर बढ़ाते हैं? ना मिलने के चलते ऐसे झूठे आरोप उनके द्वारा लगाए गए थे। पार्टी के कई नेता इस माफीनामे को भू-पे की भ्रष्टाचार नीति से जोड़कर देख रहे हैं। उनकी दलील है कि महज टिकट कटने से नाराज विधायक अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं, उनकी भी पुनर्वापसी हो रही है, ऐसे मामलों से कांग्रेस की छवि पर ही बट्टा लग रहा है।

बहरहाल महादेव ऐप मामले में बघेल पर दर्ज F.I.R. उनके राजनैतिक भविष्य के लिए फांस बन गई है। बघेल सरकार के भ्रष्टाचारों पर एक समय उनके विश्वासपात्र रहे अधिकारी ही अब अपनी मुहर लगा रहे हैं।नौकरशाही और पीड़ितों की ओर से बघेल को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री करार दिया जा रहा है। उन्हें भ्रष्टाचार शिरोमणि के नाम से पुकारे जाने से कांग्रेस को चुनाव पूर्व ही तगड़ा झटका लगा है। यह देखना गौरतलब होगा कि पूर्व सीएम भू-पे अपने कदम किस ओर बढ़ाते हैं?