ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आँखों पर खतरा, कई बच्चों को कंप्यूटर- लेपटॉप की रोशनी से आँखों में तकलीफ़, अभी से बच्चों को लगने लगे चश्मे, पढाई में भी बाधा, अदालत में याचिका दायर, हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा जवाब

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अहमदाबाद वेब डेस्क / कोरोना संक्रमण के इस दौर में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई उनकी आँखों की समस्या बनती जा रही है | कई बच्चों को अभी से चश्मा लगने लगा है | दरअसल ये बच्चे कंप्यूटर – लेपटॉप और स्मार्ट टीवी के जरिये पढ़ाई कर रहे है | कई बच्चों ऐसे भी है जो मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे है | इसके चलते लंबे समय तक वे उनकी स्क्रीन की चकाचौध रौशनी के संपर्क में रहते है |

प्रतीकात्मक तस्वीर

इसके चलते ज्यादातर बच्चों की आंखे ख़राब हो रही है | कई बच्चे एलर्जी का शिकार हो रहे है | तो कई आँखों में दर्द और उनके लाल हो जाने से एक नई परेशानी झेल रहे है | गुजरात हाईकोर्ट ने ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस विक्रमनाथ की पीठ ने एक याचिका की सुनवाई की | इस याचिका में दावा किया गया है कि लंबे समय तक ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों की आंखें खराब हो सकती हैं। अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार से पूछा है कि इस समस्या से निपटने के लिए उसकी क्या नीति है?

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चीफ जस्टिस विक्रमनाथ की पीठ इस जनहित याचिका की सुनवाई कर रही है | याचिका में कहा गया कि अनलॉक-1 की अवधि में स्कूल-कॉलेज खोलने की इजाजत सरकार ने नहीं दी है । वहीं, निजी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं ताकि पालकों से पहले की तरह ज्यादा फीस वसूल सकें। हालाँकि सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फीस के संबंध में कहा कि इसके निर्धारण के बारे में निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार के पास है। सरकार को प्रयास करना चाहिए कि अभिभावकों पर ज्यादा असर न पड़े। अदालत ने कहा कि स्कूल संचालकों के साथ विमर्श कर सरकार को निर्णय करना चाहिए।

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याचिकाकर्ता ने दलील दी कि आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार को कोई भी फैसला लेने की शक्ति प्राप्त है। अगर स्कूल बंद हों तो केवल ट्यूशन फीस ली जा सकती है, लेकिन अन्य फीस वसूल नहीं की जा सकतीं। याचिकाकर्ता के मुताबिक ऑनलाइन पढाई से बच्चों की आँखों पर खतरा मंडरा रहा है | यही नहीं अक्सर नेटवर्क ख़राब रहने से बच्चे पढाई भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते |

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दूसरी ओर ऑनलाइन टीचिंग कर रहे शिक्षक के पास भी मूल्यांकन और बच्चों को ठीक से समझाने का कोई प्रबंध नहीं है | ऑनलाइन टीचिंग के दौरान पालकों को भी पूरे समय बच्चों के साथ बैठ कर पढाई करवानी होती है, क्योंकि टीचर के पास प्रत्येक बच्चों को मॉनिटर करने का समय नहीं होता | इस सब के बावजूद स्कूल ऑनलाइन पढाई के नाम पर पालकों से मोटी रकम वसूल कर रहा है |