हे विष्णुदेव छत्तीसगढ़ महतारी को ढांड जैसे भू-माफियों से बचाओ, टुटेजा ने 500 करोड़ की सरकारी जमीन को मात्र सवा करोड़ में कर दिया आबंटित, भ्रष्टाचार के गुरू-चेलों को जेल भेजने की सरकार से गुहार…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में भू-पे राज के खलनायक पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड के काले कारनामों से यदि आप वाकिफ हों जाए तो इस रिटायर्ड नौकरशाह को भू माफिया कहने से गुरेज नही करेंगे। रायपुर में GE रोड पर लगभग 4 एकड़ सरकारी नजूल जमीन को पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड ने ही हड़प लिया है। सूत्रों के मुताबिक कई दस्तावेजों में हेर-फेर और कूट रचना कर इस महत्वपूर्ण नजूल भूमि को गैर-कानूनी रूप से विवेक ढांड और उनकी 3 बहनों के नाम पहले आबंटित और फिर फ्री होल्ड कर दिया गया है। इस सरकारी जमीन का मौजूदा बाजार भाव लगभग 500 करोड़ है, लेकिन मात्र 1 करोड़ 21 लाख की अदायगी कर छत्तीसगढ़ महतारी की आंखों में धूल झोंकी गई है। इस धोखाधड़ी और सरकारी रकम के हेर-फेर में कितने हिस्सेदार हैं, यह जांच का विषय है।

गौरतलब है कि इस सरकारी जमीन को रायपुर के तत्कालीन SDM और 36 हजार करोड़ के नान घोटाले के आरोपी अनिल टुटेजा ने वर्ष 1996-1997 में ढांड एंड कंपनी को आवंटित की थी।नियमानुसार ऐसी सरकारी भूमि जरूरतमंदो को मात्र दो ढाई हजार फीट जमीन आवंटित की जाती है। लेकिन कायदे-कानूनों की धज्जियाँ उड़ा कर नौकरीपेशा IAS और उनके परिजनों के नाम यह लगभग 4 एकड़ जमीन आवंटित कर दी गई। भूपे राज में इस जमीन को फ्री होल्ड कराकर प्रदेश में एक बड़े जमीन घोटाले को अंजाम दिया गया है। बताते हैं कि ऐसे कई घोटले विभिन्न जिलों में भी घटित हुए हैं।

बताया जाता है कि ढांड एंड कंपनी ने 1964 के एक जाली बैनामा दस्तावेज पेश कर रायपुर के सिविल लाईन इलाके में GE रोड के मुख्य मार्ग पर 1,50300 वर्गफीट सरकारी जमीन अपने ही परिवार के 4 सदस्यों के नाम करवा ली गई है। बताते हैं कि यह जमीन पहले सतपाल ढांड को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आवंटित की गई थी। उन्होने तत्कालीन प्रशासन को गुमराह करते हुए खुद को भूमिहीन बताया था। जानकारी के मुताबिक ऐसे भूमिहीन ढांड परिवार को निर्वहन के लिए लगभग ढाई हजार स्क्वायर-फीट जमीन ही अधिकतम रुप से आवंटित की जा सकती है। लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने IAS विवेक ढांड के प्रभाव के चलते लगभग 4 एकड़ का रकबा ढांड एंड कंपनी को सौंप दिया था।

बताया जाता है कि भू-पे राज में यह सरकारी जमीन स्व.सतपाल ढांड के बाद विवेक ढांड, साधना ढांड, अरुणा ढांड और राजकुमारी ढांड के नाम गैर-कानूनी रूप से ट्रांसफर कर फ्री होल्ड कर दी गई है। इसके लिए मात्र 1 करोड़ 21 लाख की कुल रकम सरकारी तिजोरी में जमा कराई गई है। जबकि इस जमीन का न्यूनतम बाजार भाव ही लगभग 500 करोड़ आंका जाता है। बताते हैं कि पहले रेरा और फिर नवाचार आयोग के चेयरमैन के रूप में अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए विवेक ढांड ने सरकार की आंखों में धूल झोंक कर ऐसी कई इलाकों में जमीन हथिया ली है।

बताया जाता है कि प्रमोटी IAS अनिल टुटेजा और विवेक ढांड प्रशासनिक गलियारों में गुरू-चेला के रुप में जाने पहचाने जाते हैं। संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में तत्कालीन SDM रायपुर रहे अनिल टुटेजा ने यह सरकारी जमीन गैर-कानूनी रूप से विवेक ढांड पिता सतपाल ढांड एंड कंपनी के नाम आवंटित कर दी थी। जबकि ढांड परिवार नौकरीपेशा और आर्थिक रूप से काफी समृद्ध है। नियमों के मुताबिक भूमिहीन और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए ही सरकारी योजनाओं के तहत जमीन आवंटित की जाती है।

यह भी बताया जाता है कि भू-पे राज में इस जमीन को फ्री होल्ड कराने के लिए नियमों में छेड़-छाड़ और तोड़-मरोड़ भी की गई थी। इसके लिए रिश्वतखोरी की भी चर्चा जोरों पर है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्य सचिव के दबाव में तत्कालीन अधिकारियों ने आंख मूंद कर स्थाई पट्टे वाली इस सरकारी जमीन को कौड़ियों के दाम फ्री होल्ड कर दिया है। वर्तमान में इस सरकारी बड़े परिसर में कई कॉम्प्लेक्स बनाकर करोड़ों का कारोबार ढांड द्वारा संचालित किया जा रहा है।

पूर्व मुख्य सचिव ढांड को भू-माफिया करार देते हुए एक शिकायती पत्र सर्व समाज महासभा द्वारा CBI और IT-ED को सौंपा गया है। इस पत्र में ढांड के खिलाफ सरकारी और गैर-सरकारी जमीनों को हथियाने और उसका कारोबार करने संबंधी कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। विवेक ढांड के खिलाफ 2000 करोड़ के समाज-कल्याण घोटाले मामले में बिलासपुर हाई कोर्ट पहले ही CBI जांच के निर्देश दे चुका है। हालाकि ढांड एंड कंपनी ने CBI जांच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर मामले को लंबित कर दिया है।

यह भी बताया जाता है कि लंबे समय तक प्रभावशील पदों में रहने के चलते विवेक ढांड की प्रशासनिक पकड़ काफी मजबूत है। लिहाजा राज्य की पुलिस समेत सभी जांच एजेंसियां भू-माफिया के नाम से मशहूर इस नौकरशाह के खिलाफ वैधानिक कदम उठाने से परहेज बरतती हैं। ढांड के खिलाफ IT-ED ने आर्थिक घोटाले को लेकर वैधानिक कदम उठाए जाने के लिए राज्य सरकार को पत्र भी लिखा था। लेकिन मंत्रालय स्तर पर ढांड के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई है। सर्व समाज महासभा छत्तीसगढ़ के महासचिव ओमप्रकाश वर्मा ने PM मोदी को लिखे एक पत्र में विवेक ढांड के काले कारनामों की CBI से जांच कराने की मांग की है। वर्मा ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भी सरकारी जमीनों को कब्जामुक्त किए जाने के लिए जल्द अभियान चलाने की गुहार लगाई है। न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने इस प्रकरण को लेकर विवेक ढांड की प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ आया।