रायपुर / छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड अब कुछ अफसरों के ऐशोआराम के साथ साथ अय्याशी का ठिकाना बन गया है। गंभीर बात यह है कि स्वस्छ छवि और ईमानदारी का राग अलापने वाले वन और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर के विभाग में सरकारी रकम से अय्याशी की जा रही है। बावजूद इसके मंत्री जी उन अफसरों के संरक्षण में नजर आ रहे है। भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर मोहम्मद अकबर की बेरुखी लोगों के गले नहीं उतर रही है। दरअसल मंत्री जी की सादगी और प्रशासनिक क्षमता सुर्ख़ियों में रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में बड़े पैमाने पर चल रहे सुनियोजित भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के बजाये अफसरों को संरक्षण देने की कोशिशों से मंत्री जी की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लग रहा है। बताया जा रहा है कि अफसरों की तिकड़ी ने करोड़ों का भ्रष्टाचार कर छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की आर्थिक कमर तोड़ दी है।
दस्तावेज बताते है कि सुनियोजित रूप से तीन अफसरों क्रमशः एच के वर्मा अपर आयुक्त, एच के जोशी अपर आयुक्त और एम डी पनारिया अपर आयुक्त ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए दो करोड़ से अधिक की रकम सैर – सपाटे और मौज मस्ती में उड़ा दी। अफसरों की इस तिकड़ी ने NMDC प्रोजेक्ट के नाम पर देश के कई महानगरों की यात्राएं की। जानकारी के मुताबिक ये सभी यात्राएं निजी तौर पर मौज मस्ती के लिए की गई थी। इस पर होने वाले खर्चों को हाउसिंग बोर्ड के मत्थे डाल दिया गया। इन अफसरों ने हैदराबाद, चेन्नई और लखनऊ के अलावा कई और एयरपोर्ट का इस्तेमाल इन यात्राओं में किया। चूँकि यात्राओं के खर्चों को जायज करार देने का अधिकार इन्ही के हाथों में था। लिहाजा हर माह लाखों की रकम फूंक दी गई। इन अफसरों ने हवाई यात्राओं के अलावा होटलों के बिलों के भुगतान और TADA भी क्लेम किये। इस तरह से हाउसिंग बोर्ड को करीब दो करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया गया।
बताया जाता है कि जगदलपुर में नगरनार प्रोजेक्ट के मद्देनजर NMDC अपने कर्मियों के लिए आवासीय परिसर निर्मित करने पर विचार कर रहा था। इसकी खबर जब कुछ एक अफसरों को लगी तो उन्होंने हाउसिंग बोर्ड को चूना लगाने का सुनियोजित कार्यक्रम तैयार किया। इसके तहत समय समय पर महानगरों की यात्राएं की गई। इन यात्राओं को जायज ठहराने के लिए अफसरों की तिकड़ी ने NMDC के साथ पत्राचार भी किया। यह भी बताया जाता है कि भ्रष्टाचार और गुणवत्ताविहीन कार्यों के मामलों के सामने आने के बाद NMDC ने छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड से किनारा कर लिया था। इसके बावजूद अफसरों की ये तिकड़ी NMDC प्रोजेक्ट के नाम पर लाखों के बिलों का भुगतान पाते रही। जबकि अफसर निजी यात्राओं में दक्षिण भारतीय राज्यों के अलावा अन्य टूरिस्ट प्लेस के सैर – सपाटे और मौज मस्ती में व्यस्त रहे।
जानकारी के मुताबिक NMDC प्रोजेक्ट को हथियाने के लिए भ्रष्टाचार की साजिश की खबर जब सीबीआई के कानों पर पड़ी तब अफसरों की ये तिकड़ी सचेत हो गई। बताया जा रहा है कि इसी दौरान अपने बचाव के लिए जिम्मेदार अफसरों ने गैर क़ानूनी रूप से ARCOP ASSOCIATE PVT. LTD. नामक एक आर्किटेक्ट कंपनी से संपर्क कर घरों के नक़्शे बनवाये। ताकि अपनी यात्राओं और लाखों रुपये के बिलों के भुगतान को जायज ठहराया जा सके। इसके लिए इस आर्किटेक्ट कंपनी को भी लगभग 1 करोड़ 68 लाख 69 हज़ार 180 रुपये का भुगतान किया गया। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड को NMDC प्रोजेक्ट के नाम पर लगभग 3 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया गया। हकीकत यह है कि जिस हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए करोड़ो रुपये फूंक दिए गए वह प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों में ही दर्ज है।
बताया जा रहा है कि पूरवर्ती सरकार से लेकर मौजूदा सरकार के कार्यकाल में भी छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में काला कारोबार जोरो पर है। प्याज के छिलकों की तर्ज पर निकल रहे नित्य नए घोटालों से अफसरों की तिकड़ी पशोपेश में है। कलई खुलने और भ्रष्टाचार के मामलों में वैधानिक कार्रवाई होने के भय से अब ये अफसर अपने एक नए साथी को पदोन्नति दिलाने की कवायत में जुटे है।
ताकि भ्रष्टाचार के मामलों की फाइल को रफा दफा किया जा सके। इस विवादित अफसर का नाम एम एस शेख बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक एम एस शेख को पदोन्नति देने के लिए हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर अयाज तंबोली भी व्यक्तिगत रूचि ले रहे है। इस दिलचस्पी से अयाज तंबोली की कार्यप्रणाली पर भी सवालियां निशान लग रहा है। बताया जा रहा है कि विभाग प्रमुख की चर्चित कार्यप्रणाली की शिकायत DOPT में भी की गई है।