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छत्तीसगढ़ में एक ओर कांग्रेस का कानून-व्यवस्था को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला, दूसरी ओर ऑनर किलिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल पिता-पुत्र को राहत, ऐसे कैसे कानून से ऊपर हो गए ऑनर किलिंग के आरोपी, पुख्ता सबूतों के बावजूद गिरफ्तारी से परहेज, राजनैतिक सौदेबाजी की अटकले तेज…..

दुर्ग/रायपुर: छत्तीसगढ़ के अभूतपूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल और उनके पुत्र चैतन्य (बिट्टू) का नाम भाड़े के हत्यारों के जरिये ऑनर किलिंग की घटना को अंजाम देने के मामले में सुर्ख़ियों में है। इस मामले को लेकर दर्ज एक FIR में दोनों की भूमिका की जांच के दौरान पुलिस को पुख्ता सबूत हाथ लगे है। भिलाई में एक प्रोफ़ेसर पर जानलेवा हमला करने वाले आरोपियों की तलाश जोर-शोर से की जा रही है, इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र को मामले से बचाने के राजनैतिक प्रयास भी जोरो पर बताये जा रहे है। ऑनर किलिंग की इस घटना को अंजाम देने के मामले में 3 आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े है, जबकि आधा दर्जन अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

सूत्र तस्दीक कर रहे है कि इस वारदात को पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल और उनके पुत्र चैतन्य ने अंजाम दिया था। दरअसल, विवेचना के दौरान आरोपियों के मोबाइल फ़ोन और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के मद्देनजर बघेल पिता-पुत्र के साजिश में शामिल होने के कई तथ्य पुलिस के हाथ लगे है। बता ते है कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र को तलब करने के साथ उनकी गिरफ्तारी के आसार नजर आने पर आलाधिकारियों और गृह मंत्रालय से मंजूरी मांगी गई थी, लेकिन कई दिनों बाद भी पुलिस को हरी झंडी नहीं मिल पाई है। ऐसे में चर्चा सरगर्म है कि पूर्व मुख्यमंत्री कानून से ऊपर है, हाई प्रोफ़ाइल मामले में राजनैतिक सौदेबाजी की भी अटकले लगाई जा रही है।

उधर छत्तीसगढ़ में महिला अपराधों ने बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी सरकार पर हमला तो किया लेकिन कांग्रेस के कुनबे में सुपारी किलिंग को लेकर चुप्पी साधे रही। राजनैतिक प्रेम-प्रसंग का यह मामला छत्तीसगढ़ में कानून के राज पर सवालिया निशान लगा रहा है।छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीति उफान पर है। कांग्रेस ने प्रदेश-भर में मौन प्रदर्शन कर बीजेपी सरकार पर कानून-व्यवस्था चौपट होने का आरोप लगाया। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने राज्य की विष्णुदेव साय सरकार के 8 माह के कार्यकाल में 600 से अधिक बलात्कार के मामले दर्ज होने पर बीजेपी पर तीखा हमला बोला।

श्रीनेत ने बढ़ते महिला अपराधों को लेकर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों भी लिया। लेकिन भिलाई में एक राजनैतिक परिवार द्वारा अंजाम दी गई, ऑनर किलिंग की घटना को लेकर चुप्पी साधे रही। सूत्र बताते है कि खूबचंद बघेल कॉलेज के प्रोफ़ेसर विनोद शर्मा पर प्रेम-प्रसंग को लेकर जानलेवा हमला किया गया था। उन्हें मरा समझकर हमलावर घटना स्थल से नौ दो ग्यारह हो गए थे। इस मामले में 3 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद बड़ा खुलासा हुआ है।

बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र ने प्रोफ़ेसर को मौत के घाट उतारने के लिए रीवा और भोपाल से सुपारी किलर बुलवाये गए थे। इन्हे भिलाई स्थित विट्ठल पुरम कॉलोनी में शरण भी दी गई थी। विवेचना के दौरान कई डिजिटल साक्ष्य पुलिस के हाथ लगे है।

बताते है कि मोबाइल सीडीआर और टॉवर लोकेशन के अलावा कई ऐसे तथ्य सामने आये है, जिससे पता चलता है कि ऑनर किलिंग के सूत्रधार भाड़े के हमलावर नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र ही है। बावजूद इसके पुलिस, ऐसे संदेहियों को अभी तक तलब तक नहीं कर पाई है। घटना के महीने भर बाद भी क़ानूनी कार्यवाही नहीं होने से राजनीति गलियारों में सियासी सौदेबाजी की चर्चा जोरो पर है। उधर दिल्ली के एक निजी अस्पताल में करीब महीने भर से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे प्रोफ़ेसर विनोद शर्मा की हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है।

यह भी बताया जाता है कि उनका मृत्यु पूर्व बयान दर्ज करने पहुंची छत्तीसगढ़ पुलिस की एक टीम को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। राजनैतिक रस्सा-कसी के चलते पीड़ित शर्मा को भी घटना की असलियत जाहिर ना करने की हिदायत दी गई है। सूत्र तस्दीक करते है कि पीड़ित परिवार को मुँह बंद रखने अन्यथा अंजाम भुगतने की चेतावनी दी गई है। दुर्ग पुलिस ने पीड़ित शर्मा के ड्राइवर की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ धारा 109, 296, 3 (5), 351 (3) के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया है।

पुलिस के मुताबिक तमाम आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले है, तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद शेष आरोपियों पर भी कानून का शिकंजा कसा जा रहा है। लेकिन प्रभावशील संदेही और मुख्य साजिशकर्ताओं पर क़ानूनी कार्यवाही को लेकर पुलिस राज्य के गृह मंत्रालय के फरमानों का इंतज़ार करते नजर आ रही है। बताते है कि लंबा समय बीत चूका है, संदेही ऊंची पहुँच और दलबल वाले है, वे रोजाना सबूतों से छेड़छाड़ कर रहे है, पीड़ितों और गवाहों को प्रभावित किया जा रहा है, बावजूद इसके मंत्रालय भी क़ानूनी निर्देश जारी करने के मामले में हीला-हवाली करता नजर आ रहा है।

बहरहाल राजनैतिक पंडितों के मुताबिक कांग्रेस का मौन प्रदर्शन और ऑनर किलिंग का मामला एक ही पहिये के दो पहलू की तर्ज पर सड़को पर है। लेकिन इस हाई प्रोफाइल मामले में बीजेपी का रुख भी गौरतलब है। पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र पर बीजेपी सरकार की नरमी चर्चा का विषय बनी हुई है।

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