दिल्ली वेब डेस्क / दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल ली है। रविवार को रामलीला मैदान में मंत्रिमंडल के छह सहयोगियों के साथ अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन अब चर्चा केजरीवाल से ज्यादा उनके कुछ मंत्रियों द्वार ली गई शपथ को लेकर है | दरअसल केजरीवाल के साथ तीन मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ लेते वक्त परंपरा से हटकर शपथ ली। इसके चलते बवाल मचा है | यह शपथ कानून के तकाजे पर भी तौली जा रही है | दरअसल संविधान में शपथ की शुरुआत “मैं ईश्वर से” का उल्लेख है | लेकिन केजरीवाल मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों ने इस शब्द का हिंदी या अंग्रेजी में उल्लेख ना करते हुए अन्य ऐसे वाक्यों का उल्लेख किया , जो संविधान में वर्णित नहीं है | ऐसे में मंत्रियों की शपथ विधिवत है की नहीं , इसे लेकर माथापच्ची हो रही है |
शपथ ग्रहण समारोह में केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बाद तीसरे स्थान पर शपथ लेने आए गोपाल राय ने आजादी के शहीदों की शपथ ली, जबकि आमतौर पर ईश्वर , गॉड या सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान के नाम पर शपथ ली जाती है। गोपाल राय दिल्ली के बाबरपुर से विधायक हैं और पिछली सरकार में श्रम, रोजगार, विकास और सामान्य प्रशासन विभागों की कमान संभाल रहे थे।
जबकि बल्लीमारान से विधायक चुने गए और पिछली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे इमरान हुसैन ने मंत्री पद की शपथ “अल्लाह” के नाम पर ली | लेकिन गोपनीयता की शपथ ईश्वर के नाम पर। इमरान हुसैन पांचवें नंबर पर शपथ लेने आए। उन्होंने शपथ लेते वक्त कहा, ‘मैं, इमरान हुसैन, अल्लाह की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा। मैं मंत्री के रूप में कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।’ इसके बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने गोपनीयता की शपथ दिलवाई। इमरान ने गोपनीयता की शपथ लेते हुए कहा, ‘मैं, इमरान हुसैन, ईश्वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को तब के सिवाय जबकि मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा।’
इसके बाद बारी आई राजेंद्र पाल गौतम की | उन्होंने भी ईश्वर या सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान के नाम पर शपथ लेने की बजाय उन्होंने गौतम बुद्ध के नाम पर शपथ ली। देश के राजनैतिक इतिहास में यह पहला मौका है जब शपथ लेने वाले मंत्री ईश्वर के स्थान पर अपने धार्मिक और सामाजिक प्रतीकों के नाम पर शपथ लेकर चर्चा में आये है | फ़िलहाल यह शपथ ग्रहण समारोह कानूनविदों की जुबान पर है |