दिल्ली वेब डेस्क / आखिरकार केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड पर निगाह रखने के लिए एक स्वत्रंत ऑडिटर की नियुक्ति को हरी झंडी दी है | कोरोना महामारी से निपटने के उद्देश्य से बनाए गए पीएम केयर्स फंड के ऑडिट को लेकर मोदी विरोधी नेता लगातार केंद्र पर हमला कर रहे थे | इस फंड को लेकर देश में विवाद की स्थिति भी बनती नज़र आ रही थी। पीएम केयर्स फंड के ऑडिट किए जाने के निर्णय से मोदी विरोधी नेताओं को राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। दरअसल इस मामले ने राजनैतिक रंग भी ले लिया था |
बताया जाता है कि पीएम केयर्स फंड़ की जानकारी हेतु दिल्ली हाईकोर्ट में कुछ लोगों ने आरटीआई भी दाखिल किया था। प्रधानमंत्री राहत कोष के पहले से ही अस्तित्व में रहने के बावजूद अब पीएम केयर्स फंड़ की स्थापना के औचित्य को लेकर केंद्र सरकार सवालों से घिर गई थी | फ़िलहाल इसके ऑडिट किए जाने को लेकर दिल्ली की एक फर्म को जिम्मेदारी दिए जाने की खबर है। इस खबर के मुताबिक, पीएम केयर्स फंड़ के स्वतंत्र ऑडिट हेतु ऑडिटर को तीन साल के लिए नियुक्त किया गया है। इस वित्तीय वर्ष के अंत में पीएम केयर्स फंड का ऑडिट किया जाएगा।
दरअसल देश आपातकालीन या संकट की स्थिति से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य से राष्ट्रीय निधि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए आपात स्थितियों में पीएम केयर्स फंड के नाम से एक सार्वजनिक ट्रस्ट का निर्माण किया गया था। इस ट्रस्ट के निर्माण को लेकर कांग्रेस ने संदेह भी जाहिर किया था |
पीएम केयर्स फंड के पदेन अध्यक्ष के रूप में पीएम और भारत सरकार के रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, निधि के पदेन ट्रस्टी होते हैं। बताया जाता है कि इस ट्रस्ट के संविधान के मुताबिक प्रधानमंत्री के पास 3 ट्रस्टीज को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में नामित करने की शक्ति प्राप्त होती है, नामित किए जाने वाले सदस्य अनुसंधान, स्वास्थ्य, विज्ञान, सामाजिक कार्य, कानून, लोक प्रशासन और परोपकार के क्षेत्र ही जुड़े होते हैं।