छत्तीसगढ़ में सरकार बदल गई लेकिन नहीं बदली आईएएस अधिकारीयों की बदजुबानी, कांग्रेस राज में भी बीजेपी सरकार के दौरान उपयोग में आने वाली भाषा और रंग ढंग दिखा रहे अफसर, महिला आईएएस की गाली गलौज से परेशान होकर एडिशनल कमिश्नर ने छोड़ी नौकरी, सरकार के मुँह फेंका VRS का आवेदन

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के सत्ता में आये लगभग 20 माह बीत चुके है | इसके बावजूद भी कई आईएएस अधिकारीयों के दिलों दिमाग से ना तो बीजेपी कार्यकाल का भूत उतरा है और ना ही उनकी कार्यप्रणाली में यथोचित सुधार आया है | इन अफसरों को अहसास ही नहीं हो रहा है कि राज्य से बीजेपी की बिदाई हो चुकी है और कुर्सी में अब कांग्रेस पार्टी बैठी है | दरअसल दिन में भी ऐसे अफसर बीजेपी का सपना संजोये बैठे है, उनकी जुबान में ठीक वैसे ही बोल है, जैसे कि वे बीजेपी के कार्यकाल में आम जनता से पेश आते थे | मामला राज्य के वाणिज्य कर विभाग का है | यहाँ जीएसटी कमिश्नर की गाली गलौज और अपशब्दों से भरी फटकार से परेशान होकर एडिशनल कमिश्नर ने नौकरी छोड़ दी। उन्होंने मानहानि से नाराज होकर फ़ौरन वीआरएस के लिए विभाग को अपना आवेदन भी दे दिया |

बताया जाता है कि एडिशनल कमिश्नर केआर झारिया ने साफतौर पर कहा कि वे अपना स्वाभिमान ताक पर रखकर नौकरी नहीं कर सकते | इस घटना के बाद विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है । विभाग के दर्जनों कर्मचारियों और अफसरों ने जीएसटी कमिश्नर सुश्री रानू साहू की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाया है | उनके मुताबिक मैडम को ना तो लोक व्यवहार का ज्ञान है, और ना ही विभागीय कर्मियों से पेश आने का तौर तरीका | उनके मुताबिक मैडम फ़ुटपाती लोगों की तर्ज पर अपनी जुबान खोलती है | उनके मुताबिक मैडम के भीतर आईएएस होने का गुमान इस कदर से भरा है कि वे आम आदमी और विभागीय कर्मियों के साथ शालीन व्यवहार व्यक्त करना मुनासिब नहीं समझती | कर्मियों के मुताबिक ऐसे बदजुबानी अफसरों को सबक सिखाना वे जानते है लेकिन महिला सम्मान के चलते उनके समक्ष मुँह खोलने से बचते है |

बताया जाता है कि जीएसटी कमिश्नर सुश्री रानू साहू और एडिशनल कमिश्नर केआर झारिया के बीच किसी मामले को लेकर सामान्य बातचीत हुई | लेकिन बातों ही बातों में जीएसटी कमिश्नर ऐसी उखड़ी की उनके मुँह से अपशब्द निकलने लगे | सरकारी कार्य के दौरान असंसदीय भाषा के इस्तेमाल से एडिशनल कमिश्नर केआर झारिया इतने आहत हुए कि उन्होंने VRS लेने का फैसला किया | एक जानकारी के मुताबिक रानू साहू उस समय अपना आपा खो बैठी जब उन्हें पता पड़ा कि केआर झारिया प्रमुख सचिव डॉ. मनिन्दर कौर द्विवेदी से फ़ोन पर बातचीत कर रहे है | दरअसल उन्होंने केआर झारिया को तत्काल करने के लिए कुछ काम सौंपे थे | इसी बीच प्रमुख सचिव डॉ. मनिन्दर कौर द्विवेदी का फोन आ गया | झारिया ने वरिष्ठ अधिकारी का फ़ोन रिसीव किया | बताया जाता है कि इसी दौरान झारिया ने प्रमुख सचिव द्वारा सौंपे गए कार्यों की जानकारी जीएसटी कमिश्नर को दी, तो वे इतनी बुरी तरह उखड़ी की अपना आपा खो बैठी |

उन्होंने एडिशनल कमिश्नर को गाली गलौज तक दी | जीएसटी कमिश्नर के इस व्यवहार से झारिया इतने दुखी हुए कि उन्होंने फ़ौरन विधिवत वीआरएस के लिए आवेदन दे कर अपने घर का रुख कर लिया | बताया जाता है कि केआर झारिया के रिटायरमेंट में अभी दो साल बाकी हैं। न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यालय का माहौल अब काम करने लायक नहीं रह गया है | उनके मुताबिक वे शांतिपूर्वक रिटायरमेंट चाहते हैं । उधर इस मामले में न्यूज़ टुडे ने रानू साहू और विभागीय मंत्री टीएस सिंहदेव से संपर्क किया | लेकिन इस मामले को लेकर दोनों ही से प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई |

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छत्तीसगढ़ में आलाधिकारियों की गाली गलौज और अमर्यादित कार्यप्रणाली का यह पहला मामला नहीं है | पूर्वर्ती बीजेपी सरकार के कार्य काल में आलाधिकारियों की इसी कार्यप्रणाली और लोक व्यवहार का आम लोगों को शिकार होना पड़ा था | कांग्रेस शासन काल में भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है | प्रशासन के जानकर मानते है कि बीते 15 वर्षों के कार्य काल में कई आईएएस अधिकारीयों ने लोक व्यवहार से अपना नाता तोड़ लिया है | लिहाजा ऐसे अफसरों को शालीन और मर्यादित सरकारी व्यवहार सिखाने के लिए कांग्रेस सरकार को प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना होगा |