Department of Telecommunications (DoT) ने फर्जी कॉल्स और मैसेज को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए हैं, जिससे धोखेबाज परेशान हो गए हैं. सरकार और टेलीकॉम रेगुलेटर ने टेलीकॉम कंपनियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सिस्टम लागू करने के निर्देश दिए हैं. इससे न केवल फर्जी कॉल्स की संख्या कम हुई है, बल्कि इन कॉल्स के जरिए होने वाले साइबर फ्रॉड पर भी लगाम लगाई गई है.
DoT के अनुसार, फर्जी कॉल्स की संख्या में गिरावट आई है. पहले जहां हर दिन करोड़ों फर्जी कॉल्स आती थीं, अब यह संख्या घटकर करीब 4 लाख रह गई है. भारत में विकसित Spoof Call Prevention System की मदद से इन फर्जी इंटरनेशनल कॉल्स को पहचानकर ब्लॉक किया जा रहा है. इस सिस्टम के जरिए एक दिन में 1.34 करोड़ फर्जी कॉल्स को रोका गया, जिससे 90% फर्जी इंटरनेशनल कॉल्स पर लगाम लगाई गई है.
फर्जी कॉल्स में आमतौर पर विदेशी नंबरों को लोकल नंबर की तरह दिखाया जाता था. लेकिन अब इस नए सिस्टम के तहत ये नंबर वास्तविक रूप से इंटरनेशनल कॉल्स के रूप में दिखाई देते हैं. साइबर अपराधी अक्सर इंटरनेट-आधारित टूल्स का उपयोग कर लोगों को धोखा देते हैं. DoT ने टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया है कि इंटरनेशनल कॉल्स को साफ तौर पर इंटरनेशनल नंबर के रूप में दिखाया जाए.
टेलीकॉम कंपनियों जैसे Airtel और BSNL ने AI आधारित टूल्स का उपयोग करके 20 से अधिक फर्जी एग्रीगेटर्स और कैरियर्स को ब्लैकलिस्ट किया है. Sanchar Saathi पोर्टल और ऐप के जरिए फर्जी कॉल्स की रिपोर्टिंग की जा रही है. इन टूल्स के माध्यम से फर्जी कॉल्स और मैसेज भेजने वाले स्कैमर्स का पता लगाना आसान हो गया है.
यह पहल न केवल फर्जी कॉल्स को रोकने में मददगार साबित हुई है, बल्कि इससे साइबर फ्रॉड की घटनाओं में भी कमी आई है. टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए, टेलीकॉम कंपनियां AI सिस्टम को और अधिक प्रभावी बना रही हैं. यह कदम कंज्यूमर्स को धोखाधड़ी से बचाने और देश में टेलीकॉम सुरक्षा को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है.