
रायपुर / बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में पकड़ी गई आरोपी ननो को अदालत से जमानत मिल गई है। आज शनिवार को NIA कोर्ट ने दोनों ननो की जमानत याचिका सशर्त मंजूर कर जमानत दे दी है। कोर्ट ने शर्तों में मुख्य रूप से ननो को भारत देश ना छोड़ने की की ताकीद की है। उनसे 50-50 रुपयों का बांड भी भरवाया गया है। ननो की जमानत के बाद सियासी पारा भी चढ़ गया है। ननो पर लगे आरोपों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने -सामने है। बता दें कि, दुर्ग स्टेशन से धर्मांतरण और मानव तस्करी किए जाने के आरोप में दो ननो पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस वारदात ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल मचा दिया था। ननो की गिरफ्तारी के विरोध में केरल के सांसदों और कांग्रेसी प्रतिनिधि मंडल ने रायपुर में डेरा डाल कर हिंदूवादी संगठनों पर तीखे हमले किये थे। संसद में इस घटना की गूंज भी सुनाई दी थी। इस बीच जिला न्यायालय दुर्ग ने आरोपी ननो की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।

जानकारी के मुताबिक जिला अदालत से मामला बिलासपुर NIA कोर्ट पहुंच गया था। शुक्रवार को दोनों पक्षों के बहस सुनने के बाद NIA कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन एक दिन बाद आज शनिवार को सामने आये NIA कोर्ट के फैसले में आरोपी ननो की जमानत याचिका को सशर्त मंजूर कर लिया गया है।

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण की सियासत के बीच कांग्रेस सांसदों ने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन के बाद रायपुर का रुख किया था। इंडिया गठबंधन के कई सांसद ननों से मिलने के लिए दुर्ग जेल भी पहुंचे थे। इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा था कि, छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि अब NIA कोर्ट के फैसले को छत्तीसगढ़ सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी या नहीं ? इस बारे में राज्य की बीजेपी सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।

उधर ‘ननों की गिरफ्तारी के मामले में बीजेपी के गलियारों से वारदात को लेकर गलतफहमी जैसी जानकारी भी सामने आई थी। पार्टी के चुनिंदा नेताओं ने साफ़ किया था कि जल्द ही ननो को जमानत मिल जाएगी। भाजपा की केरल इकाई के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी और जबरन मतांतरण कराने के आरोपों में दो ननों की गिरफ्तारी गलतफहमी के कारण हुई है। उन्हें जल्द ही जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।

चंद्रशेखर ने यह बयान भारतीय कैथोलिक बिशप सम्मेलन (सीबीसीआइ) के अध्यक्ष और त्रिचूर के आर्कबिशप एंड्रयूज थजथ से मुलाकात के बाद दिया था। यही नहीं भाजपा के अन्य नेताओं ने भी ननों की जमानत याचिका को लेकर अपनी मंशा जाहिर की थी। भाजपा नेताओं ने इस मामले को पार्टी फ़ोरम में भी उठाया था। दक्षिण के इन नेताओं ने कहा था कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार ननों की जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी। उन्हें जमानत पर रिहा किया जाएगा। बीजेपी नेताओं ने यह भी कहा था कि जमानत याचिका एक न्यायिक प्रक्रिया है, इसे होने दीजिए। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें। ननो की गिरफ़्तारी को राजनीति के तौर पर नहीं देख रहे हैं, हम केवल लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक केरल की नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को सुखमन मंडावी के साथ 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर जीआरपी थाने ने हिरासत में लिया था। कहते है कि स्थानीय बजरंग दल के एक पदाधिकारी की शिकायत के बाद ननो को गिरफ्तार किया गया था। शिकायतकर्ता बजरंग दल के कार्यकर्ता ने उन पर तीन युवतियों का जबरन मतांतरण कराने और उनकी तस्करी करने का आरोप लगाया था। फ़िलहाल, अदालत के निर्देश पर ननो की रिहाई प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, वही राजनीति भी उफान पर नजर आ रही है।